Saturday, January 4, 2020

आयुर्वेद ही ऐसी अद्भुत विधा है, जो हमको निरन्तर स्व्स्थ रहने का ज्ञान देती है


मित्रो,
        समस्त चिकित्सा विज्ञान, हमको अस्वस्थता से स्व्स्थ होने का ज्ञान देते हैं, जब कि इस धरा पर मात्र, भारतीयता को ओढ़े, वैज्ञानिकता की अनेक कसौटियों पर खरा उतरने के साथ प्रत्येक घर घर में विद्यमान आयुर्वेद ही ऐसी अद्भुत विधा है, जो हमको निरन्तर स्व्स्थ रहने का ज्ञान देती है एवम इसकी सहयोगी वैकल्पिक चिकित्सा पध्दतियों यथा प्राकृतिक चिकित्सा, पंचगव्य चिकित्सा, चुम्बक चिकित्सा, मंत्र, तंत्र एवम हवन चिकित्सा, एक्यूप्रेशर चिकित्सा, भोजन चिकित्सा इत्यादि में भी इसी प्रकार स्व्स्थ रहने की ही परिकल्पना की गई है।

आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की अधकचरी एवम सदैव अपने पूर्व के अनुसन्धानों को नई रिसर्च से बदलने की प्रवर्ति एवम फार्मा कम्पनियों के कुचक्र एवम व्यवसायीकरण में आज मानव फंसता जा रहा है, साथ में वह अपने आपको नई नई बीमारियों से घिरा हुआ भी पाता है। ऐसी विषम परिस्थिति में मानव सभ्यता के साथ पनपी स्व्स्थ रहने की आम आदमी के लिए उपयोगी जीवन शैली को  हमको शिरोधार्य करना ही होगा। आपने अनुभव किया होगा कि नवीनतम अद्यतन के साथ आजकल एलोपैथी की सबसे बडी डिग्री प्राप्त डॉक्टर भी अब जीवन शैली की दुहाई देने लगे है एवम गलत जीवन शैली को भी रोग का कारण मानने लगे है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर हम कुछ स्व्स्थ रहने के मंत्र एक धारावाहिक श्रंखला :
हमारी मान्यता, हमारा विज्ञान,
नहीं चलेगा अधकचरा ज्ञान।
के माध्यम से आप तक पहुंचाएंगे। कृपया आदि काल से परखे इन सूत्रों को अपने जीवन में उतारकर हमारी सदैव स्व्स्थ रहने की मुहिम मैं सहयोग करें। 

हमारी मान्यता, हमारा विज्ञान,
नहीं चलेगा अधकचरा ज्ञान।
                भाग  -- (एक)

हेमंत एवम शिशिर ऋतु मैं आयुर्वेद सम्मत श्रेष्ठ  एन्टी-एजिंग उपायों के सूत्र

यदि किसी व्यक्ति का पाचन तंत्र सुदृढ, निष्काषन प्रक्रिया सुगम एवम सरल एवम शरीर के अंगों में पर्याप्त शिथिलता है  तब यह माना जा सकता है कि वह व्यक्ति बढ़ती आयु के प्रकोपों से दूर, स्व्स्थ जीवन व्यतीत कर रहा है।
हेमंत-शिशिर ऋतू में वायु का प्रकोप होने से शरीर में रुक्षता(रूखापन) बढ़ती चली जाती है। यही रुक्षता शरीर को आयु से पहले बूढ़ा बना सकती है। इसी रुक्षता से शरीर में झुर्रियां पड़ती हैं,त्वचा ढीली हो जाती है एवम यह बेजान लगने लगती है,शरीर के समस्त जोड़ो(जॉइंट्स) में प्रवेश कर यह दर्द पैदा कर देती है-घुटने का दर्द,कमर दर्द,सरविकल,साइटिका समस्त दर्दों को बढ़ा कर जीवन की दुश्वारियां बढ़ा देती है। यही रुक्षता ही आंतो में पहुंचकर मल को रुक्ष बनाकर कब्ज पैदा कर देती है जिससे आगे चलकर बवासीर,भगंदर ,कैंसर जैसे गंभीर जानलेवा रोग पैदा हो जाते हैं।

इसलिए आयुर्वेद अनुसार शीत ऋतू में वायु के बढे प्रकोप को कम करना ही "एंटी-एजिंग" है, और यह है भी बेहद सरल


1. शुद्ध गौ-घृत खाना - देवताओं को भी दुर्लभ, सिर्फ भारत में बनने वाला (निर्माण की अपनी विशेष तकनीक  के कारण दुनिया के किसी विकसित देश में यह नहीं बनता) गौ-घृत , अपनी विशिष्ट स्निग्धता-(चिकनाई) के कारण रूखी वायु के प्रकोप को शांत करने का सर्वश्रेष्ठ समाधान है।
पारंपरिक विधि से बना शुद्ध गौ-घृत खाइये एवम अपनी बढ़ती उम्र इसके कारण होने वाली अस्वस्थता  पर रोक लगाइये। {  आधुनिक चिकित्सा शास्त्र ने स्वयम ही अपने पूर्व के अनुसन्धानों को आज नकार कर शुद्ध देशी गाय घी/ दलहन तेलों को अब स्वास्थ्यवर्धक सिद्ध किया है }

2. अभ्यंग: प्रतिदिन शुद्ध तिल तेल से संपूर्ण शरीर का अभ्यंग(मालिश) कीजिये। त्वचा के माध्यम से तिल तेल शरीर में प्रवेश कर वायु की रुक्षता को समाप्त करता है।
ग्लिसरीन,वेसेलिन, बॉडी लोशन  छोड़िये तिल तेल की मालिश कीजिये।

