Monday, November 25, 2019

Loose Motion Uncontrollable Mucus Abdomen Issue

Example
Problem

Age.    : 65 yrs
H/O
1.Had loose stool with *Mucus & Blood 3-4 times* before 2yrs back
Diagnosed by colonoscopy *Moderate Proctosigmoiditis* at PGIMR.
AC,TC & DC : Normal

Rx  Mesacol OD 2-3 Tab/day.+ supportive drugs
*Response* : Not satisfied
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Present Symptoms
1. पेट में गड़गड़ाहट urgent need of toilet otherwise कपड़ा गिला ।
1st watery defecation with Mucus & Blood with lot of sound than *unformed shape of stool* 7-8 times/day
Weight loss -Not significant
Anorexia- NAD Hb % 12
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At present taking homeopath plus Mesacol OD 1X1
2tab/day Mesacol causes dirahea
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Others : control diabetic & HT
Height 5ft 8inch and weight 72kg


*उपचार क्रम- By Dr Vijay  Singhal

*उपचार*
* प्रातः काल 6 बजे उठते ही एक गिलास सादा पानी में आधा नीबू का रस और एक चम्मच शहद घोलकर पियें। फिर 5 मिनट बाद शौच जायें।
* शौच के बाद 5 मिनट तक ठंडा कटिस्नान लें। फिर टहलने जायें। सामान्य या तेज़ चाल से दो-ढाई किमी टहलें।
* टहलने के बाद कहीं पार्क में या घर पर नीचे दी गयी क्रियाएं करें-
- पवन मुक्तासन 1-2 मिनट
- भुजंगासन 1-2 मिनट
- रीढ़ के व्यायाम : क्वीन और किंग एक्सरसाइज़ (वीडियो से समझकर करें।)
- उंगली, कलाई, कोहनी और कंधों के व्यायाम (वीडियो से समझकर करें।)
- कपालभाति प्राणायाम 200 बार
- अनुलोम विलोम प्राणायाम 5 मिनट
- भ्रामरी 3 बार
- उद्गीत (ओंकार ध्वनि) 3 बार
- तितली व्यायाम एक मिनट
* सायंकाल लगभग 6 बजे 5 मिनट तक ठंडा कटिस्नान लें। फिर टहलने जायें। सामान्य या तेज़ चाल से दो-ढाई किमी टहलें।
* सोने से पहले सिर पीछे लटकाकर दोनों नथुनों में गाय का शुद्ध घी दो दो बूँद डालें।
* रात्रि 10-10.30 बजे सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटें।

*भोजन*
* नाश्ता प्रातः 8 बजे - अंकुरित अन्न या दलिया या मौसमी फल। साथ में रात को भिगोये हुए 5 मुनक्का और 10 किशमिश खूब चबाकर खायें।
* दोपहर भोजन 1.30 बजे- रोटी, हरी सब्जी, (दाल चावल कभी-कभी बहुत कम मात्रा में) सलाद और दही-दूध बिल्कुल नहीं।
* दोपहर बाद 4 बजे - किसी मौसमी फल का एक गिलास जूस या 200 ग्राम मौसमी फल (आम न लें )
* रात्रि भोजन 7.30 बजे - दोपहर जैसा। भूख से थोड़ा कम खायें।
* *परहेज-* चाय, काफी, दही, दूध, कोल्ड ड्रिंक, बिस्कुट, चाकलेट, आइसक्रीम, मैदा, तली हुई चीज़ें, मिठाई, फास्ट फूड, अंडा, मांस, मछली, शराब, सिगरेट, तम्बाकू बिल्कुल नहीं।
* फ्रिज का पानी न पियें। मौसम के अनुसार मटकी या सुराही का साधारण ठंडा या सादा पानी पियें।
* मिर्च-मसाले व खटाई से बचें तथा नमक कम से कम लें। केवल सेंधा नमक का ही उपयोग करें।
* दिन भर में कम से कम ढाई लीटर सादा पानी पियें अर्थात् हर डेढ़ घंटे पर एक गिलास (250 ग्राम)। जितनी बार पानी पीयेंगे उतनी बार पेशाब आयेगा। उसे रोकना नहीं है। पेशाब करते समय बिल्कुल ज़ोर न लगायें। पानी पीने के 45 मिनट या एक घंटे बाद पेशाब करने जायें।
* खूब चबाकर खायें। भोजन के बाद पानी न पियें। केवल कुल्ला कर लें। उसके एक घंटे बाद एक गिलास सादा पानी पियें।
* सभी तरह की गर्म चीज़ों से बचें। सब्ज़ी भी ठंडी करके खायें।

