Tuesday, February 1, 2022

पेट दर्द _चना _दमा : एक खतरनाक रोग,

Following is collected from Whatsapp group admin by Dr Darsan Bangla in group named as Dadi ke Nuskhe..... 

 

_अगर हो जाये पेट दर्द तो ऐसे करे दूर, घरेलू नुस्खे है आप आजमाए जरूर_*

db

*पेट दर्द के घरेलू उपचार*

पेट में दर्द होना एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में बार बार सामना करना पड़ता है | इनके कई अलग अलग काऱण हो सकते है । पेट दर्द के मुख्य कारण कब्ज का होना, ज्यादा गैस बनना, अपच, विषाक्त भोजन सेवन करना आदि सकता हैं।यहाँ पर हम कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिसको करके आप पेट दर्द में आराम प्राप्त कर सकते है ।


अजवाईन  को गरम पानी के साथ लेने पर पेट के दर्द में आराम मिलता है।


पेट दर्द मे हींग बहुत ही लाभकारी है। 5 ग्राम हींग थोडे पानी में पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे नाभी पर और उसके आस पास लगायें फिर क़ुछ देर लेटे रहें। इससे पेट की गैस निकल जायेगी और दर्द में राहत मिलेगी ।


जीरा पेट दर्द मे बहुत ही लाभदायक है । जीरा को तवे पर भून ले । 2-3 ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ दिन मे 3-4 बार लें या वैसे ही चबाकर खाये शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।

db

10 ग्राम तुलसी का रस पीने से पेट की मरोड़ व दर्द जल्दी ही ठीक होता है।


त्रिफला का 100 ग्राम चूर्ण में 75 ग्राम चीनी मिलालें इस चुर्ण का 5 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 -3 बार पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट की सभी बीमारियां समाप्त होती हैं।


सूखा अदरक को मुहं मे चूसने से पेट दर्द में तुरन्त राहत मिलती है।


पेट दर्द में पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।


बिना दूध की चाय पीने से भी पेट दर्द में आराम मेहसूस होता हैं।


अजवाईन तवे पर भून लें। इसको काला नमक के साथ मिलाकर 2-3 ग्राम गरम पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से पेट के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।


एक चम्मच अदरक के रस में 2 चम्मच नींबू का रस और थोडी सी चीनी मिलाकर दिन मे 3 बार लेने से भी पेट दर्द में आराम मिलता है।


किसी भी पेट दर्द में केला खाना लाभकारी होता है। केला एक पोषक आहार होता है। केले का सेवन से पेट दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।


नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन चार बार लेने से पेट दर्द से आराम मिलता है।

db

हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।


अनार पेट दर्द मे बहुत लाभदायक माना गया है। अनार के बीज थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च के साथ दिन में दो तीन बार लें।


मूली की चटनी, अचार, सब्जी या मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर खाने से पेट के सभी रोग दूर होते है।


चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेट की सभी बीमारियां समाप्त होती है।


सौंठ का 1 चम्मच चूर्ण और सेंधा नमक को एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट दर्द खत्म हो जाता है।


इसबगोल को दूध के साथ रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट के दर्द में आराम मिलता है ।


प्याज को आग में गर्म करके रस निकाल लें और इस रस में नमक मिलाकर पीएं। इससे भी पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

db

दो चम्मच ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं इसे सुबह खाली पेट छानकर पीयें पेंट दर्द मे आराम मिलता है । 

//////////////



*_चना : दाल या बेसन ही नही अपितु कई रोगों के उपचार की गुणवान औषधि भी है_*


आयुर्वेद में चने की दाल और चने को शरीर के लिए स्वास्थवर्धक बताया गया है। चने के सेवने से कई रोग ठीक हो जाते हैं। क्योंकि इसमें प्रोटीन, नमी, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स पाये जाते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी यह दूसरी दालों से पौष्टिक आहार है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हे अंकुरित करके खाने से होते है।


*1- सुबह खाली पेट चने से मिलते है कई फायदे :*


शरीर को सबसे ज्यादा पोषण काले चनों से मिलता है। काले चने अंकुरित होने चाहिए। क्योंकि इन अंकुरित चनों में सारे विटामिन्स और क्लोरोफिल के साथ फास्फोरस आदि मिनरल्स होते हैं जिन्हें खाने से शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती है। काले चनों को रातभर भिगोकर रख लें और हर दिन सुबह दो मुट्ठी खाएं। कुछ ही दिनों में र्फक दिखने लगेगा।


*2- भीगे चने से लाभ :*

रातभर भिगे हुए चनों से पानी को अलग कर उसमें अदरक, जीरा और नमक को मिक्स कर खाने से कब्ज और पेट दर्द से राहत मिलती है।


*3- अंकुरित चना :*

शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं। आपको पूरे दिन की एनर्जी मिलेगी।


*4- चने का सत्तू :*

चने का सत्तू भी स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभकारी औषघि है। शरीर की क्षमता और शक्ति को बढ़ाने के लिए गर्मीयों में आप चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलकार पी सकते हैं। यह भूख को भी शांत रखता है।


*5.पथरी की समस्या में चना :* 

पथरी की समस्या अब आम हो गई है। दूषित पानी और दूषित खाना खाने से पथरी की समस्या बढ़ रही है। गाल ब्लैडर और किड़नी में पथरी की समस्या सबसे अधिक हो रही है। एैसे में रातभर भिगोए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर रोज सेवन करें। नियमित इन चनों का सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। इसके अलावा आप आटे और चने का सत्तू को मिलाकर बनी रोटियां भी खा सकते हो।


*6.शरीर की गंदगी साफ करना :*

 काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को अच्छे से साफ करता है। जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर होती हैं। और यह बुखार आदि में भी लाभ देता है।


*7. डायबिटीज के रोगियों के लिए :*

 चना ताकतवर होता है। यह शरीर में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को कम करता है जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए अंकुरित चनों को सेवन डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह करना चाहिए


*8. मूत्र संबंधी रोग :*

 मूत्र से संबंधित किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सवेन करना चाहिए। इससे बार-बार मूत्र आने की दिक्कत दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड मिलाकर खाने से यूरीन की किसी भी तरह समस्या में राहत मिलती है।


*9. पौरुष शक्ति के लिये :* 

अधिक काम और तनाव की वजह से पुरूषों में कमजोरी होने लगती है। एैसे में अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। पुरूषों को अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से कई फायदे मिलते हैं। इससे पुरूषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरूषत्व बढ़ता है। और नपुंसकता दूर होती है।


*10. पीलिया के रोग में :*

 पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर अच्छे से चनों को कुछ घंटों के लिए भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें अब उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 से 5 दिन तक रोगी को देते रहें। पीलिया से लाभ जरूरी मिलेगा। पीलिया रोग में रोगी को चने की दाल का सेवन करना चाहिए।


*11. कुष्ठ रोग में चना :*

 कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं। तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।


*12. गर्भावस्था :*

गर्भवती महिला को यदि मितली या उल्टी की समस्या बार-बार होती हो। तो उसे चने का सत्तू पिलाना चाहिए। 


*13. अस्थमा रोग में :* अस्थमा से पीडि़त इंसान को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। इस उपाय से अस्थमा रोग ठीक होता है।


*14. त्वचा की समस्या में :* 

चने के आटे का नियमित रूप से सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं। 


*15. पुरानी कफ़ :*

लंबे समय से चली आ रही कफ की समस्या में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और इसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।


*16. चेहरे की चमक के लिए चना :*

चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप चने का फेस पैक भी घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकेत हो। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड जरूर खाना चाहिए।


*17. दाद खाज और खुजली :*

 एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं


*18. धातु पुष्ट :* दस ग्राम शक्कर और दस ग्राम चने की भीगी हुई दाल को मिलाकर कम से कम एक महीने तक खाने से धातु पुष्ट होती है।


 चने को अपने भोजन में सम्मिलित करें। यह किसी औषधि से कम नहीं है। 

 अंकुरित चनों का प्रयोग प्रतिदिन किया जा सकता है। 

-

@@@@@@$$$$@


*_दमा : एक खतरनाक रोग, जानिए दमा को नियंत्रित करने के उपचार और निदान के उपाय_*


दमा बहुत कष्ट देने वाली बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। दमा में सांस लेने वा निकालने में परेशानी होती है। खांसी की त्रीवता और साँस की नली में कफ़ जमा हो जाने से तकलीफ़ और भी ज्यादा बढ जाती है। दमा का अटैक पड़ने पर रोगी बुरी तरह हांफ़ने लगता है। दमा होने पर खांसी, नाक का बजना, छाती का कड़ा हो जाना, सुबह और रात में सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण होते हैं।समान्यता दमा, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों ,धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव की वजह से काफी तकलीफ देता है।दमा को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इस पर नियंत्रण हो सकता है, ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके।


*दमा से बचाव और उसके घरेलु उपचार*

* 100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबाकर इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करने से दमे में काफी फायदा मिलता है।


* तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरककर खाने से दमा मे आराम मिलता है।


* एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच महीन पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे 2-3 घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही दमें में खूब लाभ होगा।


* लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। इस चाय का सेवन सबेरे और शाम करना चाहिए।


* 4-5 लौंग को 150 पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गरम-गरम पी लें। रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है।


* 250 ग्राम पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर उसे 5 मिनट तक उबालें। फिर ठंडा होने पर उसमें चुटकी भर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस मिलाएं, इस सूप का रोज़ सेवन करें लाभ मिलेगा।


* एक चम्मच मैथीदाना को एक कप पानी में उबालें। ठंडा होने पर उसमें अदरक का एक चम्मच ताजा रस और स्वादानुसार शहद मिलाएं। सबेरे-शाम नियमित रूप से इसका सेवन करने से निश्चित ही बहुत लाभ मिलता है।


* एक चम्मच हल्दी को दो चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें दमा का दौरा तुरंत काबू में आ जायेगा।


* तुलसी के पत्तों को पानी में पीसकर इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से दमा रोग में शीघ्र ही लाभ मिलता है।


* दमें में खाँसी होने पर पहाडी नमक सरसों के तेल मे मिलाकर छाती पर मालिश करने से तुरंत आराम मिलता है।


