Reason For Financial Hardships may be following :
आपकी आर्थिक परेशानी के यह सात कारण हो सकते
हैं
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धन को आदर दें
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संसार का नियम है कि आप जब किसी को आदर देते हैं...
तभी वह आपके पास ठहरता है। यही बात धन के साथ
लागू है। कुछ लोगों की आदत होती है कि वह रूपया
गिनते समय खूक लगाकर गिनती करते हैं जो अनुचित
तरीका है। ऐसे करने से धन का अपमान होता है।
सोते समय ऐसी गलती नहीं करें
=====================================
सोना सिर्फ आपके आराम के लिए और शरीर की
थकान मिटाने के लिए नहीं है। शास्त्रों में शयन को
योग क्रिया कहा गया है जो व्यक्ति के मस्तिष्क
और बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करता है।
इससे आपकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती
है। जो व्यक्ति धन और देवी लक्ष्मी की कृपा चाहते
हैं उन्हें सोने से पहले बिस्तर को अच्छी तरह से साफ
कर लेना चाहिए।
बेहतर तरीका यह है कि सोने से पहले बिछावन पर
साफ चादर बिछा लें। गंदे और अपवित्र स्थान पर शयन
करने से नकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।
इससे मन में नकारात्मक विचार आते हैं, शरीर में उर्जा
की कमी महसूस होती है।
भोजन का आदर करें
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लक्ष्मी का एक स्वरूप अन्न भी है। इस रूप से देवी
लक्ष्मी शरीर का पोषण करती है। भारत सहित
दुनिया के अनेक देशों में लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा
होती है। इसलिए जब भोजन सामने आए तब उसे आदर
पूर्वक प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए।
भोजन करते समय पूरा भोजन करने के बाद उठना
चाहिए। एक बार उठ जाने के बाद फिर से वही भोजन
करना जूठन खाना कहलाता है जिससे लक्ष्मी
नाराज होती हैं। भोजन करते समय पैर भोजन की ओर
नहीं हो इसका ध्यान रखें।
कुछ लोग क्रोध आने पर भोजन की थाली फेंक देते हैं,
इस तरह की आदत धन वैभव एवं पारिवारिक सुख के
लिए नुकसान दायक होता है।
झाडू रखें छुपाकर
====================================
झाडू का उपयोग भले ही घर की गंदगी साफ करने के
लिए किया जाता है लेकिन इसका आपकी समृद्धि में
बड़ा ही महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि झाडू
को हमेशा छुपाकर रखना चाहिए। ताकि बाहर से
आने वाले व्यक्ति की नजर इस पर नहीं जाए।
झाडू को हमेशा आदर के साथ रखना चाहिए। कभी
भी पटकर कर या पैरों मारकर झाडू का अपमान नहीं
करें। अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो घर बदलते
समय झाडू को साथ जरूर लेकर जाएं।
ऐसे सिर नहीं खुजाएं
=====================================
आमतौर पर सिर में खुजाहट होने पर सभी व्यक्ति सिर
खुजा लेते हैं। इसमें कुछ बुराई भी नहीं है लेकिन अगर
आप अपने दोनों हाथों से सिर में खुजली करना शुरू कर
देते हैं तो यही शास्त्रानुसार गलत हो जाता है।
दोनों हाथों से सिर खुजाना शुभ नहीं माना जाता
है। इससे लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं।
इस समय कंघी नहीं करें
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बालों को संवारने के लिए दिन में भले ही आप
जितनी बार चाहें कंघी कर लें, लेकिन शाम ढ़लने के
बाद कंघी नहीं करें। रात में कंघी करना और सोते समय
इत्र लगाना धन के लिए नुकसानदायक माना गया है।
पत्नी और बेटी के साथ ऐसा नहीं करें
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पत्नी को शास्त्रों में गृहलक्ष्मी कहा गया है। जबकि
बेटी और अविवाहित कन्याओं को देवी का स्वरूप
माना गया है। जो व्यक्ति इनका अपमान करते हैं। इन
पर हाथ उठाते हैं उनके घर की सुख शांति चली जाती
है। धन का क्षय भी लगातार होता रहता है।
ऐसे बढ़ाएं अपना धन
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लक्ष्मी की कृपा बनी रहे इसके लिए गैर जरूरी खर्चों
पर अंकुश रखें और संचय की आदत डालें। संचय का मतलब
सिर्फ बैंक में जमा करना नहीं है। संचय का तात्पर्य है
कि अपनी आय से कुछ धन जरूरत मंदों को दान दें।
असली संचय इसे कहा गया है। जो व्यक्ति इस प्रकार
का संचय करता है उसकी जमा पूंजी में निरंतर वृद्घि
होत है।
हैं
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धन को आदर दें
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संसार का नियम है कि आप जब किसी को आदर देते हैं...