*विशेष*
* सभी तरह की दवायें बिल्कुल बंद रहेंगी।
* जो दवायें आप इस समय ले रहे हैं उन्हें धीरे धीरे कम करते हुए निम्नप्रकार बंद करें-
- दस दिन बाद : दवा तीन चौथाई कर दें।
- उसके दस दिन बाद : दवा आधी कर दें।
- उसके दस दिन बाद : दवा चौथाई कर दें।
- उसके दस दिन बाद दवायें बिल्कुल बंद कर दें।
* नहाने के साबुन का प्रयोग बंद कर दें। गीली तौलिया या रूमाल से रगड़कर नहायें। सिर को भी गीली तौलिया से खूब रगड़ें। बालों को सप्ताह में एक बार मुल्तानी मिट्टी से धोयें।
* यदि कभी ख़ूनी दस्त आयें तो कटिस्नान लेते समय गुदा के ठीक नीचे तीन-चार तह किया हुआ कपड़ा ठंडे पानी में तर करके रख लें।
* हर 15 दिन बाद अपना हाल बतायें। बीच में कोई समस्या जैसे उल्टी, दस्त, खाँसी, ज़ुकाम, बुखार, दर्द आदि होने पर परेशान न हों। मुझे तत्काल बतायें। इनके लिए कोई दवा न खायें।

*पवनमुक्तासन*

(1) पीठ के बल सीधे लेट जाइए। बायाँ घुटना उठाकर दोनों हाथों से बाँध लीजिए। अब साँस खींचकर पेट में हवा भर लीजिए और घुटने से बलपूर्वक पेट को दबाइए। साथ ही सिर को उठाकर नाक को घुटने से लगाने का प्रयास कीजिए। जब साँस अधिक न रोकी जा सके, तो छोड़ दीजिए। (2) यही क्रिया दूसरे पैर से भी कीजिए। (3) यही क्रिया दोनों घुटनों को एक साथ मिलाकर कीजिए। (4) दोनों घुटनों को हाथों से बाँधकर पकड़ लीजिए और फिर पीठ के बल आगे-पीछे अधिक से अधिक दोलन कीजिए अर्थात् झूलिये।

*भुजंगासन*


पेट के बल लेट जाइए। दोनों पैर मिले हुए रहें। हाथों को मोड़कर हथेलियों को कंधों के बराबर में रख लीजिए। अब सिर को उठाइए और हाथों को तानते हुए सिर को अधिक से अधिक पीछे ले जाइए और आकाश की ओर देखने का प्रयास कीजिए। पैरों के पंजे उल्टे होकर जमीन पर टिके रहेंगे। इससे फन उठाये हुए सर्प जैसी आकृति बन जाएगी। इस स्थिति में कुछ देर रुकिए, फिर धीरे-धीरे पूर्वस्थिति में आ जाइए। यह आसन 20 सेकण्ड से प्रारम्भ करके प्रति सप्ताह 20 सेकण्ड बढ़ाते हुए 2 मिनट तक करना चाहिए।

*कटिस्नान की सरल विधि*

1. एक बाल्टी में खूब ठंडा पानी भर लीजिए। आवश्यक होने पर बर्फ़ मिला लीजिए।
2. अब बाथरूम में जांघिया उतारकर दीवाल के सहारे ज़मीन पर बैठ जाइए, घुटने उठा लीजिए और बाल्टी को घुटनों के बीच में रख लीजिए।
3. अब एक मग या लोटे से पानी भर भरकर पेडू (नाभि से नीचे का पेट का आधा भाग) पर दायें से बायें और बायें से दायें धार बनाकर डालिए।
4. इस तरह पूरी बाल्टी खाली कर दीजिये।
5. अंत में पेडू को पोंछकर उठ जाइये और कपड़े पहन लीजिए।