* एक चम्मच हल्दी एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीने से दमा काबू मे रहता है। हल्दी के एन्टीऑक्सीडेंट गुण के कारण एलर्जी भी नियंत्रण में रहती है।


* सूखे अंजीर 4 - 5 पीस रात भर पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता है, स्थाई रूप से आराम प्राप्त होता है ।


* आंवला दमा रोग में बहुत लाभदायक है। एक चम्मच आंवला रस मे दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं।


* खांसी होने पर शहद को सूँघे, लाभ होगा । यह एक अच्छा देसी इन्हेलर है।

-By Dr Darsan Bangla


Saturday, January 22, 2022

Become Your Doctor अपने डॉक्टर खुद बने

 Copied message 


अपने डॉक्टर खुद बने


1 =  केवल सेंधा नमक प्रयोग करें, थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा।


2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे


3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।


4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।


5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।


6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।


7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।


8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।


9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।


10 = भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।


11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगें।


12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।


13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।


14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।


15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।


16 = चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।


17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।


18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।


19 = करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।


20 = पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।


21 = प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं, दोनों केन्सर कारक हैं।


22‌ = माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है।


23 = खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।


24 = बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।


25 = तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।


26 = मैदा, बेसन, छौले, राजमां और उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।


27 = अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।


28 = बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।


29 = पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है। U V वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी।


30 = रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।


31 = रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।


32 = सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।


33 = रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।


34 = एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी।


35 = चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।


36 = रसोई के मसालों से बनी चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।


37 = सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।


38 = सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।


39 = रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।


40 = कभी - कभी नमक - हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।


41 = बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।


42 = सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा।


*हृदय की बीमारी के आयुर्वेदिक इलाज


यह उनमे से ही एक सूत्र है !! 


अम्लता आप समझते है, जिसको अँग्रेजी में Acidity भी कहते हैं और यह अम्लता दो तरह की होती है !


एक होती है पेट कि अम्लता ! 

और 

एक होती है रक्त (Blood) की अम्लता !


आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है, खट्टी खट्टी डकार आ रही है, मुंह से पानी निकल रहा है और अगर ये अम्लता (Acidity) और बढ़ जाये तो इसे Hyperacidity कहते हैं !


फिर यही पेट की अम्लता बढ़ते - बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अम्लता  (Blood Acidity) होती है और जब Blood मे Acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त दिल की नलियों में से निकल नहीं पाता और नलियों में Blockage कर देता है और तभी Heart Attack होता है ! इसके बिना Heart Attack नहीं होता और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! 


*एसीडिटी का इलाज क्या है*??


वागबट जी आगे लिखते है कि जब रक्त (Blood) में अम्लता (Acidity) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करें जो क्षारीय है ! 


आप जानते है दो तरह की चीजे होती है ! 


अम्लीय (Acidic)

और 

क्षारीय (Alkaline)


अब अम्ल और क्षार (Acid and Alkaline) को मिला दें तो क्या होता है ?


हम सब जानते हैं Neutral होता है !!


तो वागबट जी लिखते हैं कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय (Alkaline) चीजे खाओ ! तो रक्त की अम्लता (Acidity) Neutral हो जाएगी, और जब रक्त मे अम्लता Neutral हो गई तो Heart Attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं होगी ।


ये है सारी कहानी !! 


अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो क्षारीय है और हम खाये ?? 


आपके रसोई घर मे ऐसी बहुत सी चीजे है जो क्षारीय है ! जिन्हें अगर आप खायें तो कभी Heart Attack न आयेगा और अगर आ गया तो दुबारा नहीं आएगा !


आपके घर में जो सबसे ज्यादा क्षारीय चीज है वह है लौकी, जिसे हम दुधी भी कहते है और English मे इसे Bottle Gourd भी कहते हैं जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! 


इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है इसलिये आप हर रोज़ लौकी का रस निकाल कर पियें या अगर खा सकते है तो कच्ची लौकी खायें ।


वागवतट जी के अनुसार रक्त की अम्लता कम करने की सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है, इसलिए आप लौकी के रस का सेवन करें !


*कितना मात्रा में सेवन करें* 


रोज 200 से 300 ग्राम लौकी का रस ग्राम पियें !


कब पिये ? 


सुबह खाली पेट (Toilet) शौच जाने के बाद पी सकते है. या फिर नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते हैं!


इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय भी बना सकते हैं ! जिसके लिए इसमें 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लें क्योंकि तुलसी बहुत क्षारीय है !


इसके साथ आप पुदीने के 7 से 10 पत्ते भी मिला सकते है, क्योंकि पुदीना भी बहुत क्षारीय होता है।


इसके साथ आप इसमें काला नमक या सेंधा नमक भी जरूर डाले ! ये भी बहुत क्षारीय है। याद रखे नमक काला या सेंधा ही डालें, दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डालें !


ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है।


तो मित्रों आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करे 2 से 3 महीने आपकी सारी Heart की Blockage ठीक कर देगा। 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा और फिर आपको कोई आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी !


घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा और आपका अनमोल शरीर और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे और जो पैसे बच जायें उसे अगर इच्छा हो किसी गौशाला मे दान कर दें क्योंकि डाक्टर को देने से अच्छा है किसी गौशाला दान दे ! 


*हल्दी का पानी*

        

पानी में हल्दी मिलाकर पीने से यह 7 फायदें होते है ....


1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है। सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है।


2.‌ आप यदि रोज़ हल्दी का पानी पीते हैं तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है, यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है।


3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है क्योंकि हल्दी का पानी टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है। इसके अलावा हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं।


4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए क्योंकि हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है.


5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है, जिसे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है। हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते हैं.


6. शरीर में किसी भी तरह की सूजन हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें। हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असहय दर्द को ठीक कर देता है। सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी।


7. कैंसर खत्म करती है हल्दी। हल्दी कैंसर से लड़ती है और उसे बढ़ने से भी रोक देती है क्योंकि हल्दी एंटी - कैंसर युक्त होती है और यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीएगें तो आपको भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेगें।


🕉🕉🕉🕉🕉🕉


हमारे वेदों के अनुसार स्वस्थ रहने के १५ नियम हैं.....


१ - खाना खाने के १.३० घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।


२ - पानी घूँट घूँट करके पीना है जिससे अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके, पेट में Acid बनता है और मुँह में छार, दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा।


३ - पानी कभी भी ठंडा (फ़्रिज़ का) नहीं पीना है। 


४ - सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए २ ग्लास पानी पीना चाहिए, रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए । 


५ - खाना, जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना  है । 


६ - खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा में बैठकर या उखड़ूँ बैठकर ही खाना चाहिए। 


७ - खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही, प्याज़ के साथ दूध, दही के साथ उड़द की दlल ।


८ - समुद्री नमक की जगह सेंधl नमक या काला नमक खाना चाहिए।


९ - रीफ़ाइन तेल, डालडा ज़हर है, इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों, तिल, मूँगफली या नारियल का तेल उपयोग में लाए । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है। आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते हैं ।


१० - दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए।


११ - घर में चीनी (शुगर) का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर (केमिकल ) मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आज कल गुड़ बनाने में कॉस्टिक सोडा (ज़हर) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड़ ना खाए। प्राकृतिक गुड़ ही खाये। प्राकृतिक गुड़ चाकलेट कलर का होता है। 


१२ - सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए।    


१३ - घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन या कुकर नहीं होना चाहिए। हमारे बर्तन मिट्टी, पीतल लोहा और काँसा के होने चाहिए।

 

१४ - दोपहर का भोजन ११ बजे तक अवश्य और शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए ।


१५ - सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधl नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए ।     


यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी । यदि आप बीमार है तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग (BP, शुगर ) अगले ३ माह से लेकर १२ माह में ख़त्म हो जाएँगे।


*सर्दियों में उठायें मेथी दानों से भरपूर लाभ*


➡ मेथीदाना उष्ण, वात व कफनाशक, पित्तवर्धक, पाचनशक्ति व बलवर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है | यह पुष्टिकारक, शक्ति,  स्फूर्तिदायक टॉनिक की तरह कार्य करता है | सुबह–शाम इसे पानी के साथ निगलने से पेट को निरोग बनाता है, कब्ज व गैस को दूर करता है | इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं | यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी हैं |


➡ अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे – धीरे चबाना या चूसने से वृद्धावस्था में पैदा होने वाली व्याधियों, जैसे घुटनों व जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, हाथों का सुन्न पड़ जाना, सायटिका, मांसपेशियों का खिंचाव, बार - बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि में लाभ होता है | गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भुने मेथी दानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है |


*मेथी दाने से शक्तिवर्धक पेय*


दो चम्मच मेथीदाने एक गिलास पानी में ४ – ५ घंटे भिगोकर रखें फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई रह जाय, इसे छानकर २ चम्मच शहद मिला के पियें ।


*औषधीय प्रयोग*


1. कब्ज : २० ग्राम मेथीदाने को २०० ग्राम ताजे पानी में भिगो दें. ५-६ घंटे बाद मसल के पीने से मल साफ़ आने लगता है. भूख अच्छी लगने लगती है और पाचन भी ठीक होने लगता है |


2. जोड़ों का दर्द : १०० ग्राम मेथीदाने अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें | इसमें २५ ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें | २ चम्मच यह मिश्रण सुबह- शाम गुनगुने पानी से फाँकने से जोड़ों, कमर व घुटनों का दर्द, आमवात (गठिया) का दर्द आदि में लाभ होता है | इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी |


3. पेट के रोगों में : १ से ३ ग्राम मेथी दानों का चूर्ण सुबह, दोपहर व शाम को पानी के साथ लेने से अपच, दस्त, भूख न लगना, अफरा, दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है |


4. दुर्बलता : १ चम्मच मेथीदानों को घी में भून के सुबह - शाम लेने से रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है |


5. मासिक धर्म में रुकावट : ४ चम्मच मेथीदाने १ गिलास पानी में उबालें | आधा पानी रह जाने पर छानकर गर्म–गर्म ही लेने से मासिक धर्म खुल के होने लगता है |


6. अंगों की जकड़न : भुनी मेथी के आटे में गुड़ की चाशनी मिला के लड्डू बना लें | १–१ लड्डू रोज सुबह खाने से वायु के कारण जकड़े हुए अंग १ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा हाथ–पैरों में होने वाला दर्द भी दूर होता है |


7. विशेष : सर्दियों में मेथीपाक, मेथी के लड्डू, मेथीदानों व मूँग–दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी हैं |


*IMPORTANT*


HEART ATTACK और गर्म पानी पीना!


यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं Heart Attack के बारे में भी एक अच्छा लेख है। 


चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है। 


भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। 


इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है। 


इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं


🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Tuesday, January 18, 2022

Some Useful Information on Badam, Hot water and Blood Pressure

 *_बादाम: प्राकृत गुणों का खज़ाना जानिए इसके आयुर्वेदिक लाभ और जानिए भीगे बादाम क्‍यों बेहतर हैं..?_*


बादाम एक सूखा मेवा है और तकरीबन हर घर में प्रयोग किया जाता है। बादाम को अपने असीम स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के लिए जाना जाता है। आम तौर पर इसे और सबसे ज्‍यादा यह याद्दाश्‍त को बढ़ने में मदद के लिए जाना जाता है। बादाम में आवश्‍यक विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन-ई, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है।


*लेकिन इन सभी पोषक तत्‍वों को अवशोषित करने के लिए, बादाम को खाने से पहले रात भर पानी में भिगोना चाहिए।*


 ऐसा इसलिए क्‍योंकि बादाम के भूरे रंग के छिलके में टनीन होता है जो पोषक तत्‍वों के अवशोषण को रोकता है। एक बार बादाम को पानी में भिगोने से छिलका आसानी से उतर जाता है और नट्स को पोषक तत्‍वों को रिहा करने की अनुमति देता है।


*इसके अतिरिक्त*

भीगा हुआ बादाम पाचन में भी मदद करता है।

यह लाइपेज नामक एंजाइम की विज्ञप्ति करता है जो वसा के पाचन के लिए फायदेमंद होता है।

इस प्रकार भीगे हुए बादाम आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हैं।


विशेष: सीमित मात्रा में भीगे बादाम आपके सारे साल खा सकते है। 

-

//////////////////////////

*_स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है भाप और गर्म पानी का सेवन, जानिए सेवन का तरीका और लाभ_*

आमतौर पर सर्दियों में लोग भाप लेते और गर्म पानी पीते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भाप और गर्म पानी का सेवन हर मौसम में आपको फायदा पहुंचाएगा। भाप व गर्म पानी आपके गले में जमा चिकनाई और अवरोध को हटाता है यह कई बीमारियों से तो आपको दूर रखता ही है। तो आइए जानते हैं भाप व गर्म पानी से होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में।

लगभग 1.25 से 1.5 लीटर पानी को इतना गर्म करें कि 15-20 मिनट में घूंट घूंट करके आप इसे पूरा पी सके। गुनगुने पानी से थोड़ा ज्यादा गर्म कर सकते है। अगर तांबे के बर्तन में रात का रखा हुआ पानी ले रहे है तो इसे गर्म न करे क्योंकि तांबे के सीरत गर्म है तो इस पानी को गर्म करने की जरूरत नही रहती। 

1 बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं तो गर्म पानी का सेवन आपको इस समस्या से निजात दिला सकता है। सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी पीने से वजन नियंत्रण में रहता है, साथ ही यह बॉडी की चर्बी को कम करने में मदद करता है।

2 गर्म भाप लेने व पानी पीने से टॉक्सिन क्लीन होते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करने में भी सहायक है। शरीर की सफाई होती है।

3 चेहरे पर निखार लाने के लिए गर्म पानी सेवन व भाप बहुत उपयोगी है। इसके नियमित सेवन से चेहरे पर ग्लो आता है।

4 यदि गले में दर्द है तो गर्म पानी का सेवन बहुत लाभकारी होता है। गले में दर्द में गुनगुने पानी का सेवन बहुत आराम दिलाता है।

5 पेट फूलने जैसी समस्या से परेशान हैं तो गर्म पानी पीने से बहुत राहत मिलती है।

6 आपकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए नियमित भाप का सेवन व गर्म पानी बहुत फायदेमंद है। 

7 इससे आपको बालों की ग्रोथ में मदद मिलती है वहीं यदि आप बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो रोज गर्म पानी पीएं भाप से रोम छिद्र खुल जाते है और गंदगी अपने आप बाहर आ जाती हैं।

//////////////////

*रक्तचाप (ब्लड प्रेशर)*

*रक्तचाप का क्या अर्थ है ?*

ह्रदय की रक्त वाहिनियों में रक्त भेजने की क्षमता को रक्तचाप कहा जाता है|

रक्तचाप अच्छे स्वास्थ्य का परिचय देने वाले महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है| उच्च या निम्न रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं की निशानी है|

इसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, रक्त संचारित करने के लिए हृदय जब संकुचित होता है तो रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को सिस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं और वापस ह्रदय के प्रसरण पर अर्थात एक संकुचन से दूसरे संकुचन के बीच रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को डायस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं|

रक्तचाप को अच्छे से समझने के लिए यह उदाहरण देखें: यदि रक्तचाप 117/80 है तो, सिस्टोलिक रक्तचाप 117 होगा, जबकि डायास्टोलिक रक्तचाप 80 होगा| रक्तचाप को mm Hg में मापते हैं|

उच्च सिस्टोलिक या डायस्टोलिक रक्तचाप इस बात का संकेत है कि ह्रदय रक्त संचारित करने के लिए अधिक मेहनत कर रहा है, जिसका कोई अंदरूनी या बाहरी कारण हो सकता है|

सामान्य रक्तचाप

रक्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को रक्त वाहिनियों द्वारा शरीर के विभिन्न सेलों और टिश्यू तक पहुँचाता है| हृदय द्वारा रक्तवाहिनियों में रक्त पंप करने और संचारित करने के दौरान रक्त का जो दबाव रक्त वाहिनियों की दीवारों पर पड़ता है उसे रक्तचाप कहा जाता है|

मनुष्य के शरीर में दिन और रात के समय रक्तचाप अलग-अलग हो सकता है| शारीरिक मेहनत के समय प्राकृतिक रूप से उपापचय(मेटाबोलिज्म) को पूरा करने के लिए शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है| इसलिए शारीरिक परिश्रम के दौरान रक्तचाप अधिक होता है और आराम के दौरान कम|

उम्र के अनुसार सामान्य रक्तचाप


उम्र बढ़ने के साथ रक्तचाप में धीरे-धीरे वृद्धि होती है| रक्तचाप बढ़ने के अन्य कारण भी हैं: मोटापा, खाने-पीने की बुरी आदतें, तनाव और उम्र के साथ सक्रियता कम होना|

 *उच्च रक्तचाप(हाइपरटेंशन) के लक्षण*

उच्च रक्तचाप के कारकों या उनकी जटिलताओं के इकठ्ठा होने पर उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के लक्षण दिख सकते हैं|

दूसरे तरीके से कहा जाए तो, हाइपरटेंशन अचानक और बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी हो सकता है| इसलिए ऐसी चीजों से बचना चाहिए जिनसे हाइपरटेंशन हो सकता हो और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना चाहिए|

*हाइपरटेंशन के लक्षण:--*

• बार-बार सरदर्द होना हाइपरटेंशन का सबसे मुख्य लक्षण है|

• वर्टिगो और सर चकराना • अनियमित धड़कन

• जी मिचलाना और उलटी

• सर के पिछले हिस्से में तीव्र दर्द

• तीव्र थकान, समान्य कमजोरी, दुर्बलता, नींद न आना और आलस

• लगातार तनाव बना रहना

• शरीर के नियंत्रण में परेशानी और हाथों के अक्सर कंपन होना

• कानों में आवाज़ आना (टिनिटस)

• साँस फूलना और साँस लेने में कठिनाई

• नाक से खून बहना

• धुंधला दिखाई पड़ना

• यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, पेशाब में जलन|

*निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) के लक्षण:--*

कुछ लोगों में निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) होना और असिम्पटोमैटिक (कोई लक्षण न दिखना) होना आम बात है|

कुछ रोगियों में, यह किसी विशेष समस्या का संकेत हो सकता है, खासतौर पर जब हाइपोटेंशन अचानक हुआ हो या कुछ लक्षण दिख रहे हों| यह लक्षण शरीर के अंगों में रक्त प्रवाह कम होने के कारण दिखते हैं, प्रभावित अंगों के अनुसार लक्षण बदल सकते हैं|

*हाइपोटेंशन के लक्षण:--*

1 सर चकराना या वर्टिगो|

2 थकान|

3 थकान और सामान्य दुर्बलता|

4 साँस लेने में तकलीफ के साथ सीने में दर्द

5 जी मिचलाना| 

6 ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई|

 ~लक्ष्मण शर्मा: 

*डायग्नोसिस/ निदान*

सही डायग्नोसिस ही सही इलाज की कुंजी है| क्योंकि गलत डायग्नोसिस से चिकित्सा में गलती हो सकती है|

*हाइपरटेंशन*

चार घंटों के अंतराल पर दो बार रक्तचाप माप कर उच्च रक्तचाप का डायग्नोसिस किया जाता है| यह मरकरी या इलेक्ट्रॉनिक स्फिमोमेनॉमीटर (रक्तदाबमापी) का प्रयोग करके मापा जाता है| इसके अलावा पेशाब में एल्ब्यूमिन(प्रोटीन), रक्त की उपस्थिति, किडनी(गुर्दों) पर हाइपरटेंशन का प्रभाव देखने के लिए यूरिया/क्रिएटिनिन के अनुपात, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG), कॉलेस्ट्रोल, ब्लड शुगर आदि टेस्ट किए जाते है|

यदि रोगी की उम्र कम है और उसे सेकंड्री हाइपरटेंशन है तो, पेशाब में 17 हाइड्रॉक्सीप्रोजेस्ट्रोन और पेट के सीटी स्कैन जैसे अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं|

