इसमें कंधों के आसपास दर्द उठता है और कई बार सिर को इधर-उधर घुमाना भी कष्टदायक हो जाता है। यह कोई रोग नहीं है बल्कि ग्रीवा के जोड़ों में विकार आ जाने के कारण ऐसा होता है। गलत तरीके से उठने-बैठने तथा कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदि पर सिर के बजाय पीठ झुकाकर काम करने से यह समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए इसमें कोई दवा काम नहीं करती। केवल उचित व्यायाम और सही तरीके से उठना बैठना ही इसका उपचार है।
निम्नलिखित व्यायामों को दिन में 4-5 बार नियमित रूप से करने पर स्पोंडिलाइटिस और सर्वाइकल का कष्ट केवल 5-7 दिन में अवश्य ही समाप्त हो जाता है।
*ग्रीवा*- (1) गर्दन को धीरे-धीरे बायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए। गर्दन में थोड़ा तनाव आना चाहिए। इस स्थिति में 2-3 सेकेंड रुक कर वापस सामने ले आइए। अब गर्दन को दायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए और फिर 2-3 सेकेंड रुक कर वापस लाइए। यही क्रिया 8-8 बार कीजिए। यह क्रिया करते समय कंधे बिल्कुल नहीं घूमने चाहिए। (2) यही क्रिया ऊपर और नीचे 8-8 बार कीजिए। (3) यही क्रिया अगल-बगल 8-8 बार कीजिए। इसमें गर्दन घूमेगी नहीं, केवल बायें या दायें झुकेगी। गर्दन को बगल में झुकाते हुए कानों को कंधे से छुआने का प्रयास कीजिए। अभ्यास के बाद इसमें सफलता मिलेगी। तब तक जितना हो सके उतना झुकाइए। (4) गर्दन को झुकाए रखकर चारों ओर घुमाइए- 8 बार सीधे और 8 बार उल्टे। अन्त में, एक-दो मिनट गर्दन की चारों ओर हल्के-हल्के मालिश कीजिए।
*कंधों के विशेष व्यायाम*- (1) वज्रासन में बैठ जाइए। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सारी उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। अब हाथों को गोलाई में धीरे-धीरे घुमाइए। ऐसा 10 बार कीजिए। (2) यही क्रिया हाथों को उल्टा घुमाते हुए 10 बार कीजिए। (3) वज्रासन में ही हाथों को दायें-बायें तान लीजिए और कोहनियों से मोड़कर उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। कोहनी तक हाथ दायें-बायें उठे और तने रहेंगे। अब सिर को सामने की ओर सीधा रखते हुए केवल धड़ को दायें बायें पेंडुलम की तरह झुलाइए। ऐसा 20 से 25 बार तक कीजिए।
यह तीसरा व्यायाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हमारी रीढ़ के ऊपरी सिरे पर यानी गरदन के पास 5 मुख्य जोड़ हैं और निचले सिरे पर यानी कमर के पास 3 मुख्य जोड़ होते हैं। इस व्यायाम से ये सभी 8 जोड़ ढीले हो जाते हैं। इस व्यायाम को ठीक से समझने के लिए संलग्न वीडियो देखिए।
सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस से बचने के लिए अपनी रीढ की हड्डी को हमेशा सीधा रखना चाहिए, चाहे बैठे हों, खड़े हों, लेटे हों या चल रहे हों
— *विजय कुमार सिंघल*
वैशाख कृ. ११, सं. २०७३ वि.
[29/04, 14:30] Vijay Singhal: नीचे दिये गये व्यायाम सुबह-शाम नियमित कीजिए।
इसके अलावा वीडियो में दिखाये गये वज्रासन में बैठने की कोशिश कीजिए। 10 सेकंड से शुरू करके रोज 5 सेकंड बढ़ाते हुए वज्रासन पर बैठने का समय बढाइए।
इससे धीरे धीरे घुटने ठीक हो जायेंगे।
*पैरों के सूक्ष्म व्यायाम*
1. सामने पैर लम्बे करके बैठें। आवश्यक हो तो हाथ बग़ल में रखकर सहारा दें।
2. पैरों के पंजों को दायें बायें हिलायें। १०-१२ बार
3. पैरों की उँगलियों को मोड़कर बंद करें और खोलें। १०-१२ बार
4. पैरों के पंजों को बाहर तानें और भीतर तानें। १०-१२ बार
5. पैरों के पंजों को गोलाई में घुमायें। फिर उल्टा घुमायें। १०-१० बार
6. दोनों पैरों के पंजों को बायीं तरफ इतना घुमायें कि ज़मीन से छू जायें। फिर दायीं ओर इसी तरह घुमाकर ज़मीन से छुआयें। ऐसा १०-१० बार करें।
7. दोनों घुटनों को उठायें और गिरायें जिससे पिंडलियां ज़मीन से टकरायें। १०-१२ बार।
(1) चित लेट जाइये। हाथों को कंधों की सीध में दोनों ओर फैला लीजिए। पैरों को सिकोड़कर घुटने ऊपर उठाकर मिला लीजिए। पैर जाँघ से सटे रहेंगे। अब दोनों घुटनों को एक साथ बायीं ओर ले जाकर जमीन पर रखिए और सिर को दायीं ओर घुमाकर ठोड़ी को कंधे से लगाइए। कुछ सेकण्ड इस स्थिति में रुककर घुटनों को घुमाते हुए दायीं ओर जमीन से लगाइए और सिर को घुमाते हुए ठोड़ी को बायें कंधे से लगाइए। इसतरह बारी-बारी से दोनों तरफ 10-10 बार कीजिए। यह मर्कटासन की प्रथम स्थिति है। इसे *क्वीन एक्सरसाइज* भी कहा जाता है।
(2) चित लेट जाइये। हाथों को कंधों की सीध में दोनों ओर फैला लीजिए। पैरों को सिकोड़कर घुटने ऊपर उठा लीजिए और पैरों में एक-डेढ़ फीट का अन्तर दीजिए। अब दोनों पैरों को एक साथ बायीं ओर ले जाकर जमीन से लगाइए और सिर को दायीं ओर घुमाकर ठोड़ी को कंधे से लगाइए। इस स्थिति में दायें पैर का घुटना बायें पैर की एड़ी को छूते रहना चाहिए। कुछ सेकण्ड इस स्थिति में रुककर घुटनों को उठाकर घुमाते हुए दायीं ओर जमीन से लगाइए और सिर को घुमाते हुए ठोड़ी को बायें कंधे से लगाइए। इस स्थिति में बायें पैर का घुटना दायें पैर की एड़ी को छूते रहना चाहिए। इस प्रकार बारी-बारी से दोनों तरफ 10-10 बार कीजिए। यह मर्कटासन की द्वितीय स्थिति है। इसे *किंग एक्सरसाइज* भी कहा जाता है।
ये दोनों व्यायाम स्वामी देवमूर्ति जी महाराज द्वारा आविष्कृत हैं। इनसे रीढ़ बहुत लचीली हो जाती है, जिससे रीढ़ का हर प्रकार का दर्द सही हो जाता है और सभी रोगों से मुक्ति पाने में भारी सहायता मिलती है। इन व्यायामों की विशेषता यह है कि इनको रोगी व्यक्ति भी अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे कर सकता है और पर्याप्त लाभ उठा सकता है।
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