Sunday, September 13, 2015

Know About Gathia Rog Known As Joint Pain , Arthritis

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गठिया रोग कारण, लक्षण और उपाय:-
क्या आप गठिया रोग से पीडित हैं?आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने “आम” वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है। इसमें जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है। यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में ज...
मा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।

गठिया रोग या संधिवात में रोगी के गांठों में असह्य दर्द होता है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो)) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है। गठिया का रोग मसालेदार भोजन और शराब पीने से संबद्ध है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाये जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है।

यूरिक अम्ल मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है। यह प्रायः गुर्दे से बाहर आता है। जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आने (यह सामान्य कारण है) अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है, तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा (जोड़ों के स्थल) हो जाते है। रक्षात्मक कोशिकाएं इन क्रिस्टलों को ग्रहण कर लेते हैं जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निर्मुक्त हो जाते हैं। इसी से प्रभावित जोड़ खराब होते हैं-

गठिया रोग का लक्षण क्या हैं
सभी गठिया विकारों के लिए आम लक्षण दर्द के विभिन्न स्तरों शामिल हैं, सूजन, जोड़ों की कठोरता और कभी कभी संयुक्त (एस) के चारों ओर एक निरंतर दर्द. एक प्रकार का वृक्ष और रुमेटी गठिया जैसी बीमारियों के भी लक्षण के एक किस्म के साथ शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकते हैं.

हाथ का उपयोग करने के लिए या चलने में असमर्थता

अस्वस्थता और थकान का अहसास

बुखार

नींद कम आना

मांसपेशियों में दर्द और बदन दर्द

चलते समय कठिनाई होना

मांसपेशियों में कमजोरी

लचीलेपन की कमी

एरोबिक फिटनेस में कमी

पुरुषों में रक्त जांच में Uric acid की मात्रा 7.2 mg/dl से अधिक आने पर Hyperuricemia / Gout का निदान किया जाता हैं।

महिलाओ में रक्त जांच में Uric acid की मात्रा 6.1 mg/dl से अधिक आने पर Hyperuricemia / Gout का निदान किया जाता हैं

जोड़ो के पानी की जांच और मूत्र जांच में अधिक मात्रा में Uric acid के पाए जाने पर गठिया रोग का निदान किया जाता हैं।

गठिया रोग का क्या कारण हैं
औरतों में एसट्रोजन की कमी के कारण भी अर्थराइटिस होता है।

थइराइड में विकार के कारण भी यह बीमारी होती है।

त्वचा या खून की बीमारी जैसे ल्यूकेमिया आदि होने पर भी जोड़ों में दोष पैदा हो जाता है।

अधिक खन-पान और शारीरिक कामों में कमी के कारण, शरीर में आयरन और कैल्शियम की अधिकता होने से भी यह रोग हो सकता है।

कई बार शरीर के दूसरे अंगों के संक्रमण भी जोड़ों को प्रभावित करते हैं जैसे टाइफायड या पैराटाइफायड में बीमारी के कुछ हफ़्तों बाद घुटनों आदि में दर्द हो सकता है।

आतों को प्रभावित करने वाले रिजाक्स नामक किटाणु जोड़ों में भी विकार पैदा करते हैं।

पोषण की कमी के कारण , खा़सतौर से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से रिह्यूमेटायड आर्थराइटिस होता है जिससे जोड़ों में दर्द , सूजन गांठों में अकड़न आ जाती है।

गठिया रोग में कैसा आहार लेना चाहिए
गठिया रोग में रक्त में यूरिक अम्ल की मात्रा अधिक बढ़ने (Hyperuricemia) के कारण यूरिक अम्ल को नियंत्रण करनेवाला आहार लेना चाहिए। इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

अधिक पोटैशियम युक्त आहार लेना चाहिए जैसे की केला, दही, रतालू, मक्का, बाजरा, दलिया, जव, सूखे आडू इत्यादि।

अधिक जटिल प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए जैसे की जामुन, अजवाइन, अजमोदा, गोभी इत्यादि।

ऐसा आहार लेना चाहिए जिसमे प्यूरीन की मात्रा कम हो जैसे की अंडा, पनीर, चावल, मकई, साबुत गेहू की ब्रेड, सिरका इत्यादि।

अधिक Bromelain और Vitamin C युक्त आहार लेना चाहिए जैसे की अलसी, अननस, निम्बू, लाल गोभी, जैतून का तेल इत्यादि।

ज्यादा प्यूरीन युक्त आहार नहीं लेना चाहिए जैसे की खमीर, झींगा, सूअर का मांस, प्रसंस्कृत मांस, फूलगोभी, पालक, मटर, मशरूम, शीतपेय, गोश्त इत्यादि।

गठिया रोग का इलाज
१) सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक ३ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।

२) आलू का रस १०० मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।

३) संतरे के रस में १५ मिलि काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।

४) लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ ५०-५० ग्राम लें।इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। २ चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह-शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।

५) लहसुन की कलियां ५० ग्राम लें।सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ २-२ ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।

६) हर सिंगार के ताजे पती ४-५ नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें ३-४ सप्ताह में गठिया और वात रोग नियंत्रित होंगे। जरूर आजमाएं।

७) बथुआ के पत्ते का रस करीब ५० मिलि प्रतिदिन खाली पेट पीने से गठिया रोग में जबर्दस्त फ़ायदा होता है। अल सुबह या शाम को ४ बजे रस लेना चाहिये।जब तक बथुआ सब्जी मिले या २ माह तक उपचार लेना उचित है।रस लेने के आगे पीछे २ घंटे तक कुछ न खाएं। बथुआ के पत्ते काटकर आटे में गूंथकर चपाती बनाकर खाना भी हितकारी उपाय है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई मामलों मे फ़लप्रद सिद्ध हो चुकी है।

८) पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ २-३ माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।

९) उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।

१०) चिकित्सा वैग्यानिकों का मत है कि गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।

11) भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।

१२) गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।

१३) अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।

१४) सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर १० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है।

१५) चिकित्सा वैज्ञानिकों का मत है कि गठिया रोगी को जिन्क,केल्शियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेते रहना लाभकारी है।

१६) गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थि-बंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।

१७) गठिया उग्र होने पर किसी भी प्रकार का आटा ३ हफ्ते तक भोजन में शामिल ना करें| बाद में धीरे धीरे उपयोग शुरू करें|

१८) पनीर ,दही,माखन,इमली,कच्चा आम का उपयोग बंद करने से लाभ होता है|

१९) शकर की जगह शहद उपयोग करे |

२०) हल्दी गठिया का दर्द घटाती है और सूजन भी कम करती है|

२१) प्याज,लहसुन और सेवफल का उपयोग हितकारी रहता है|

२२) एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर ३-४ मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह उपक्रम रोजाना १५-२० मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है


आटे की पंजीरी :-
न्यू मदर को ताकत देने वाली चीज़ें खाने की बहुत ज़रूरत होती है ताकि उसकी मांसपेशियों की रिकवरी अच्छे से हो. इसके लिए उसे कई प्रकार की चीज़ें खाने को दी जाती हैं जैसे गोंद के लड्डू, हलीम के लड्डू, गोंद पाग, मखाने का पाग, नारियल का पाग, हरीरा और खास जच्चा के लिए बनाई जाने वाली पंजीरी जिसमें कमरकस डाला जाता है जो उसके लिए बहुत लाभदायक होता है.

ज़रूरी सामग्री:
गेहूं का आटा – 1 कप (125 ग्राम)...

सूखा नारियल – आधा कप कद्दूकस किया हुआ
गुड़ की खांड – 3/4 कप (150 ग्राम)
देशी घी – 3/4 कप ( 150 ग्राम)
खाने वाला गोंद – 2 टेबल स्पून
काजू – 2 टेबल स्पून
बादाम – 2 टेबल स्पून
खरबूजे के बीज – 2 टेबल स्पून
छोटी इलाइची – 5 (छील कर पाउडर बना लें)
जीरा पाउडर – 1 छोटी चम्मच
अजवायन पाउडर – 1 छोटी चम्मच
सोंठ पाउडर (जिंजर पाउडर) – 1 छोटी चम्मच
अखरोट – 4-5
पिस्ते – 1 टेबल स्पून
कमरकस (Bengal Kino or Butea Frondosa)- 1 टेबल स्पून

बनाने की विधि:
आधा घी कढाई में डालकर गरम करें. इसमें 1 चम्मच गोंद को बारीक और छोटे टुकडों में तोड़कर डालें इसे हल्की आँच पर फूल कर ब्राउन हो जाने पर तल कर अलग प्लेट में निकाल लें.

अब बादाम को गरम घी में डाल कर 1-2 मिनत तक तल लें. जब ये हल्के ब्राउन हो जाएं तो इन्हें गोंद वाली प्लेट में ही निकाल लें. अब काजू, पिस्ता और अखरोट को भी बारी-बारी 1-1 मिनट के लिए तल कर निकाल लें.
अब खरबूजे के बीजों को कढा़ई में डालकर किसी थाली से ढक कर लगातार कलछी से चलाते हुए भूनें. जब बीज फूल कर हल्के ब्राउन होने लगें तो इन्हें निकाल कर किसी अलग प्लेट में रख लें.
कमरकस को गरम घी में डालें. ये तुरंत फूल कर सिक जाता है. इसलिए इसे तुरंत 1 मिनट में ही निकाल लें और एक अलग प्लेट में रख लें.
अब गैस को बिल्कुल धीमी कर दें और बचे हुए घी में अजवायन पाउडर, सौंठ पाउडर और जीरा पाउडर डाल कर हल्का सा भून लें. ग्रेटेड नारियल को इसमें मिला कर 1 मिनट तक चलाते हुए भून लें. फिर इसे खरबूजे के बीज वाले बर्तन में निकाल लें.
बचे हुए तेल को कढा़ई में डालकर पिघला लें. इसमें आटा डाल कर चलाते हुए हल्का ब्राउन होने तक और सौंधी महक आने तक मीडियम और धीमी आंच पर भून लें.
खरबूजे की बीज और मसाले, ग्रेटेड नारियल को छोड़ कर सारे तले ड्राई फ्रूट्स और कमरकस को मिक्सी में बारीक पीस लें. इन्हें पीस कर किसी बडे़ प्याले में निकाल लें. अब खांड, खरबूजे की बीज, मसाले और ग्रेटेड नारियल इसमें डाल कर मिला लें. भुने आटे को डाल कर इन सबको अच्छे से मिला लें.
न्यू मदर के लिए ताकत से भरी खास पंजीरी तैयार है. इसके 2-3 चम्मच उसे एक बार में खाने को दें. अगर उसे ये खाने में अच्छी नहीं लग रही तो इसका हल्वा बन कर उसे दें.
पंजीरी का हल्वा बनाएं:
2 चम्मच चीनी और आधा कप दूध को पैन में डालकर मिलाते हुए गाढा़ होने तक पकाएं. ज़रूरत लगे तो चीनी और थोडा़ देशी घी भी मिला लें. हल्वा तैयार है. इसे जच्चा को खाने को दें.

ध्यान दें:
अगर गुड़ की खांड ना मिले तो ब्राउन खांड या चीनी पाउडर भी डाल सकते हैं. अगर कोई ड्राई फ्रूट पसंद ना हो तो उसे ना डालें.


 

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