*हाइपोटेंशन*

यदि आपका रक्तचाप 120/80 mm से कम है तो आपको निम्न रक्तचाप है| रक्त चाप की सामान्य रीडिंग 120/80 mm होती है|

*हाइपरटेंशन का उपचार*

उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के उपचार को दो भागों में बाँटा जाता है:---/

पहला: जीवनशैली में बदलाव और ऐसी बुरी आदतों से बचना जिनसे हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ता है|

दूसरा: एंटीहाइपरटेंसिव दवाइयों का उपयोग, जिससे किसी नयी जटिलता से भी बचा जा सकता है|

*जीवनशैली में बदलाव:--*

*रोगी को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए और कुछ महत्वपूर्ण बदलाव नीचे दिए गए हैं:--*

• नमक उपभोग 6 ग्राम (चम्मच) से कम रखें, यदि रोगी मधुमेह(डायबिटीज) जैसी दूसरी बीमारियों से ग्रस्त हो तो 3 ग्राम से कम नमक लेना चाहिए|

• बुरी आदतों से दूर रहें: धूम्रपान, शराब और उत्तेजक पदार्थों का सेवन बंद कर दें|

• खेलकूद: हाइपरटेंशन के रोगी को रोज आधा घंटे टहलना चाहिए| हलके व्यायाम करने से न केवल उच्च रक्तचाप ठीक होता है बल्कि दूसरी बीमारियों से भी सुरक्षा मिलती है|

• फल, सब्जी जैसी स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाएँ और उच्च वसा(फैट) वाले भोजन से बचें|

• वजन कम करें|

 

*दवाओं से उपचार:-*

डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर हाइपरटेंशन के उपचार के लिए दवाइयाँ देते हैं जो कई प्रकार की होती हैं:

• डाइयुरेटिक्स(मूत्रवर्धक): शरीर से अतिरिक्त नमक और तरल निकालने का काम करता है|

• अल्फा ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है और उन पर दबाव कम करता है|

• बीटा ब्लॉकर: हृदय के संकुचित होने की शक्ति कम करता है, इसकी गति कम करता है और रक्त वाहिनियों पर दबाव कम करता है|

• एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर (ACEI): रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है| इसे रक्तचाप कम करने की सबसे अच्छी दवा माना जाता है, खासतौर से किडनी और दिल की बीमारी वाले लोगों में|

• कैल्शियम चैनल ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों की दीवारों को फैलाता है और हृदय पर दबाव कम करता है|

• रेनिन इन्हिबिटर: किडनी से रेनिन का स्राव रोकता है या कम कर देता है क्योंकि इस एंजाइम से रसायनिक प्रतिक्रियाएँ होती जो उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती हैं| लकवे (स्ट्रोक) से बचने के लिए डॉक्टर रोज कम डोज की एस्प्रिन लेने की सलाह देते हैं|

*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*

• केसर: यह रक्तचाप कम करता है| इसे भोजन में मिलाकर या सीधे खाया जा सकता है|

• सेलरी: उच्च रक्तचाप को ठीक करने के लिए ताजी सेलरी को बिना पकाए खाएँ|

• गाजर: रक्तचाप कम करने के लिए गाजर खाएँ या इसका जूस पिएँ|

• ब्रोकली: ताजी ब्रोकोली खाएँ, इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो एंटीहाइपरटेंसिव के रूप में काम करते हैं और पकाने से ख़त्म हो सकते हैं इसलिए इसे कच्चा ही खाना चाहिए|


*हाइपोटेंशन का उपचार*

• विटामिन बी युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करें| ऐसा माना जाता है कि यह रक्तचाप और रक्त प्रवाह को सुधारता है|

• शक्कर और उच्च वसा वाली चीजें कम खाएँ| सब्जियों और फलों की मात्रा पर ध्यान दें|

•रोज सही मात्रा में पानी पिएँ, पानी की कमी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है|

•डॉक्टर की सलाह लेकर अधिक नमक और सोडियम वाली डाइट लें जिससे खून बढ़ता है और रक्तचाप भी बढ़ता है|

•स्वास्थ्यवर्धक पेय पिएँ और गर्म पेय पदार्थों से बचें|

•आरामदायक मोज़े पहनें, इससे रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और रक्तचाप सही रहता है|

*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*

•जौ (बार्ले): 3 चम्मच जौ को पीसकर 3 चम्मच मिनरल वाटर में मिलाएँ और 7 घंटे के लिए ढक कर छोड़ दें| इस मिश्रण को सुबह-शाम पिएँ| रक्तचाप कम करने के इस नुस्खे में आप स्वाद बढ़ाने के लिए फल भी मिला सकते हैं|

• चुकंदर (बीटरूट): चुकंदर को सलाद या जूस के रूप में नींबू के रस के साथ पिया जा सकता है| यह रक्तचाप कम करने में बहुत प्रभावी है|

• मुनक्का (रेजिन): प्राकृतिक रूप से रक्तचाप कम करने का यह बहुत अच्छा उपाय है| 30-40 मुनक्कों को रात भर पानी में भिगोएँ और सुबह खाली पेट खाएँ|

*हाइपरटेंशन*

उच्च रक्तचाप होने पर स्थिति की सही जाँच और आवश्यक उपचार के लिए तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में जाएँ|रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतें|

नीचे कुछ टिप्स दिए गए हैं जो अस्पताल से सही उपचार मिलने तक रक्तचाप को कम करने में सहयोग करेंगे|

•साँस लेना: रक्तचाप कम करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है|

• टहलें: तेज गति से टहलना रक्तचाप घटाने का अच्छा तरीका है| इसलिए प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करने की सलाह दी जाती है|

• लहसुन खाएँ: लहसुन में शरीर के लिए आवश्यक कई पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप कम करने में सहायक होते हैं|

• बादाम: बादाम खाने से रक्तचाप कम होता है| •लाल मिर्च खाएँ: लाल मिर्च रक्तचाप कम करने में सहायक है|

•कोकोआ: कोको में तनाव हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने और इस प्रकार रक्तचाप को कम करने की क्षमता होती है|

*हाइपोटेंशन*

 
•पीठ के बल लेट जाएँ और पैर ऊपर उठाएँ|

• एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद और चुटकी भर नमक मिलाकर कर तुरंत पिएँ|

•इस स्थिति में कॉफ़ी पीने से तुरंत लाभ मिलता है|

• ढेर सारा पानी पिएँ|
-

///'///'//////////////////

*उच्च रक्त चाप (High B.P.)के लक्षण व उपचार*

 रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द, थकावट, टांगों में दर्द, उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।

*हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण*:

1) मोटापा

2) तनाव (टेंशन)

3) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन

4) ज्यादा नमक उपयोग करना

 

अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-

1) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।

2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है.लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है.यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।

3) एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।

5) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें.3-4 हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।

6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। उपचार है हितकारी।

7) तुलसी की 10 पती और नीम की 3 पत्ती पानी के साथ खाली पेट 7 दिवस तक लें।

8) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में 2 घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।

9) नंगे पैर हरी घास पर 15-20 मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।

10) सौंफ़, जीरा, शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।

11) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है.आलू में सोडियम (नमक) नही होता है।

12) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं अन्य।

13) नमक दिन भर में 3 ग्राम से ज्यादा न लें।

14) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।

15) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।

16) केला, अमरूद, सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।

17) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।

18) सूखे मेवे: - 

जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।

19) चावल :-

( भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक, कोलेस्टरोल, और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।

20) अदरक: -

प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

21) लालमिर्च: -

धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।
-
-

नींद के लिए आसान घरेलु उपाय

Following information has been collected from a Whatsapp group.  Writer us not known to me but the contents are apparently good and can be useful if used as per need. 


पर्याप्त निद्रा उत्तम स्वास्थ का प्रतीक है क्यो निद्रा जीवन के लिए आवश्यक है और जानिये गहरी नींद के लिए  आसान घरेलु उपाय_*


आयुर्वेद के अनुसार जिन व्यक्तियों को रात में गहरी नींद आती है तथा वह सुबह के समय 4 बजे अपना बिस्तर छोड़ देते हैं तो इससे उनके शरीर की सभी धातुएं साम्यावस्था में रहती हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का आलस्य नहीं होता है तथा उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है। इससे उनके शरीर की सुन्दरता बढ़ती है, उत्साह बढ़ता है तथा उनकी जठराग्नि प्रदीप्त होती है और उन्हें भूख खुलकर लगती है।

यदि हम केवल कार्य ही करते रहें और नींद न लें तो एक समय ऐसा आएगा कि हम शारीरिक और मानसिक रूप से किसी भी कार्य को करने के अयोग्य हो जाएंगे। ऐसी दशा में या तो हम पागल हो जाएंगे अथवा मर जाएंगे। महिलाएं अपने बच्चों के सो जाने पर जगाकर दूध और भोजन इसलिए कराती हैं कि उनके बच्चे भूखे सो गये हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम होता है कि उनके भूख और भोजन से भी अधिक लाभकारी निद्रा होती है। इसी प्रकार छात्र-छात्राएं विभिन्न तरीकों से अपनी नींद को त्यागकर रात भर अध्ययन करते रहते हैं। ऐसा करने से उन विद्यार्थियों की आंखें दुर्बल हो जाती हैं और उनका मस्तिष्क भी कुंठित हो जाता है। इससे उनका प्राकृतिक स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। नींद के सम्बन्ध में एक कहावत प्रसिद्ध है कि वे व्यक्ति बहुत कुछ कर सकते हैं जो खूब अच्छी प्रकार से सोना जानते हैं।

*गहरी नींद लाने के सरल उपाय*

1• नियमित रूप से व्यायाम करने से भी हमें गहरी नींद आती है जो कि हमारे शरीर के लिए अधिक उपयोगी होती है।

2• जो व्यक्ति अधिक परिश्रम करते हैं उन्हें हमेशा गहरी नींद आती है जबकि आलसी और निठल्ले व्यक्तियों को नींद नहीं आती है और वे रातभर करवटे बदलते रहते हैं।

