इतनी लाभकारी छाछ से दूर रहना ठीक नही है।
आदि काल से छाछ के गुणों एवम लाभों को दही से ऊपर रखा गया है। सम्भवतः तभी हमारे समाज में छाछ का उपयोग नित्य किसी भी ऋतु में सूर्य के चढ़ने के समय होता आया है। जिससे स्व्स्थ रहने में सहयोग मिलता रहा है। यदि छाछ को दवाई के रूप में भी देखा जाय तो यह अनेक रोगों मैं परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी उपयोग की जाती रही है। दही को मथने/तकने से इसके गुण उसी प्रकार बढ़ जाते हैं जैसे होमियोपैथी में पोटेंशि का महत्व ।
आयुर्वेद में तक्र को बहुत उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद के एक आचार्य का कथन है-
भोजनान्ते पिबेत् तक्रं, दिनांते च पिबेत् पय:।
निशांते पिबेत् वारि: दोषो जायते कदाचन:।
अर्थात् भोजन के बाद छाछ, दिनान्त यानी शाम को दूध, निशांत यानी सुबह पानी पीने वाले के शरीर में कभी किसी तरह का दोष या रोग नहीं होता। इसलिए भोजन के बाद मट्ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है।
इसका उचित व नियमित सेवन प्रत्येक व्यक्ति को आरंभ कर देना चाहिए। मठठे/छाछ में कैल्शियम होता है जो अस्थियों को मजबूत और जोड़ों को स्निग्ध बनाता है।
छाछ सेवन करने वाला कभी दुःखी नहीं होता है छाछ या मट्ठा शरीर से विजातीय तत्त्वों को बाहर निकालकर नव-जीवन प्रदान करता है। शरीर में रोग-प्रतिरोधक शक्ति उत्पन्न करता है। छाछ में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी छाछ श्रेष्ठ होती है। छाछ पीने से जो रोग नष्ट होते हैं वे जीवनभर पुनः नहीं होते। छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ कई बार पियें। गर्मी में छाछ पीने से शरीर में ताजगी एवं तरावट आती है। नित्य नाश्ते एवं भोजन के बाद छाछ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है एवं बनी रहती है। बाल असमय में सफेद नहीं होते। छाछ का रात्रि को सेवन नहीं करें।
छाछ का निम्न उपयोग अनेक रोगों में लाभदायक है।
*मधुमेह* ----
प्रातः भूखे पेट एक गिलास छाछ पियें। इसके बाद तत्काल ही टमाटर का एक गिलास रस पियें। तीन सप्ताह इस तरह सेवन करने से शक्कर सामान्य हो जायेगी।
*बवासीर* ---
एक गिलास छाछ में स्वादानुसार नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर पीने से हर प्रकार के बवासीर में लाभ होता है। छाछ के उपयोग से नष्ट हुए बवासीर पुनः उत्पन्न नहीं होते। सेंधा नमक ज्यादा लाभ करता है। छाछ में सिका हुआ जीरा मिलाकर पीना भी लाभदायक है।
*रक्तस्रावी बवासीर* ---
छाछ में सेंधा नमक और सेंककर पिसा हुआ जीरा मिलाकर नित्य चार बार एक-एक गिलास पियें।
*कृमि* ---
(1) एक दिन जलेबी खायें। इससे पेट के कीड़े सब एकत्रित हो जायेंगे। दूसरे दिन से एक गिलास छाछ में नमक मिलाकर नित्य पियें।
(2) एक गिलास छाछ में सेंककर पिसा हुआ जीरा एक चम्मच, पिसी हुई कालीमिर्च आधी चम्मच और स्वादानुसार नमक मिलाकर नित्य चार बार पियें। पेट के कृमि निकल जायेंगे।
*गैस* ---
दिन के भोजन में एक बार भोजन के बाद एक गिलास छाछ में जरा-सा नमक, आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर नित्य 21 दिन तक पीने से गैस बनना बन्द हो जाती है। पेट हल्का रहता है।
*पीलिया* ---
छाछ में शहद मिलाकर नित्य पीने से पीलिया में लाभ होता है। जी मिचलाने पर छाछ में पोदीना मिलाकर पियें।
*दस्त* ---
(1) आधा पाव छाछ में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य 3 बार पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
(2) सौंफ, धनिया तथा जीरा तीनों को बराबर लेकर महीन चूर्ण बना लें। उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसकी आधा चम्मच दिन में तीन बार मढे या छाछ के साथ सेवन करें।
