Tuesday, August 20, 2019

सुविधा जनक मल मूत्र विसर्जन हेतु आसान उपाय

*शालीनता से जीयें / Ageing Gracefully*
                                भाग – XIX
                       --- By Sri जगमोहन गौतम
        *सुविधा जनक मल मूत्र विसर्जन हेतु आसान उपाय*

मित्रों,
*मल-मूत्र का स्वाभाविक रूप से  निष्कासन स्वास्थ का बैरोमीटर है।* इसके पूर्व हम Ageing Gracefully श्रृंखला के अंतर्गत स्वस्थ रहने के लिए कब, कैसे और क्या खाएं, क्या न खाएं एवं क्या अवश्य खाएं पर प्रकाश डाल चुके हैं। _शरीर के निष्कासन की क्रियाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि हम क्या खा रहे हैं।_ यहां में पुरातन समय के जीवन चर्या Life Style  विशेषज्ञ एवं जन साधारण के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य महर्षि बागभट जी के कथन *शरीर को जानिये, भोजन को पहचानिये* पर आपका ध्यान इस आशय से ले जा रहा हूँ कि भोजन क्या हो ? -- पर आप अपने शरीर के अनुसार, अपने नैसर्गिक गुणों का उपयोग करते हुए, स्वयं स्वस्थ रहने के लिए भोजन को पहचान कर इसका उपयोग करें। लाइफ स्टाइल के इन परखे नियमों को हम जीवन चर्या में ढाल ले तो स्वस्थ रहने के लिए यदि एक और हम आवश्यक पदार्थों की आपूर्ति कर सकते हैं तो वहीं दूसरी और अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकालने में भी सक्षम हो सकते हैं।

परंतु आज खान पान एवं दिन चर्या मैं आये हुए बदलाव के कारण मल मूत्र निष्कासन एक समस्या बन गया है जिसने अनेक असाध्य रोगों को जन्म दे दिया है। आयुर्वेद एवम प्राकृतिक चिकित्सा पद्यतियों में मल मूत्र विसर्जन सुगम न होना किसी भी रोग का मूल कारण माना गया है। आधुनिक जीवन शैली मैं आये आमूल परिवर्तन के कारण आज अधिकांश लोग मल-मूत्र विसर्जन की सुगमता के आनंद से वंचित होते जा रहे हैं। इसको लेकर नई पीढ़ी की उदासीनता बढ़ती जा रही है एवं विसर्जन कहीं भी, कभी भी के सिद्धांत का पालन कर रही है, जो भारतीय संस्कृति एवम मानवीय आवश्यकताओं से एक और मेल नहीं खाता है तो दूसरी और यह  गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है।

 अतः हम आज आपको उन उपायों से अवगत कराएंगे, जिनको यदि अपनाया जाय तो मल मूत्र निस्तारण सुगम होकर हमको शालीनता से जीवन व्यतीत करने की और ले जाएगा। हमारे सुझावों को अपनाने से पूर्व अपनी स्थिति स्पष्ट कर लें कि कहीं आप किसी असाध्य रोग के शिकार तो नहीं है, अतः डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें। -- जल का सेवन कम से कम 3-4 लीटर प्रति दिन अवश्य करें। प्रति घंटे आधे मैं एक गिलास जल अवश्य घूंट घूंट लेके पीते रहें। भोजन करने के एक घण्टे पूर्व एवम एक घण्टे के बाद ही जल पीएं। (देखें Ageing Gracefully के 6-ख में जल पीने के नियम)

1.  प्रात उठते ही बिना कुल्ला किये 2 से 3 गिलास जल/ करीब करीब सवा लीटर जल अवश्य पीएं। यदि गुनगुना जल हो एवं आधा नींबू निचोड़ा हो एवम 2 चम्मच शहद हो तो ज्यादा अच्छा। मुहँ में 10-20 सेकंड तक कुल्ला बनाकर घूंट घूंट बैठ कर ही जल पीएं।

2. नीचे क्रम 3,4,5, में बताए गए उपायों मैं से एक नियम को अपनाएं एवं कुछ दिनों तक उपयोग करें।

