BY Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj
चावल -
यह मूलतः भारत एवं चीन में पाया जाता है | इसकी विश्व के सभी उष्ण कटिबंधीय एवं उप उष्णकटिबंधीय देशों में कृषि होती है | चावल के शीतल एवं शक्तिवर्धक होने की वजह से इसका प्रयोग प्राचीन काल से भोज्य के रूप में किया जा रहा है । आयुर्वेद की संहिताओं में चावल के कई भेदों का उल्लेख प्राप्त होता है | धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर के छिलकों को अलग किया जाता है | बिना छिलकों के धान के दानों को चावल कहा जाता है | यह मुख्यतः बारिश के मौसम की फसल है | आयुर्वेद के अनुसार केवल ६० दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं | कारखाने में पॉलिश किये गए चावलों की अपेक्षा हाथकूट के चावल उत्तम होते हैं |
आईये जानतें हैं चावल के कुछ औषधीय गुण -
यह मूलतः भारत एवं चीन में पाया जाता है | इसकी विश्व के सभी उष्ण कटिबंधीय एवं उप उष्णकटिबंधीय देशों में कृषि होती है | चावल के शीतल एवं शक्तिवर्धक होने की वजह से इसका प्रयोग प्राचीन काल से भोज्य के रूप में किया जा रहा है । आयुर्वेद की संहिताओं में चावल के कई भेदों का उल्लेख प्राप्त होता है | धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर के छिलकों को अलग किया जाता है | बिना छिलकों के धान के दानों को चावल कहा जाता है | यह मुख्यतः बारिश के मौसम की फसल है | आयुर्वेद के अनुसार केवल ६० दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं | कारखाने में पॉलिश किये गए चावलों की अपेक्षा हाथकूट के चावल उत्तम होते हैं |
आईये जानतें हैं चावल के कुछ औषधीय गुण -
नौसादर (SALLAMONIAC ) -
१- नौसादर-४ ग्राम,सुहागा-४ ग्राम और सौंफ-२ ग्राम को अच्छी तरह बारीक पीसकर उसमें ४ ग्राम मीठा सोडा मिलाकर रख लें| इसमें से आधे से दो ग्राम की मात्रा में सुबह,दोपहर और शाम को रोगी को देने से पेट की बीमारियों में आराम होता है |
२- फिटकरी,सेंधानमक तथा नौसादर बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें | इसे प्रतिदिन सुबह-शाम मसूड़ों व दाँतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं |
३- नौसादर को पानी में घोलकर ,उसमें एक साफ़ कपड़ा भिगोकर गांठ के ऊपर रखने से लाभ होता है |
४- एक कप पानी में एक चुटकी नौसादर डालकर दिन में तीन बार पीने से खांसी ठीक हो जाती है |
५- नौसादर और कुटकी को जल में मिलाकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है |
१- नौसादर-४ ग्राम,सुहागा-४ ग्राम और सौंफ-२ ग्राम को अच्छी तरह बारीक पीसकर उसमें ४ ग्राम मीठा सोडा मिलाकर रख लें| इसमें से आधे से दो ग्राम की मात्रा में सुबह,दोपहर और शाम को रोगी को देने से पेट की बीमारियों में आराम होता है |
२- फिटकरी,सेंधानमक तथा नौसादर बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें | इसे प्रतिदिन सुबह-शाम मसूड़ों व दाँतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं |
३- नौसादर को पानी में घोलकर ,उसमें एक साफ़ कपड़ा भिगोकर गांठ के ऊपर रखने से लाभ होता है |
४- एक कप पानी में एक चुटकी नौसादर डालकर दिन में तीन बार पीने से खांसी ठीक हो जाती है |
५- नौसादर और कुटकी को जल में मिलाकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है |
गर्मी के मौसम में पसीना आना स्वाभाविक है | इस पसीने को यदि साफ़ न किया जाए तो यह शरीर में ही सूख जाता है और इसकी वजह से शरीर में छोटे -छोटे दाने निकल आते हैं जिन्हें हम घमौरियां या प्रिकली हीट कहते हैं | घमौरी एक प्रकार का चर्म रोग है जो गर्मियों तथा बरसात में त्वचा पर हो जाता है | इसमें त्वचा पर छोटे -छोटे दाने निकल आते हैंजिनमें हर समय खुजली होती रहती है | घमौरियों से निजात पाने के लिए हम आपको कुछ सरल उपाय बताते हैं -
फिटकरी -
फिटकरी आमतौर पर सब घरों में प्रयोग होती है | यह लाल व सफ़ेद दो प्रकार की होती है | अधिकतर सफ़ेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है | यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है | फिटकरी में और भी बहुत गुण होते हैं | आज हम आपको फिटकरी के कुछ गुणों के विषय में बताएंगे -
१- यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे रक्तस्त्राव हो रहा हो तो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है |
२- आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है |
३- भुनी हुई फिटकरी १-१ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उलटी बंद हो जाती है |
४- प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथामुँहकी बदबू ख़त्म हो जाती है |
५- एक लीटर पानी में १० ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें | इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं |
६- दस ग्राम फिटकरी के चूर्ण में पांच ग्राम सेंधा नमक मिलाकर मंजन बना लें | इस मंजन के प्रतिदिन प्रयोग से दाँतो के दर्द में आराम मिलता है |
फिटकरी आमतौर पर सब घरों में प्रयोग होती है | यह लाल व सफ़ेद दो प्रकार की होती है | अधिकतर सफ़ेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है | यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है | फिटकरी में और भी बहुत गुण होते हैं | आज हम आपको फिटकरी के कुछ गुणों के विषय में बताएंगे -
१- यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे रक्तस्त्राव हो रहा हो तो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है |
२- आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है |
३- भुनी हुई फिटकरी १-१ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उलटी बंद हो जाती है |
४- प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथामुँहकी बदबू ख़त्म हो जाती है |
५- एक लीटर पानी में १० ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें | इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं |
६- दस ग्राम फिटकरी के चूर्ण में पांच ग्राम सेंधा नमक मिलाकर मंजन बना लें | इस मंजन के प्रतिदिन प्रयोग से दाँतो के दर्द में आराम मिलता है |
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