3• हमें प्रतिदिन प्रसन्न और शांत मन से सोना चाहिए। इससे हमें गहरी नींद आती है।

4• हमें सूर्यास्त होने से पहले ही रात्रि का भोजन कर लेना चाहिए ताकि सोने से पहले हमारा भोजन पूर्णरूप से पच चुका हो। इस प्रकार का नियम रखने से हमें गहरी नींद आती है। बिलकुल खाली पेट और अधिक पेट भरा होने पर अच्छी नींद नहीं आती है। सोने से पहले दूध पीने से भी अच्छी नींद आती है।

5• गहरी नींद के लिए प्रतिदिन हमें शौच के बाद ठंडे पानी से अपने हाथ-पैरों और मुंह को धोकर सोना चाहिए।

6• हमारे सोने की जगह शांत-स्वच्छ और हवादार होनी चाहिए तथा बिस्तर भी साफ-सुथरा होना चाहिए। शांत और अंधेरे स्थान में सोने से भी गहरी नींद आती है।

7• सोते समय मनुष्य की स्थिति का उसके स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है वैसे तो जिस व्यक्ति को जिस करवट सोना अच्छा लगता है उसे उसी करवट ही सोना चाहिए। किंतु प्रायः चित्त होकर सोने से नींद में स्वप्न अधिक आते हैं। छाती पर हाथों को रखकर उत्तान सोना तो बिल्कुल ही खराब है। बाईं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे श्वासनली सीधी रहती है और शरीर में प्राणवायु का संचार बिना किसी रोक-टोक के होता रहता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि शरीर के बाईं ओर की नाड़ी को इड़ा तथा दाहिनी ओर की नाड़ी को पिंगला कहते हैं। इड़ा नाड़ी में चन्द्रमा की तथा पिंगला नाड़ी से सूर्य की शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार चन्द्रमा की ठंडक के साथ सूर्य की गर्मी मिलने से मनुष्य प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहता है। यही कारण है कि बाईं करवट सोने वाले व्यक्ति काफी लम्बी उम्र वाले होते हैं। फिर भी जिन्हें हृदय सम्बंधी रोग हो तो उन्हें बाईं ओर की करवट न सोकर दाहिनी ओर की करवट लेकर सोना ही अधिक लाभकारी होता है।

8• क्रोध, घृणा, प्रेम, चिंता, अधिक भोजन, अधिक परिश्रम, रोग, भय, चाय, जर्दा, काफी, शोरगुल तथा सोने के कमरे में तेज रोशनी होने से नींद कम आती है। जहां तक हो सके हमें इससे बचना चाहिए।

9• बिस्तर पर लेटने के बाद कंघी से बालों को धीरे-धीरे संवारने से जल्द और गहरी नींद आती है।

10• हमें प्रतिदिन अपने मन को एकाग्रचित रखने के बाद ही सोना चाहिए। ऐसा करने हमें बहुत अच्छी नींद आती है। सोने से पहले हमें कुछ देर तक अवश्य टहलना चाहिए। इस दौरान हमें मस्तिष्क पर बिल्कुल भी जोर नहीं देना चाहिए।

11• नींद लेने के लिए हमें भूलकर भी नींद की गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि नींद की गोलियों का हमारे शरीर पर घातक प्रभाव होता है।

12• सोने से पहले मंत्र “सोऽहम्´´ का जाप करने से भी अच्छी नींद आती है। इससे 10 मिनट के अन्दर ही नींद आ जाती है। इस मंत्र के उच्चारण के लिए सांस लेते समय “सो´´ और सांस को बाहर निकालते समय “हम“ कहना चाहिए।

13• बूढ़े व्यक्तियों को 24 घंटों में केवल एक बार भोजन करने से उन्हें अच्छी नींद आती है।

14• सोते समय सिर को ऊंचा और बाकी धड़ को नीचा रखना चाहिए। इससे गहरी और अच्छी नींद आती है। सिर को ऊंचा रखने के लिए सिर के नीचे तकिया रखना चाहिए।

15• सोने से पहले अपने दोनों पैरों को 5-10 मिनट तक हल्के गर्म पानी में रखते हैं। इससे मस्तिष्क में एकत्रित रक्त पैरों की तरफ उतर आएगा क्योंकि मस्तिष्क में अधिक रक्त होने के कारण गहरी नींद नहीं आती है। ऐसा करने से हमारा मस्तिष्क ठंडा हो जाता है जिससे अच्छी नींद आती है।

16• ठंडे पानी से स्नान करने के बाद गर्म कपडे़ पहनकर सोने से भी अच्छी नींद आती है।सोते समय हमें हल्के कपड़े पहनने चाहिए।

17• सोते समय दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके ही सोना चाहिए |

19. दालचीनी व दूध के सेवन से

20. मेथी के दाने को हाथ के दोनों अगूंठे के नाखून के पास चिपकाने से

21. पँचगगव्य धृत नाक में डालने से

जियो जी भर डॉ राव पी सिंह
*नींद लेने का निर्धारित समय*

आमतौर पर प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए। जिस प्रकार प्रत्येक प्राणी के लिए भोजन की मात्रा निर्धारित करना आसान नहीं होता है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए नींद का निश्चित समय निर्धारित करना मुश्किल नहीं होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ व्यक्तियों की नींद बहुत जल्द ही पूरी हो जाती है तो कुछ व्यक्ति पूरी रात सोते हैं परन्तु इसके बावजूद भी उनकी नींद पूरी नहीं होती है। नवजात शिशु प्राकृतिक रूप से अधिक सोता है। इसका कारण यह होता है कि उसे अपने शरीर की वृद्धि और विकास के लिए अधिक नींद की आवश्यकता होती है। नवजात शिशु कम से कम 15-16 घंटे प्रतिदिन सोता है। वृद्धों, रोगियों, प्रसूता महिलाओं और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है। महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अधिक नींद की आवश्यकता होती है तथा गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक नींद लाभदायक होती है।

*अधिक नींद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक*

आवश्यकता से अधिक नींद लेना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अधिक सोने से उम्र घटती है। इसी प्रकार नींद पूरी किये बिना ही उठ जाना रोगों का कारण होता है। अधिक नींद लेने से हमारे शरीर में भारीपन आता है और शरीर में मोटापा बढ़ता है और आलस्य और सुस्ती भी आती है। हमें सोने के लिए अधिक समय पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि गहरी नींद के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि 4 घंटे की गहरी नींद 8 घंटे की स्वप्नयुक्त नींद से अच्छी होती है।

*परिचय*
रात में नींद न आना अथवा रात को देर तक जगे रहने को अनिद्रा (Anidra)कहते हैं।

*अनिद्रा (Anidra) का कारण*

★ अनिद्रा रोग का खास कारण चिंता को माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अति उत्तेजित है, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, कैफीन जैसे उत्तेजक पदार्थ लेता है, गंदे वातावतण में रहता है, ज्यादा मेहनत करता है, बासी और गरिष्ठ भोजन का सेवन करता है, धूम्रपान करता है, नींद की गोलियां लेता है, नशा ज्यादा करता है, तो उसे अनिद्रा का रोग हो सकता है। अनिद्रा रोग का एक कारण स्नायु-संस्थान की गड़बड़ी होना भी हो सकता है।

लक्षण-

★ आंखों का लाल होना, आंखों में नींद भरी होना, किसी भी काम में मन न लगना आदि अनिद्रा रोग के लक्षण होते हैं।

अनिद्रा रोग का खास कारण चिंता को माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अति उत्तेजित है, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, रात को सोने से पहले हाथ-पैरों के अंगूठे तथा अंगुलियों पर प्रेशर देने से नींद अच्छी आती है। इसके अलावा दाएं हाथ की अंगुलियों और बाएं हाथ की अंगुलियों को आपस में जोड़कर प्रेशर देने से अनिद्रा रोग दूर हो जाता है। इस प्रकार चिकित्सा करने से तनाव दूर होता है  फलस्वरूप नींद अच्छी  आती है

 *1. जीरा (Cumin Seeds)* 

जीरा culinary spice होता है जो पेट की पाचन शक्ति को बढ़ाकर शरीर की नींद को भी ठीक करता है। पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में नींद को बढ़ाने के लिए इसे काफी फायदेमंद औषधि माना जाता था। जीरे के तेल को भी काफी फायदेमंद माना जाता है।

एक केले को मसलकर उसमें एक चम्मच जीरे का पाउडर मिला लें। रोज रात को सोने से पहले इसका सेवन करें। जीरे का पाउडर बनाने के लिए उसे सुखाकर भून लें और फिर पीसकर पाउडर बना लें।

थकान और अशांति से लड़ने के लिए आप जीरे की चाय का सेवन भी कर सकते हैं। अक्सर इसके सेवन से अनिद्रा और थकान पल भर में दूर हो जाती है। चाय बनाने के लिए एक चम्मच जीरे को पांच सेकंड के लिए हलकी आंच में सेंके, अब इसमें एक कप पानी मिलकर उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक कि पानी में जीरे का खूब नजर न आने लगे। अब इसे ठंडा होने दें और फिर छान लें। आपकी जीरे की चाय तैयार है। इसका सेवन भी रोज रात को सोने से पहले करें।

 *2. जायफल (Nutmeg)* 

जायफल में शामक गुण (sedative properties) होते हैं जो प्राकृतिक निद्रा को बढ़ावा देते हैं।

एक चौथाई चम्मच जायफल के पाउडर को एक कप गर्म दूध में घोलें। इसे सोने से पहले सेवन करें।

या फिर आप एक चौथाई चम्मच जायफल के पाउडर को एक कप गर्म पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। इसे भी सोने से पहले सेवन करें।

या फिर एक चुटकी जायफल के पाउडर को एक चम्मच आंवला में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। यह उपाय अनिद्रा के साथ-साथ बदहजमी और डिप्रेशन का भी इलाज करेगा।

 *3. केसर (Saffron)* 

केसर में शांति देने वाले गुण (mild sedative properties) नींद आने के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