3.  रात्रि में सोते समय, किसी कटोरे में दूध लीजिए, इसमें देशी खांड (यदि मधुमेह नहीं है) एवं दो चम्मच ईसबगोल डाले और चम्मच से घुमाकर तुरंत पी जाएं। यह आवश्यक नहीं है कि इसबगोल दूसरे दिन प्रातः ही अपना असर दिखा दे, यह कल शाम अथवा परसों सुबह भी अपना असर दिखा सकती है। अतः प्रतिदिन लेने पर एक चक्र सा बन जाता है।

4. एक चम्मच त्रिफला चूर्ण फंकी मारकर ऊपर से गर्म दूध रात को सोने से पहले ले लें। 

5. रात्रि में सोते समय एक चम्मच देशी गाय का घी, एक ग्लास गर्म दूध में खूब मिलाकर पी लें। 

6. चूंकि मल विसर्जन की समस्या का मुख्य कारण कब्ज है, अतः जिनके लम्बे समय से कब्ज है, वो 1 से 2 चम्मच अरण्डी का तेल गुनगुने दूध अथवा जल दिन मैं एक दो बार लें लेकिन  लम्बे समय तक एवम निरन्तर इसको न दोहराएं

7. यदि इसके बाद भी प्रातः मल विसर्जन का प्रेशर नहीं बन रहा है तो आगे की सूचना के अनुसार  ग्रीवा कटि व्यायाम/आसन करें एवं इसी मध्य जब भी जल पीने के पूर्व,मध्य अथवा बाद में, आसन से पूर्व, अथवा मध्य में जब भी मल विसर्जन की इच्छा हो तत्काल इन कार्यो को छोड़कर मल विसर्जन हेतु जाएं।

यदि ऊपर बताए उपायों को अपनाया जाता है तो अधिकतर व्यक्तियों की मल निष्कासन समस्या  हल हो जाएगी। यदि इन उपायों के बाद भी समस्या बनी रहती है तो हम  पांच योगासन बता रहे हैं जिनको क्रम वार करना होगा एवं अंतिम आसन के पूर्व ही अवश्य आपको विसर्जन हेतु भागेंगे। साथ मैं कुछ अन्य उपायों के साथ एक प्राणायाम व एक बंध के अभ्यास की क्रिया भी बता रहे है, ताकि जो मित्र इस समस्या से जूझ रहे है वे भी सुगमता का अनुभव कर सके।

8.  प्रात जल पीने के पश्चात क्रम से निम्न आसान/व्यायाम दो दो बार करें, हमारा विश्वास है कि आप इन आसनों का दूसरा क्रम प्रारम्भ नहीं कर पायेगें की आप प्रेशर अनुभव करेंगे एवं तत्काल विसर्जन हेतु जाएंगें, यदि अब भी प्रेशर न बने तो आसनों को क्रम वार दोहरा लें।।           
    *आसन*                           

*पहला आसान* सीधे खड़े हों, दोनों पैरों के मध्य एक -डेढ़ फुट का फासला। दोनों भुजाएं आकाश की और, दोनों हाथों की उंगलियों को परस्पर फसाते हुए, हथेलियों का रुख आकाश की और करें। ऊपर की और भुजाओं को स्वांस भरते हुए खींचे, फिर क्रमशः दाहिनी ओर व बायीं और  स्वांस निकालते  हुए झुकें। देखें चित्र 1 व 2 में।।     
                         *दूसरा आसन* दोनों पैरों के मध्य एक डेढ़ फुट की दूरी रखकर खड़े हों, दाहिनी हथेली बाएं कंधे पर रखे, बायीं हथेली कमर पर और गर्दन अधिक से अधिक बायीं मोड़कर बायीं और देखें। इसके पश्चात इसका उल्टा करें। देखें चित्र 3 से 6।।

 *तीसरा आसन* पेट के बल लेट जाएं, कोहिनियाँ सीधी करते हुए नाभि से ऊपर के शरीर के हिस्से को उठाएं एवम स्वांस भरते हुए दाहिने गर्दन मोड़ते हुए बाए पेर की एड़ी देखे स्वांस खाली करते हुए वापस,  फिर इसी प्रकार बाएं गर्दन मोड़ते हुए देखें। देखें चित्र 7 ।   

                   *चौथा आसन*  पैरों को खोलकर, पंजों के बल उकड़ू बैठें, दोनों हथेलियां पृथ्वी पर, पहले दाहिना घुटना बायीं और पृथ्वी पर रखे फिर बायां घुटना दायीं और पृथ्वी पर रखे। देखे चित्र 8।.         