*रीढ़ के व्यायाम*

(1) चित लेट जाइये। हाथों को कंधों की सीध में दोनों ओर फैला लीजिए। पैरों को सिकोड़कर घुटने ऊपर उठाकर मिला लीजिए। पैर जाँघ से सटे रहेंगे। अब दोनों घुटनों को एक साथ बायीं ओर ले जाकर जमीन पर रखिए और सिर को दायीं ओर घुमाकर ठोड़ी को कंधे से लगाइए। कुछ सेकण्ड इस स्थिति में रुककर घुटनों को घुमाते हुए दायीं ओर जमीन से लगाइए और सिर को घुमाते हुए ठोड़ी को बायें कंधे से लगाइए। इसतरह बारी-बारी से दोनों तरफ 10-10 बार कीजिए। यह मर्कटासन की प्रथम स्थिति है। इसे *क्वीन एक्सरसाइज* भी कहा जाता है।

(2) चित लेट जाइये। हाथों को कंधों की सीध में दोनों ओर फैला लीजिए। पैरों को सिकोड़कर घुटने ऊपर उठा लीजिए और पैरों में एक-डेढ़ फीट का अन्तर दीजिए। अब दोनों पैरों को एक साथ बायीं ओर ले जाकर जमीन से लगाइए और सिर को दायीं ओर घुमाकर ठोड़ी को कंधे से लगाइए। इस स्थिति में दायें पैर का घुटना बायें पैर की एड़ी को छूते रहना चाहिए। कुछ सेकण्ड इस स्थिति में रुककर घुटनों को उठाकर घुमाते हुए दायीं ओर जमीन से लगाइए और सिर को घुमाते हुए ठोड़ी को बायें कंधे से लगाइए। इस स्थिति में बायें पैर का घुटना दायें पैर की एड़ी को छूते रहना चाहिए। इस प्रकार बारी-बारी से दोनों तरफ 10-10 बार कीजिए। यह मर्कटासन की द्वितीय स्थिति है। इसे *किंग एक्सरसाइज* भी कहा जाता है।

*उँगलियाँ-*
(1) दोनों हाथ आगे करके उँगलियों को फैला लीजिए। अब उँगलियों की हड्डियों पर जोर डालते हुए धीरे-धीरे मुट्ठी बन्द कीजिए और झटके से खोलिए। मुट्टी बन्द करते समय एक बार अँगूठा बाहर रहेगा और एक बार भीतर। ऐसा 10-10 बार कीजिए।

*कलाई-*
(1) दोनों हाथ आगे करके हथेलियों को फैला लीजिए और उँगलियों को मिला लीजिए। अँगूठा भी उँगलियों से चिपका रहेगा। अब हथेली को खड़ा रखते हुए भीतर की ओर कलाई पर से मोड़िये। फिर पूर्व स्थिति में आकर बाहर की ओर मोड़िए। ऐसा दोनों ओर 10-10 बार कीजिए।
(2) दोनों मुट्ठियाँ बन्द कर लीजिए। अँगूठा भीतर रहेगा। कलाई को स्थिर रखकर मुट्ठियों को गोलाई में सीधा 10 बार घुमाइए। इसी प्रकार 10 बार उल्टी दिशा में घुमाइए।

*कोहनी-*
(1) दोनों हाथ सामने करके हथेलियों को ऊपर की ओर खोलकर फैला लीजिए। उँगलियाँ और अँगूठा चिपके रहेंगे। अब हाथ को सीधा रखकर झटके से कोहनी पर से मोड़ते हुए उँगलियों से कंधों को छूइए। फिर खोल लीजिए। ऐसा 10-10 बार कीजिए।
(2) यही क्रिया हाथों को दायें-बायें फैलाकर 10-10 बार कीजिए। (
(3) यही क्रिया हाथों को ऊपर खड़ा करके 10-10 बार कीजिए।

*कंधे-*
(1) दोनों हाथों को कंधे की सीध में दायें-बायें तानकर उँगलियाँ फैला लीजिए। अब हाथों को इसतरह चलाइए जैसे मना कर रहे हों।
(2) दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सारी उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। अब हाथों को गोलाई में धीरे-धीरे घुमाइए। ऐसा 10 बार कीजिए।
(3) यही क्रिया हाथों को उल्टा घुमाते हुए 10 बार कीजिए।
(4) वज्रासन में बैठकर हाथों को दायें-बायें तान लीजिए और कोहनियों से मोड़कर उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। कोहनी तक हाथ दायें-बायें उठे और तने रहेंगे। अब सिर को सामने की ओर सीधा रखते हुए केवल धड़ को दायें बायें पेंडुलम की तरह झुलाइए। ऐसा 20 से 25 बार तक कीजिए।