तभी वह आपके पास ठहरता है। यही बात धन के साथ
लागू है। कुछ लोगों की आदत होती है कि वह रूपया
गिनते समय खूक लगाकर गिनती करते हैं जो अनुचित
तरीका है। ऐसे करने से धन का अपमान होता है।
सोते समय ऐसी गलती नहीं करें
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सोना सिर्फ आपके आराम के लिए और शरीर की
थकान मिटाने के लिए नहीं है। शास्त्रों में शयन को
योग क्रिया कहा गया है जो व्यक्ति के मस्तिष्क
और बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करता है।
इससे आपकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती
है। जो व्यक्ति धन और देवी लक्ष्मी की कृपा चाहते
हैं उन्हें सोने से पहले बिस्तर को अच्छी तरह से साफ
कर लेना चाहिए।
बेहतर तरीका यह है कि सोने से पहले बिछावन पर
साफ चादर बिछा लें। गंदे और अपवित्र स्थान पर शयन
करने से नकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।
इससे मन में नकारात्मक विचार आते हैं, शरीर में उर्जा
की कमी महसूस होती है।
भोजन का आदर करें
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लक्ष्मी का एक स्वरूप अन्न भी है। इस रूप से देवी
लक्ष्मी शरीर का पोषण करती है। भारत सहित
दुनिया के अनेक देशों में लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा
होती है। इसलिए जब भोजन सामने आए तब उसे आदर
पूर्वक प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए।
भोजन करते समय पूरा भोजन करने के बाद उठना
चाहिए। एक बार उठ जाने के बाद फिर से वही भोजन
करना जूठन खाना कहलाता है जिससे लक्ष्मी
नाराज होती हैं। भोजन करते समय पैर भोजन की ओर
नहीं हो इसका ध्यान रखें।
कुछ लोग क्रोध आने पर भोजन की थाली फेंक देते हैं,
इस तरह की आदत धन वैभव एवं पारिवारिक सुख के
लिए नुकसान दायक होता है।
झाडू रखें छुपाकर
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झाडू का उपयोग भले ही घर की गंदगी साफ करने के
लिए किया जाता है लेकिन इसका आपकी समृद्धि में
बड़ा ही महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि झाडू
को हमेशा छुपाकर रखना चाहिए। ताकि बाहर से
आने वाले व्यक्ति की नजर इस पर नहीं जाए।
झाडू को हमेशा आदर के साथ रखना चाहिए। कभी
भी पटकर कर या पैरों मारकर झाडू का अपमान नहीं
करें। अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो घर बदलते
समय झाडू को साथ जरूर लेकर जाएं।
ऐसे सिर नहीं खुजाएं
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आमतौर पर सिर में खुजाहट होने पर सभी व्यक्ति सिर
खुजा लेते हैं। इसमें कुछ बुराई भी नहीं है लेकिन अगर
आप अपने दोनों हाथों से सिर में खुजली करना शुरू कर
देते हैं तो यही शास्त्रानुसार गलत हो जाता है।
दोनों हाथों से सिर खुजाना शुभ नहीं माना जाता
है। इससे लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं।
इस समय कंघी नहीं करें
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बालों को संवारने के लिए दिन में भले ही आप
जितनी बार चाहें कंघी कर लें, लेकिन शाम ढ़लने के
बाद कंघी नहीं करें। रात में कंघी करना और सोते समय
इत्र लगाना धन के लिए नुकसानदायक माना गया है।
पत्नी और बेटी के साथ ऐसा नहीं करें
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पत्नी को शास्त्रों में गृहलक्ष्मी कहा गया है। जबकि
बेटी और अविवाहित कन्याओं को देवी का स्वरूप
माना गया है। जो व्यक्ति इनका अपमान करते हैं। इन
पर हाथ उठाते हैं उनके घर की सुख शांति चली जाती
है। धन का क्षय भी लगातार होता रहता है।
ऐसे बढ़ाएं अपना धन
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लक्ष्मी की कृपा बनी रहे इसके लिए गैर जरूरी खर्चों
पर अंकुश रखें और संचय की आदत डालें। संचय का मतलब
सिर्फ बैंक में जमा करना नहीं है। संचय का तात्पर्य है
कि अपनी आय से कुछ धन जरूरत मंदों को दान दें।
असली संचय इसे कहा गया है। जो व्यक्ति इस प्रकार
का संचय करता है उसकी जमा पूंजी में निरंतर वृद्घि
होत है।
"People will respect you Only by two reasons...
Either you have power OR your behaviour is helpful.
First one is temporary But second is permanent"
Interesting Story
पति के घर में प्रवेश करते ही
पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा :
"पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता किया, वहाँ भी नहीं पहुँचे! मामला क्या है?"
"वो-वो... मैं..."
...
पति की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, "बोलते नही? कहां चले गये थे। ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये?"
"वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।"
पति थोड़ी हिम्मत करके बोला।
"क्या कहा? तुम्हारी मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हे क्या तकलीफ है?"
आग बबूला थी पत्नी!
उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं।
"इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता। तुम समझ क्यों नहीं रहीं।"
पति ने दबीजुबान से कहा।
"क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ!"
पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था।
"अब ये हमारे पास ही रहेगी।"
पति ने कठोरता अपनाई।
"मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ। वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महारानीजी को भी यहाँ आते जरा भी लाज नहीं आई?"
कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी!
झेंपते हुए पत्नी बोली:
"मां, तुम?"
"हाँ बेटा! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया। दामाद जी को फोन किया, तो ये मुझे यहां ले आये।"
बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गद् नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली।
"आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे?"
पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा :
"पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता किया, वहाँ भी नहीं पहुँचे! मामला क्या है?"
"वो-वो... मैं..."
...
पति की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, "बोलते नही? कहां चले गये थे। ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये?"
"वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।"
पति थोड़ी हिम्मत करके बोला।
"क्या कहा? तुम्हारी मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हे क्या तकलीफ है?"
आग बबूला थी पत्नी!
उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं।
"इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता। तुम समझ क्यों नहीं रहीं।"
पति ने दबीजुबान से कहा।
"क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ!"
पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था।
"अब ये हमारे पास ही रहेगी।"
पति ने कठोरता अपनाई।
"मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ। वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महारानीजी को भी यहाँ आते जरा भी लाज नहीं आई?"
कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी!
झेंपते हुए पत्नी बोली:
"मां, तुम?"
"हाँ बेटा! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया। दामाद जी को फोन किया, तो ये मुझे यहां ले आये।"
बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गद् नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली।
"आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे?"
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