3. आंवला खाइये : तीनो दोषों को एकसाथ संतुलित करने वाला आंवला खाइये। कच्चा खाइये,चटनी बनाकर खाइये, या च्यवनप्राश में खाइये। सप्त धातुओं को पोषित करने वाला आंवला शीत ऋतू का  श्रेष्ठ एवम अदभुत फल है, सम्भवतः प्रभु ने इसकी रचना मात्र मानव कल्याण हेतु ही की है।
(सावधान: सोडियम बेंज़ोट/ रसायनों से युक्त  आंवला जूस किसी भी कंपनी का गलती से भी ना पियें।) 

4. नाक-नाभि में घी और कान में तेल : इसके डालने से वायु का प्रकोप कम होता है और ये बढ़ती आयु के प्रकोप जैसे ऊँचा सुनना,स्मरण शक्ति कमजोर होना,बाल झड़ना,होठ फटना जैसी समस्याओं पर रोक लगाकर आयु को स्थिर करता है।

5. एकदम ताज़ा- रसीला- स्निग्ध भोजन करना : बासी, फ्रिज का रखा, बाजारू पदार्थ विशेषतया फास्ट फूड वायु से भरे होते हैं और शरीर में वायु को बढाकर आयु से पहले शरीर को बूढ़ा बना देते हैं।

6. धूप सेवन / स्नान : इस ऋतु में शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता (इम्युनिटी) बढाने, पाचन शक्ति बढ़ाने, के साथ मात्र धूप सेवन से प्राप्त विटामिन डी शरीर को इस ऋतु में अनेक खनिज पदार्थ उपलब्ध कराती है। शरीर की ठंडक को दूर करके, पित्त को शांत करके, त्वचा के लिए भी इसका इस ऋतु में उपयोग लाभ कारी है। अभ्यंग (मॉलिश) के पश्चात इसका सेवन जीवन में नई स्फूर्ति भर देता है।


आयुर्वेद सम्मत एंटी-एजिंग, संपूर्ण शारीर के लिए स्थायी,परिणाम देने वाले ,सरल समाधान अपनाइए विदेशी कंपनियों के दुष्चक्र से बाहर आइये।
( इस श्रंखला का अगला विषय हेमंत-शिशिर ऋतु में होने वाली कब्ज पर होगा)

(श्री जगमोहन गौतम जी के सहयोग से  इस  पोस्ट को निर्मित किया गया है)
 --आपके स्वास्थ्य का शुभ-चिंतक:
गव्यसिद्ध विशाल

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ठंड के मौसम की 10 व्याधियाँ और उपचार

ठंड का मौसम जहां स्वास्थ्य और सुंदरता के लिए वरदान माना जाता है, वहीं सावधानी न रखने पर कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। कुछ घरेलू उपायों को प्रयोगकर इन समस्याओं से सहज बचा जा सकता है। जानिए ठंड में होने वाले यह 10 रोग और उनके लिए आसान उपचार -

1
ठंड के मौसम में कब्ज की समस्या होती है। विशेषतयाः पाचन संबंधी कारणों से यह समस्या और बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए इस मौसम में पानी खूब पीना चाहिए। भोजन के पश्चात जीरा पावडर खाने से पाचन क्रिया भी ठीक रहेगी।

2 कुछ व्यक्तियों को ठंडी हवा एवं ठंड के कारण सिरदर्द होता है, जो आसानी से कम नहीं होता। ऐसा होने पर दूध में जायफल घिसकर माथे पर इसका लेप करें। इससे शीघ्र ही सिरदर्द में आराम मिलेगा।

3 सर्दी में त्वचा के साथ-साथ होंठों का फटना आम बात है। फटे होंठों पर नारियल का तेल लगाने से विशेष लाभ होता है। इससे होंठों की त्वचा नर्म और मुलायम रहती है।

4 सर्द मौसम में एड़ियां फटने की समस्या भी बहुत होती है जिसे बिवाइयां फटना कहते हैं। ऐसा होने पर एड़ियों पर प्याज का पेस्ट या फिर ग्रीस लगाने से आराम मिलेगा।

5 सर्दियों में प्रायः छाती में बलगम जमा हो जाता है और ऐसा होने पर बहुत परेशानी होती है। इसके लिए अंजीर का सेवन करें। इससे बलगम निकलेगा तथा खांसी में भी आराम मिलेगा।

सर्दी अधिक लग जाने पर बुखार आना भी सामान्य है। इससे बचने के लिए दिन में तीन बार अजवाइन के चूर्ण का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। इससे ठंड का ज्वर जल्दी उतर जाएगा।

7  खांसी, जुकाम, बुखार साथ में होने पर पुदीने के पत्तों की चाय बनाकर खांड व सैंधव नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।

8  कफ अधिक जमा हो जाने और दमा की समस्या बढ़ने पर आजवायन के साथ छोटी पीपर और खसखस का काढ़ा बनाकर पीने से शीघ्र लाभ मिलता है।

9  ठंड के मौसम में अधिकांशतया जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। इससे मुक्ति पाने के लिए धतूरे के पत्तों पर तेल लगाकर गर्म करें और दर्द वाले स्थान पर बांध दें। इससे दर्द में शीघ्र लाभ मिलता है।
10  सर्दियों में सरसों के तेल में 3-4 लहसुन की कली डालकर पका लें और ठंडा होने पर इसमें मालिश करें। इस तेल की मालिश से बदन दर्द में आराम मिलता है और गर्माहट बनी रहती है।

ऐसी अनेको जानकारी प्राप्त करने के लिए व योग आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का प्रचार प्रसार करने के लिए आप स्वास्थ्य रक्षा सेवा समिति से जुड़े
आपका 
जे डी मिश्रा
चेयरमैन
स्वास्थ्य रक्षा सेवा समिति ( रजि,)
 मो न 8058162269

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