केसर की दो लड़ों को एक कप गर्म दूध में मिलाएं।

इसे रात को सोने से पहले सेवन करें।

 *4. कैमोमाइल टी (Chamomile Tea)* 

प्राचीन काल से ही कैमोमाइल टी को नींद प्रदान करने वाली औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता आ रहा है। हालाँकि इसका मुख्य कारण तो अभी तक पता नहीं चला है लेकिन कुछ शोधों से यह बात सामने आई है कि कैमोमाइल में मौजूद apigenin नामक यौगिक इसका कारण हो सकता है।

नींद लाने के लिए और रिलैक्स होने के लिए रोज सोने से पहले एक कप कैमोमाइल टी का सेवन करें। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें दालचीनी और शहद भी डाल सकते हैं।

 *5. केला (Banana)* 

केले का सेवन भी नींद लाने के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें नियासिन एमिनो एसिड होता है जो सेरोटोनिन (serotonin) के लेवल को बढ़ाकर स्लीप पैटर्न को नियंत्रित करने में मदद करता है। केला आपने मूड को ठीक करने में भी मदद करता है और पाचन शक्ति को भी ठीक रखता है।

 *6. गर्म दूध* 

दिमाग और शरीर को आराम देने के लिए गर्म दूध काफी फायदेमंद घरेलू नुस्खा होता है। केले की तरह इसमें भी नियासिन एमिनो एसिड होता है जो नींद को बढ़ावा देता है।

एक कप गर्म दूध में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं।

इसके सोने के एक घंटे पहले सेवन करें।

 *7. मेथी का जूस (Fenugreek Juice)* 

मेथी का जूस चिंता, अनिद्रा और चक्कर आने की समस्या को दूर करता है।

मेथी की ताजा पत्तियों को पीसकर जूस तैयार करें।

रोज दो चम्मच मेथी के जूस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

 *8. वेलेरियन (Valerian)* 

वेलेरियन एक औषधीय हर्ब है जिसमें मांसपेशियों को आराम प्रदान करने वाले गुण होते हैं। यह रिलैक्सेशन को पैदा करके डीप स्लीप (deep sleep) को बढ़ावा देती है।

डेढ़-डेढ़ चम्मच वेलेरियन और जायफल को दो कप गर्म पानी में मिलाएं। 15 मिनट के लिए रखा रहने दें और फिर पानी को छानकर सेवन करें। इस उपचार को दो हफ्तों से ज्यादा समय के लिए न करें क्योंकि इसके कारण कुछ ह्रदय सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

वेलेरियन टी के सेवन से भी लाभ मिलता है।

आप सिर्फ आधा चम्मच वेलेरियन के रस को एक कप पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं। इस उपाय को दिन में तीन बार करें।

 *9. हॉट बाथ (Hot Bath)* 

सोने के दो-तीन घंटे पहले हॉट बाथ लेने से नींद अच्छी आती है। यह शरीर को आराम देती है और तंत्रिका तंत्र शांत करती है।

इस उपाय को और ज्यादा कारगर बनाने के लिए पानी में कुछ बूंदे soothing essential oils जैसे बाम रस, कैमोमाइल आयल, लैवेंडर आयल आदि की डाल लें।

 *10. एप्पल साइडर विनेगर और शहद* 

एप्पल साइडर विनेगर में एमिनो एसिड्स होती हैं जो थकान को दूर करती हैं। इसके साथ ही यह शरीर में मौजूद फैटी एसिड्स को तोड़कर नियासिन (tryptophan) में परिवर्तित कर देता है जो इनसोम्निया को दूर करने में लाभदायक है। शहद इन्सुलिन और सेरोटोनिन के स्त्राव को बढ़ाकर नींद आने में मदद करता है। सेरोटोनिन एक ब्रेन केमिकल होता है जो नींद के चक्र (sleep cycle) को नियंत्रित करता है।

सेरोटोनिन का लेवल कम होने पर नींद बार-बार टूटती है और ठीक से लगती नहीं है। वहीँ दूसरी ओर सेरोटोनिन का लेवल अत्यधिक होने पर अधिक नींद आती है। इसलिए अपनी जरुरत अनुसार उपचार को अपनाकर सेरोटोनिन के लेवल को बीच का रखें।

दो-दो चम्मच आर्गेनिक एप्पल साइडर विनेगर और शहद को एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं। इसे सोने से पहले पियें।

या फिर, दो चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को एक कप शहद में मिलकर टॉनिक भी बनाई जा सकती है। इस टॉनिक को एक चम्मच रोज सेवन करें।

ऊपर दिए उपायों को अपनाने के साथ-साथ आपको अपनी लाइफस्टाइल को ठीक करने की भी जरुरत है जैसे सोने और उठने की नियमित दिनचर्या बनायें, रात को जल्दी सोयें और सुबह जल्दी उठें, रात का खाना जल्दी खाएं और जरुरत से ज्यादा न खाएं, नियमित योग करें, कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन न करें। यदि इन उपायों से भी आपको नींद आने में कठिनाई महसूस होती हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें

*अच्छी नींद पाने के लिए घरेलू नुस्खे*

1-अच्छी नींद के लिए रात को सोने से पहले 20 ग्राम चमेली के फूलों की 600 मि.ली. पानी में उबालें और फिर उसको पानी में मिलाकर नहाएं, इससे अच्छी नींद आएगी और मस्तिष्क फ्रेश रहता है!

2-सोने से पहले सेब का मुरब्बा खाए यह गहरी नींद लाने में बहुत सहायक होता है!

3-एक सेब के टुकडो को दो गिलास पानी में उबाले फिर ठंडा करके सेब को मसल कर पानी को छान ले फिर अपने स्वाद के अनुसार नमक मिला कर पियें!

4-अनिंद्रा के रोगियों को सोते समय नींबू , शहद को एक गिलास पानी में मिलाकर पिए अच्छी नींद आएगी!

5-रात को सिर पर लौकी के तेल की मालिश करने से अच्छी नींद आती है |यह नींद के लिए अच्छा घरेलू नुस्खा है!

1-अनिंद्रा के रोगियों को दाना मेथी का एक इंच मोटा तकिया बनाकर अपने तकिये पर यह तकिया रखे और इस पर सिर रखकर सोने से गहरी नींद आयेगी!

2-अनिंद्रा के रोगियों को रात में नाक के दोनों नथुनों में 2 -2 बूंद गुनगुना घी डालें और फिर नाक से साँस ले उसके बाद दो तीन घी की बुँदे नाभि पर भी डालकर मालिश करे! ऐसा करने से नाक खुल जाती है जिससे खर्राटे भी नहीं आएंगे यह अच्छी नींद पाने के लिए अच्छा घरेलू नुस्खा है!

4-अनिंद्रा के रोगियों को सोते समय गर्म दूध में केसर की तो तीन पत्तीयां डालकर पीना चाहिए यह अच्छी नींद पाने के लिए बेहतरीन उपाय है!

5-दही में पीसी हुई काली मिर्च सौंफ तथा चीनी मिलाकर पियें, गहरी नींद के लिए दही का सेवन बहुत लाभकारी होता है!

6-सोने से पहले गर्म दूध पीने से भी अच्छी नींद आती है, अगर दूध में थोड़ा-सा शहद मिला लिया जाए तो और भी अच्छा है! शाम के समय चाय, कॉफी और अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

Tuesday, September 28, 2021

अतिसार (या दस्त) की सरल चिकित्सा

 Note: Following is copied from whatsapp message.  If you believe you may follow it.  First verify, experiment and then accept it, only if found and experienced right from your view.

*प्राकृतिक चिकित्सा - ३१*

*अतिसार (या दस्त) की सरल चिकित्सा*

कई बार जब हम पचने में भारी या हानिकारक वस्तुएँ अधिक मात्रा में खा लेते हैं, जिन्हें पचाना हमारी पाचन शक्ति की सीमा से बाहर होता है, तो हमारी आँतें उसका रस चूसे बिना जल्दी-जल्दी बाहर फेंकने लगती हैं। वे वस्तुएँ तरल रूप में हमारे मलाशय में एकत्र होती रहती हैं और जल्दी-जल्दी निकलती रहती हैं। इसी को हम अतिसार (डायरिया) या दस्त कहते हैं। वैसे दिन में दो बार शौच आना तो अनिवार्य एवं स्वाभाविक है, और कभी-कभी आवश्यकता होने पर तीसरी बार भी जा सकते हैं। लेकिन यदि इससे अधिक बार शौच जाना पड़ रहा है और पतला मल निकल रहा है, तो उसे दस्त ही मानना चाहिए।

दस्त होना इस बात का प्रमाण है कि हमारी पाचन प्रणाली पर बहुत अधिक बोझ डाल दिया गया है और उसे आराम की आवश्यकता है। यह बात समझ में आ जाने पर दस्त का इलाज करना सरल हो जाता है। दस्त होने पर सबसे पहले तो कुछ भी खाना पूरी तरह बन्द कर देना चाहिए। यदि हम बाहर से आँतों पर कोई बोझ नहीं डालेंगे, तो पाचन प्रणाली को आवश्यक आराम मिल जायेगा। इसलिए दस्त शुरू होते ही उपवास प्रारम्भ कर देना चाहिए।

दूसरी बात, दस्तों के कारण हमारा समस्त पाचन तंत्र अस्त-व्यस्त हो जाता है। उसे ठीक से व्यवस्थित करने के लिए पेड़ू पर मिट्टी अथवा ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए। एनीमा देने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी पट्टी दिन में दो या तीन बार रखने की जरूरत हो सकती है। शरीर में पानी की कमी न हो जाये, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए, भले ही कितने भी पतले दस्त क्यों न हो रहे हों। अच्छा हो यदि उबला हुआ पानी ठंडा करके पिया जाये।

ध्यान रखें कि प्रत्येक दस्त होने के 15 मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए, इससे पहले नहीं। इसके अलावा हर घंटे पर एक गिलास पानी अवश्य पीते रहना चाहिए। दस्त में रोगी बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए उसे केवल आराम करना चाहिए।

दस्त पूरी तरह बन्द हो जाने पर रोगी को पहले तरल पदार्थ जैसे सब्जियों का सूप, दाल, उबली सब्जी, पतला दलिया या खिचड़ी आदि देनी चाहिए। उनके पच जाने और भूख लगने पर ही ठोस आहार देना प्रारम्भ करना चाहिए। बार-बार दस्त होना या दस्त के साथ खून आना पाचन क्रिया और मलनिष्कासन तंत्र की बड़ी खराबी का संकेत है। इसके उपचार के लिए किसी अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

*-- डॉ विजय कुमार सिंघल*
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596

Sunday, September 26, 2021

शरीर की सभी नसों को खोलने का उपाये जानिये

  Note: Following is copied from whatsapp message.  If you believe you may follow it.  First verify, experiment and then accept it, only if found and experienced right from your view.