*उद्गीत (ओंकार ध्वनि)*
सभी प्राणायामों को करने के बाद उद्गीत अर्थात् ओंकार ध्वनि करनी चाहिए। इसके लिए सीधे बैठकर दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। अब गहरी साँस भरकर ‘ओऽऽऽ’ का उच्चारण करें। आधी साँस निकल जाने पर ‘म्....’ का उच्चारण पूरी साँस निकलने तक करें।

ऐसा कम से कम 3 बार करना चाहिए। इससे अधिक जितना करना चाहें कर सकते हैं।



*तितली व्यायाम*
इसके लिए सीधे बैठ जाइए और दोनों पैरों के तलुवों को एक साथ मिलाकर पंजों को दोनों हाथों की उँगलियाँ फँसाकर कसकर पकड़ लीजिए। अब दोनों घुटनों को तितली के पंखों की तरह चलाइए। ऐसा कम से कम आधा मिनट और अधिक से अधिक एक मिनट तक कीजिए।

*भ्रामरी प्राणायाम*
इसमें किसी ध्यानात्मक आसन में बैठकर अँगूठों से दोनों कानों को बन्द किया जाता है, तर्जनी उँगलियों को भाल पर रखा जाता है और दो-दो उँगलियों से आँखों को बन्द करके दोनों ओर से थोड़ा दबाया जाता है। फिर गहरी साँस भरकर होंठ बन्द करके देर तक ॐ-ॐ की ध्वनि गुँजाई जाती है। इस प्रकार कम से कम 3 बार करना चाहिए। अधिक से अधिक कितनी भी बार किया जा सकता है।

*कपालभाति*
किसी सुविधाजनक आसन में सीधे बैठकर साँस को झटके दे-देकर निकालिए। साँस खींचने का बिल्कुल प्रयास मत कीजिए। झटकों की गति प्रारम्भ में एक सेकंड में एक रखी जा सकती है, जो धीरे-धीरे बढ़ाकर एक सेकण्ड में दो की जा सकती है। दो झटकों के बीच में जो समय होता है, उतने में साँस अपने आप अन्दर जाती है, परन्तु उसे खींचने का प्रयास बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह ध्यान रहे कि साँस छोड़ते समय पेट पिचककर झटके के साथ ही पीठ की ओर जाना चाहिए। यह क्रिया करते समय शरीर को ज्यादा हिलाना नहीं चाहिए और मुख की मुद्रा भी नहीं बिगड़नी चाहिए। यह क्रिया 300 बार तक कीजिए।

*अनुलोम-विलोम प्राणायाम*

अपनी सुविधानुसार सिद्धासन, सुखासन या वज्रासन में बैठ जाइए। धड़ और सिर सीधे रखिए। दायें हाथ की तर्जनी उँगली को मोड़कर हथेली से चिपका लीजिए। इसके एक ओर अँगूठा रहेगा और दूसरी ओर शेष तीन उँगलियाँ होंगी। अँगूठे से दायें नथुने को हल्के से दबाया जाता है और उँगलियों से बायें नथुने को। हाथ कोहनी तक धड़ से सटा रहेगा, ताकि उठे रहने के कारण उसमें दर्द न हो। दूसरा हाथ बायें पैर पर ज्ञान मुद्रा में (तर्जनी और अँगूठे की पोरें मिली हुईं, शेष उँगलियाँ सीधी) रखा रहेगा।

अब दायाँ नथुना बन्द करके बायें नथुने से धीरे-धीरे साँस भरिये। पूरी साँस भर जाने पर तुरन्त ही बायाँ नथुना बन्द करके दायें नथुने से धीरे-धीरे साँस निकालिए। फिर दायें नथुने से साँस भरिये और बायें से निकालिए। यह एक चक्र हुआ। प्रतिदिन इसी तरह आवश्यक संख्या में कई चक्र किये जाते हैं। न्यूनतम 5 मिनट या 11 चक्र करने चाहिए।








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