*पुराने दस्त* ---
लम्बे समय से दस्त लग रहे हों, तो छाछ में सेंधा नमक, सेंका हुआ जीरा, घी में सेंकी हुई हींग मिलाकर एक-एक गिलास नित्य चार बार पियें।
*भाँग का नशा* ---
खट्टी छाछ पीने से उतर जाता है।
*दाँत निकलना* ----
छोटे बच्चों को नित्य छाछ पिलाने से दाँत निकलने में कष्ट नहीं होता और दाँतों का रोग भी नहीं होता। दाँत सरलता से निकल आते हैं।
*मोटापा* ---
छाछ पीने से कम होता है।
*कब्ज* ---
छाछ का एक गिलास नित्य तीन बार पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
*आँतों में सूजन* ---
गैस, अपच गरिष्ठ भोजन से अपच होने पर खाना बन्द कर दें। छाछ में भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च, पोदीना, सेंधा नमक पीसकर स्वाद के अनुसार मिलाकर दिन में तीन बार पियें। अपच दूर हो जायेगी। छाछ की जगह दही भी काम में ले सकते है।
*अम्लपित्त* ---
एक गिलास छाछ में आठ पिसी हुई कालीमिर्च और स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर हर दो घण्टे से पाँच बार में पाँच गिलास छाछ पीने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है। पेट दर्द भूखे होने पर हो तो छाछ पीने से यह दर्द ठीक हो जाता है।
*जलोदर*---
इक्कीस तुलसी के पत्ते चबाकर एक गिलास छाछ नित्य पीते रहने से जलोदर में लाभ होता है।
*अपच* ----
अपच के लिए छाछ एक औषधि है। तली, भुनी, गरिष्ठ चीजों को पचाने में छाछ लाभदायक है। छाछ आँतों में स्वास्थ्यवर्धक कीटाणुओं की वृद्धि करती है, आँतों में सड़ांध रोकती है। छाछ में सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च पीसकर मिलायें, अजीर्ण शीघ्र ठीक हो जायेगा।
छाछ से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चैथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार. तिल्ली. जलोदर, रक्तचाप (कमी या अधिकता), दमा, गठिया, अर्धागघात, गर्भाशय के रोग, मलेरिया जनित यकृत के रोग, मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
*बुढ़ापा* ---
नित्य एक गिलास छाछ सदा पीते रहें। इससे बुढ़ापे का प्रभाव शरीर में नहीं दिखाई देगा। विशेषतया बुढापे के मुख्य कष्ट _पाचन एवम निष्कासन_ सुदृढ एवम सुगम होते हैं।
*नेत्र रोग* ----
नित्य छाछ पीते रहने से बुढ़ापे तक नेत्रों की ज्योति ठीक रहती है।
*वृक्क रोग* ---
छाछ नित्य पीते रहने से वृक्क ठीक रहते हैं। वृक्कों की सफाई होती रहती है। चेहरे पर सूजन नहीं रहेगी। इसमें अजवायन मिला सकते हैं। नमक नहीं मिलायें।
*पेशाब में रुकावट* ---
छाछ में हरा धनिया पीसकर, मिलाकर पियें। आधे सिर का दर्द सुबह छाछ में सेंधा नमक मिलाकर चावल के साथ खाने से लाभ होता है। छाछ आँतों में स्वास्थ्यवर्धक कीटाणुओं की वृद्धि करती है, आँतो में सड़ांध रोकती है। छाछ में सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च पीसकर मिलायें, अजीर्ण शीघ्र ठीक हो जायेगा। छाछ से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चैथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार, तिल्ली, जलोदर, रक्तचाप (कमी या अधिकता), दमा, गठिया, अर्धागघात, गर्भाशय के रोग, मलेरिया जनित यकृत के रोग, मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
*कमर दर्द* ----
दस कालीमिर्च और आधी गाँठ लहसन पीसकर पतले मलमल के कपड़े में रखकर इसे निचोड़ें। जो रस निकले, उसे एक गिलास छाछ में मिलाकर, इसी प्रकार नित्य पियें। कमर का दर्द ठीक हो जायेगा।
*गठिया*---
छाछ में समान मात्रा में पिसी हुई सोंठ, जीरा, कालीमिर्च, अजवायन, काला तथा सेंधा नमक मिलाकर एक गिलास छाछ दिन में नित्य तीन बार पियें। गठिया ठीक हो जायेगी।
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