आयुर्वेदिक सलाह/उपाय :--
शरीर की सभी नसों को खोलने का उपाये जानिये
   दिन में सिर्फ़ एक बार यह साधारण सा उपाय करके देखिए, सिर के बाल से पैर की उंगली तक सारी नसें मुक्त होने का आपको स्पष्ट अनुभव होगा कि सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा, आपके शरीर की नसें मुक्त होने का स्पष्ट अनुभव होगा। हाथ–पैर में होने वाली झंझनाहट (खाली चढ़ना) तुरंत बंद हो जाती हैं,
    पुराना घुटनों का दर्द और कमर, गर्दन या रीड की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ गई है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी, पुराना एड़ी का दर्द भी ठीक हो जाएगा।
    इस उपाये से बहुत से लोगों के लाखों रुपए बच सकते हैं। पैर में फटी एड़ियां और डैड स्किन रिमूव हो जाती है और पैर कोमल हो जाते हैं और इसके पीछे जो विज्ञान और आयुर्वेद है.
👉🏻 *यह उपाय करने के लिए हमें घर में ही उपलब्ध कपूर और नींबू, ये दो चीजें चाहियें। इस उपाय को करने के लिए डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान पैर को सहन होने जितना गरम हो, उसमे आधे नींबू का रस निचोड़े और फिर नींबू को भी उस पानी में डाल दें,*
   *फिर दूसरी चीज कपूर है–कोई भी कपूर हो। कपूर की तीन गोलिय् बारीक पीस कर उसका पाउडर बना लें, यह भी उस पानी में मिला लें, फिर पांच से दस मिनट तक पैरों को इस पानी में डाल कर रखें।*
    जैसे ही आप पैरों को पानी में डालेंगे, तो आपको इससे सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा। आपके सिर के बालों से पैर तक की सारी नसें मुक्त होने का स्पष्ट रूप से अनुभव होगा। इसका कारण यह है कि हमारे पैरों में २७२ प्रकार के प्रेशर पॉइंट होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी नसों के साथ जुडे होते हैं।
👉🏻 *यह नींबू और कपूर वाला गुनगुना पानी इन २७२ प्रकार के प्रेशर पॉइंट्स को मुक्त कर देता है और इससे शरीर की सारी नसें एकदम से रीएक्टिवेट हो जाती हैं और पूरी तरह से मुक्त हो जाती हैं, ऐसा अनुभव होता है।*
    इस उपाय में सिर्फ पांच से दस मिनट तक इस पानी में पैर डाल कर रखने है और यह दिन में कभी भी सुबह या शाम को कर सकते हैं।
👉🏻 *इससे हाथ, पैर में होने वाली झनझनाहट (खाली चढ़ना) बंद हो जाती हैं और कोई नस दबी या अकड़ गई हो, तो वह खुल जाएगी और सिरदर्द भी इस उपाय से बंद हो जाता है*।
    जिन लोगों को माइग्रेन की तकलीफ हो वह भी, पानी में पैर रखने के साथ ही बन्द हो जायेगी। अगर स्नायु अकड़ गये हों या शरीर दर्द कर रहा हो तो यह उपाय करके देखिए।
नोट:-- इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं है और यह उपाये सरल रूप से किया जा सकता है।
   यह उपाय पांच दिन करना है। यह उपाय दिखने में तो सरल लगता है मगर इस का रिज़ल्ट बहुत ही अच्छा और असरदार होता है।
If you like it and experience good results you may share it with others

Saturday, September 25, 2021

लिवर की समस्या से छुटकारा पाना है तो

लिवर की समस्या से छुटकारा पाना है तो जाने ये 8 नुस्खे

Note: Following is copied from whatsapp message.  If you believe you may follow it.  First verify, experiment and then accept it, only if found and experienced right from your view.

 


यह तो आप जानते ही होंगे कि लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है। यह हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त भी लिवर के अनेक काम हैं।

बोलना ग़लत न होगा कि हमारा स्वास्थ्य प्रत्यक्ष रूप से हमारे लिवर के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। सबसे अच्छी वस्तु यह है कि हमारा लिवर ख़ुद ब ख़ुद क्षतिग्रस्त सेल्स को रिप्लेस कर देता है, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि हमारी कुछ आदतें लिवर को इतना क्षतिग्रस्त कर देती हैं कि उसे अच्छा कर पाना नामुक़िन हो जाता है। तो जानिए क्या हैं ये आदतें, ताकि समय रहते उन्हें सुधारकर आप अपने लिवर को ख़राब होने से बचा सकें।


*शराब का सेवन*


शराब हमारे लिवर का सबसे बड़ा शत्रु है। यह लिवर के लिए धीमे जहर का कार्य करता है। जरूरत से अधिक शराब का सेवन करने से लिवर की कार्यक्षमता घटती है व यह शरीर से ठीक तरीका से टॉक्सिन्स निकालने में असमर्थ हो जाता है। हाल ही में हुए अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि दिनभर में तीन या उससे अधिक ग्लास शराब का सेवन करने से लिवर कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।


*दवाओं का अत्यधिक सेवन*


बहुत से लोगों को छोटे-मोटे दर्द में बिना चिकित्सक की सलाह लिए पेन कातिल खाने की आदत होती है। यह आदत लिवर के लिए बेहद हानिकारक है, क्योंकि पेन कातिल लिवर व किडनी को नुक़सान पहुंचा सकती है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग फिट रहने व वज़न कम करने के लिए भिन्न भिन्न तरह के सुन्दर विज्ञापनों से देखकर दवाएं ले लेते हैं। इन दवाओं के सेवन से भी लिवर को नुक़सान पहुंचता है। पैरासिटामोल भी लिवर के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक़ पैरासिटामोल की हैवी डोज़ लिवर को नाकाम कर सकती है। शराब पीने वालों के लिवर को यह दवा दुगुना नुक़सान पहुंचाती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप ख़ुद को पेन कातिल का अधीन न बनाएं व चिकित्सक की सलाह लिए बिना इनका सेवन न करें।


*धूम्रपान*


सिगरेट लिवर को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। सिगरेट के धुंए में पाए जाने वाले जहरीले केमिकल्स अंत में लिवर तक पहुंचते हैं व लिवर सेल्स को नुक़सान पहुंचाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका लिवर स्वस्थ रहे तो सिगरेट पीने की आदत छोड़ दें।


*नींद की कमी*


जरनल ऑफ एनॉटमी में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक़ नींद की कमी से लिवर पर अधिक दबाव पड़ता है। लिवर के साथ साथ अपने शरीर के अन्य अंगों को अच्छा रखने के लिए हमें 8 घंटे की नींद लेना ज़रूरी होता है।


*ज़्यादा प्रोटीन का सेवन*


शोध कहते हैं कि अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन शरीर के लिए नुक़सानदेह होता है। पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट के बिना ज़्यादा प्रोटीन का सेवन लिवर से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है इसलिए मीट व अंडे के साथ हरी सब्ज़ियां व स्टार्च भी भरपूर मात्रा में ग्रहण करना चाहिए।


*मोटापा*


मोटापा भी लिवर के लिए ख़तरनाक होता है। ज़्यादा खाने से शरीर में चर्बी बढ़ जाती है, जो स्टोरिंग सेल से बाहर आकर लीवर में जमा होने लगती है। जिससे लिवर डैमेज होने लगता है। इतना ही नहीं, लिवर के फैटी होने से हार्ट व कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है इसलिए अपने आहार व एक्सरसाइज़ पर ध्यान दें। इन दोनों पर ध्यान न देने की आदत आपका फैट की चर्बी बढ़ा सकती है व जैसा कि हमने बताया फैट की चर्बी आपके लिवर के लिए नुक़सानदायक होता है।


*अत्यधिक मात्रा में प्रोसेस्ड फूड का सेवन*


ज़रूरत से ज़्यादा प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से लिवर के ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है, क्योंकि प्रोसेस्ड फूड में भरपूर मात्रा में प्रिज़र्वेटिव्स, एडिटिव्स व आर्टिफिशियल स्वीटनर्स होते हैं, जो लिवर को नुक़सान पहुंचाते हैं।


*नाश्ता न करना*


सुबह का नाश्ता सबसे जरूरी भोजन होता है। क्योंकि जब हम प्रातः काल उठते हैं तो एनर्जी बहुत कम होती है, ऐसे में नाश्ता न करने से शरीर का एनर्जी लेवल व कम हो जाता है व लिवर को अपना कार्य करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए भूल कर भी प्रातः काल का नाश्ता स्किप न करें, यह आपके शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए ज़रूरी है।



*करें इन चीज़ों का सेवन*


 डेली डायट में सेब व हरी सब्ज़ियों की मात्रा बढ़ा दें। सेब व पत्तेदार सब्जियों में उपस्थित पेक्टिन पाचन तंत्र में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लिवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्ज़ियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।


 एवोकैडो व अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लिवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो व अखरोट में मौजूद

ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफ़ाई करता है।


 लिवर की बीमारियों के उपचार के लिए मुलेठी का प्रयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके प्रयोग के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस पानी को दिन में एक या दो बार पीएं।


हल्दी लीवर के लिए बहुत फ़ायदेमंद होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण उपस्थित होते हैं व यह एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करती है। अतःहल्दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक ग्लास दूध में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पीएं।


 एप्पल साइडर विनेगर लिवर में उपस्थित विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। खाने से पहले एप्पल साइडर विनेगर पीने से शरीर की चर्बी घटती है। एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर सिरका मिलाएं व इसे दिन में दो से तीन बार लें।


आंवला भी लिवर के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। इसमें लिवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व उपस्थित होतो हैं। लिवर के स्वस्थ रखने के लिए दिन में 4-5 कच्चे आंवले का सेवन करें।

------------@------------@@-------------------------

*पथरी के लिए घरेलू उपचार* 
 
नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।

15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।

आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।

सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। 

आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा।

@@@@@@@@@@@@@@@@@@

कमजोर इम्युनिटी का संकेत हैं ये 6 लक्षण, कोरोना से बचने को दें ध्यान
 

कोरोना वायरस के गंभीर खतरे से बचाने के लिए अभी तक वैक्सीन का ही सहारा है, ऐसे में हमारा इम्यून सिस्टम इस लड़ाई में सबसे अहम भूमिका निभाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना वायरस की चपेट में वो लोग आसानी से आ जाते हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है.


इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे कि पहले से कोई बीमारी या फिर जरूरत से ज्यादा सिगरेट या शराब पीने की आदत. इसके अलावा पूरी नींद ना लेने और खराब खान-पान से भी इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इम्यून सिस्टम कमजोर होने से आप बार-बार बीमार पड़ सकते हैं और आपको ठीक होने में काफी वक्त लग सकता है. अगर आपमें ये 6 लक्षण दिखते हैं तो आपका इम्यून सिस्टम भी कमजोर है.


*हर समय थकान महसूस होना*
हमेशा थकान और सुस्ती महसूस होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे की नींद पूरी ना होना, तनाव, एनीमिया या क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम. अगर आपको इसकी वजह पता नहीं चल रही है और पूरी नींद लेने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम कमजोर है.

https://chat.whatsapp.com/DXjtOih2naM5jVkDEvQBWg

*बार-बार बीमार पड़ना*
मौसम बदलने पर बीमार पड़ना आम बात है, खासकर सर्दियों के महीनों में. लेकिन अगर आप हर मौसम में बार-बार बीमार पड़ते हैं, तो ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है. इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया, वायरस और बीमारी से लड़ता है. अगर आप को अक्सर यूरिन इन्फेक्शन, मुंह के छाले, जुकाम या फ्लू की शिकायत रहती है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.


*एलर्जी की शिकायत*
बहुत से लोगों को एलर्जी की शिकायत होती है जिसकी वजह से उन्हें मौसमी बुखार होता रहता है. लेकिन अगर आपकी आंखों में हमेशा पानी रहता है, खाने की किसी चीज से आपको रिएक्शन हो जाता है, स्किन रैशेज, जोड़ों में दर्द और पेट में हमेशा दिक्कत रहती है तो ये भी आपके इम्यून सिस्टम के कमजोर होने का एक संकेत हो सकता है.


*घाव भरने में समय लगना*
घाव भरने के दौरान स्किन पर सूखी पपड़ी बनती है जो खून को शरीर से बाहर निकलने से रोकती है. अगर आपका घाव जल्दी नहीं भरता है तो हो सकता है कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया हो. यही समस्या सर्दी और फ्लू के साथ भी है. ज्यादातर लोग एक सप्ताह के बाद ठीक हो जाते हैं, लेकिन अगर आपको अधिक समय फ्लू रहता है, तो हो सकता है कि आपका शरीर संक्रमण से नहीं लड़ पा रहा है.


*पाचन की समस्या*
आंतों में मौजूद बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम पर सीधा प्रभाव डालते हैं. अगर आपको बार-बार दस्त, अल्सर, गैस, सूजन, ऐंठन, या कब्ज की शिकायत रहती है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका इम्यून सिस्टम सही से काम नहीं कर रहा है. प्रोबायोटिक्स, लैक्टोबैसिली और बिफीडो अच्छे बैक्टीरिया होते हैं और ये संक्रमण से आंत की रक्षा करते हैं. इन बैक्टीरिया की कम मात्रा भी इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाती है.


कमजोर इम्यून सिस्टम सेहत पर सीधा प्रभाव डालता है जिसकी वजह से आपको थकावट से लेकर बाल झड़ने तक की शिकायत हो सकती है. अपनी इम्युनिटी मजबूत करने के लिए आपको हेल्दी डाइट के साथ एक्सरसाइज करना चाहिए और भरपूर नींद लेनी चाहिए.


कुछ स्टडीज में यह पाया गया है कि कुछ खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और शरीर में अन्य आक्रामक वायरस से लड़ने की क्षमता को मजबूत करते हैं. आइए जानते हैं कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आप डाइट में किन चीजों को शामिल कर सकते हैं.

*नोनी जूस-*
नोनी जूस को सुपर फ्रूट भी कहा जाता है। इसमें लगभग 196+ न्यूट्रिशन मिलते है। जो कि आपके शरीर की विभिन्न तरफ से स्वस्थ रहने में मदद करता हैं प्रतिदिन 10 ML से 30 ML की मात्रा (शरीर व वजन के हिसाब से कम ज्यादा हो सकती है) आपको जरूरत के न्यूट्रिशन प्रदान करता है। बच्चे, बड़े व बूढ़े व्यक्ति (सभी) इसका इस्तेमाल कर सकते है। व अपने इम्यून सिस्टम को ताकत प्रदान कर सकते है। खरीदने के लिए व ओर अधिक जानकारी के लिए हमे 7503033565 पर व्हाट्सएप्प करे। 
*400ML pack*
*MRP: 599/-* 


*लाल शिमला मिर्च-*
 फल और सब्जियों में लाल शिमला मिर्च में सबसे ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है. अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, एक कप कटी हुई लाल शिमला मिर्च में लगभग 211 फीसदी विटामिन C होता है, जो कि संतरे में पाए जाने वाले विटामिन C का दोगुना होता है. 2017 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार विटामिन सी शरीर में उन कोशिकाओं को मजबूत करता है जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं. साथ ही यह श्वसन संक्रमण के खतरे को भी कम करता है. विटामिन सी शरीर के ऊतकों को भी मजबूत बनाता है.


*ब्रोकली-*
 ब्रोकली भी विटामिन सी से भरपूर होती है. आधे कप ब्रोकली में 43 फीसदी विटामिन सी होता है. National Institutes of Health के अनुसार आपके शरीर को रोजाना इतने ही विटामिन C की जरूरत होती है. अमेरिका के EHE Health में फिजिशियन डॉक्टर सीमा सरीन का कहना है, 'ब्रोकोली फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है. इसमें विटामिन E भी होता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है और ये बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता है.


*चने-*
 चने में बहुत सारा प्रोटीन होता है. इसमें अमीनो एसिड से बना आवश्यक पोषक तत्व पाया जाता है जो शरीर के ऊतकों को बढ़ने और मजबूत करने में मदद करता है. Academy of Nutrition and Dietetics के अनुसार, यह एंजाइमों को सही ढंग से बनाए रखता है ताकि हमारे शरीर का सिस्टम ठीक से काम कर सके. डाइटिशियन एमिली वंडर का कहना है कि चने में प्रचुर मात्रा में जिंक पाया जाता है जो इम्यून सिस्टम और इम्यून रिस्पॉन्स को नियंत्रित करता है.


*स्ट्रॉबेरी-*
डाइटिशियन एमिली वंडर का कहना है कि एक दिन के विटामिन C की जरूरत को पूरा करने के लिए आधा कप स्ट्रॉबेरी काफी है क्योंकि आधे कप स्ट्रॉबेरी में 50 फीसदी विटामिन C पाया जाता है. एमिली कहती हैं, 'पर्यावरण की वजह से हमारे कोशिकाओं को कई तरीके से नुकसान पहुंचता है और विटामिन C इन्हें क्षतिग्रस्त होने से बचाता है.'


*लहसुन-*
 डॉक्टर सीमा सरीन का कहना है, 'लहसुन खाने में स्वाद तो बढ़ाता ही है, यह सेहत के लिए भी कई तरीके से फायदेमंद है, जैसे ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़े खतरों को कम करना. लहसुन में पाये जाने वाले सल्फर यौगिक की वजह से यह संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है. इसके अलावा ये इम्यूनिटी भी बढ़ाता है. लहसुन शरीर को सर्दी-खांसी से भी बचाता है.


*मशरूम-*
 एमिली वंडर का कहना का कहना है कि विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की किरणें ही हैं लेकिन यह मशरूम सहित कुछ खास खाद्य पदार्थों के जरिए भी पाया जा सकता है. 2018 में विटामिन डी स्रोत के रूप में मशरूम के उपयोग पर एक समीक्षा की गई थी. इसमें पाया गया कि मशरूम कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है, जो हड्डियों के लिए अच्छा है. इसके अलावा यह कुछ प्रकार के कैंसर और श्वसन रोगों से भी रक्षा करता है.


*पालक-*
 डॉक्टर सरीन कहती हैं, 'पालक विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है जो पर्यावरण से होने वाले नुकसान से हमारी कोशिकाओं को बचाता है. इसके अलावा, इसमें बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो विटामिन A का मुख्य स्रोत है. विटामिन A इम्यून फंक्शन को सही ढंग से चलाने के लिए जरूरी होता है. ब्रोकली की तरह ही पालक को भी कच्चा या थोड़ा ही पकाया जाना अच्छा माना जाता है.


*योगर्ट-*
योगर्ट प्रोबायोटिक्स का सबसे अच्छा स्रोत है. डॉक्टर सरीन के अनुसार यह अच्छा बैक्टीरिया होता है, जो इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र को सही रखता है. हाल ही में हुए कुछ अध्ययनों में भी प्रोबायोटिक्स को सामान्य सर्दी और इन्फ्लूएंजा जैसे श्वसन संक्रमण से लड़ने में प्रभावी पाया गया है. डॉक्टर सरीन फ्लेवर्ड की बजाय सादा योगर्ट खाने की सलाह देती हैं.


*सूरजमुखी के बीज*
डाइटिशियन एमिली कहती हैं, 'सूरजमुखी के बीज में खूब सारा विटामिन E पाया जाता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और इम्यूस सिस्टम को बढ़ाने में मदद करता है.' National Institutes of Health के अनुसार सूखे भुने हुए सूरजमुखी के बीज का केवल एक औंस आपको एक दिन में 49 फीसदी विटामिन E दे सकता है.