 *पांचवा आसन*  करें चित्र 9 व 10 के अनुसार            इन आसनों को क्रम वार दोहराएं। हम अपने अनुभव एवम अनेक लोगों पर किये गए प्रयोग के आधार पर गारंटी से कह सकते हैं कि मल विसर्जन सुगमता से होगा ही। 
               

कब्ज़ सदैव मल विसर्जन मैं व्यवधान उत्पन्न करती है। अतः रेशेदार fiber युक्त भोजन के साथ हरी सब्जियों का, क्षारीय खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करें एवम निम्न आयुर्वेदिक नियमों का पालन करें।     
                       
  1. भोजन भली प्रकार चबा चबा कर करें।                             
  2. भोजन करने का समय, निम्न अनुसार सुनिश्चित करें। नाश्ता 8 बजे के आसपास किसी मौसमी फल से प्रारम्भ करें एवं स्वादानुसार  लें।  लंच 1 बजे के आसपास लें छाछ अवश्य लें। डिनर 7 बजे से पूर्व हल्का यथा दलिया, खिचड़ी, उपमा इत्यादि ले एवम भर पेट न लें। 
            
3. चाय/कॉफ़ी का सेवन न करें।।       

4. भोजन करने से आधा पोन घंटे पहले पानी पिएं। सर्दी में भोजन के डेढ़ घण्टे बाद एवम गर्मी में 1 घण्टे बाद ही पानी पीएं।।       
                       
5. प्रात सूर्य उगने से पूर्व ही शौच कर लें क्योंकि इसके बाद मल निष्कासन कार्य धीमा हो जाता है। ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय तक शरीर, मल निष्कासन कार्य सुगमता से करता है अतः इस समय का उपयोग इस कार्य हेतु करें।                                   
6. प्रतिदिन मल द्वार के भीतर तक मध्यमा उंगली से सरसों अथवा नारियल का तेल इस प्रकार लगायें कि लगभग आधा चम्म्च तेल मल द्वार के भीतर पहुंच जाए। यह नियम स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी  उपयोगी है।

7. प्रातः शौच से निवर्त होने के पश्चात, पेड़ू पर ठंडे पानी का 3-4 मिनेट तक पोंछा लगाएं एवम तत्पश्चात व्यायाम, योग अथवा घूमने के लिए जाय।

   आंतों में मल विसर्जन की स्वाभाविक शक्ति बढ़ाने एवम पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए मल विसर्जन के पश्चात अग्निसार प्राणायाम एवम उड्डीयान बंध का नित्य अभ्यास करें। (इन पर विस्तृत जानकारी प्राप्ति हेतु हमको लिखें) जो मित्र कब्ज से ग्रसित है वो निम्न उपचार भी अपनाएं।। 

                        *1* अंगूर में कब्ज निवारण गुण है अतः जब तक अंगूर बाजार में उपलब्ध हैं, इसका नियमित उपयोग करते रहे। शेष समय किशमिश पानी में कम से कम 3 घंटे गला कर खाने से आंतों को ताकत मिलती है एवम मल विसर्जन आसानी से होती है।     

 *2* नीम्बू कब्ज में लाभकारी है। गुनगुने पानी में नीम्बू निचोड़ कर दिन में 2-3 बार सेवन करें। नीम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात मैं लेने से दस्त साफ आता है एवम पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती हैं                       

  *3*  जल्दी सुबह उठकर मामूली गर्म, 1 लीटर पानी पीकर 2-3 किलोमीटर घूमने जाएं, यह कब्ज का बेहतरीन उपाय है।

                          *4* अमरूद व पपीता, ये दोनों ही फल कब्ज के लिए अमृत समान है, इनका दिन में कभी भी सेवन कर सकते हैं, इससे मल विसर्जन सुगम होता है।।     

                 *5*  दो सेब apple प्रति दिन खाने से भी कब्ज में लाभ होता है।

*6* दही, अंजीर एवम अलसी का उपयोग नित्य करें।             
जिस किसी मित्र को और स्पष्टीकरण व विस्तृत जानकारी इस विषय में चाहिए , उसका स्वागत है।   

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