*_बादाम: प्राकृत गुणों का खज़ाना जानिए इसके आयुर्वेदिक लाभ और जानिए भीगे बादाम क्यों बेहतर हैं..?_*
बादाम एक सूखा मेवा है और तकरीबन हर घर में प्रयोग किया जाता है। बादाम को अपने असीम स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। आम तौर पर इसे और सबसे ज्यादा यह याद्दाश्त को बढ़ने में मदद के लिए जाना जाता है। बादाम में आवश्यक विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन-ई, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है।
*लेकिन इन सभी पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए, बादाम को खाने से पहले रात भर पानी में भिगोना चाहिए।*
ऐसा इसलिए क्योंकि बादाम के भूरे रंग के छिलके में टनीन होता है जो पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकता है। एक बार बादाम को पानी में भिगोने से छिलका आसानी से उतर जाता है और नट्स को पोषक तत्वों को रिहा करने की अनुमति देता है।
*इसके अतिरिक्त*
भीगा हुआ बादाम पाचन में भी मदद करता है।
यह लाइपेज नामक एंजाइम की विज्ञप्ति करता है जो वसा के पाचन के लिए फायदेमंद होता है।
इस प्रकार भीगे हुए बादाम आपके स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हैं।
विशेष: सीमित मात्रा में भीगे बादाम आपके सारे साल खा सकते है।
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*_स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है भाप और गर्म पानी का सेवन, जानिए सेवन का तरीका और लाभ_*
आमतौर पर सर्दियों में लोग भाप लेते और गर्म पानी पीते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भाप और गर्म पानी का सेवन हर मौसम में आपको फायदा पहुंचाएगा। भाप व गर्म पानी आपके गले में जमा चिकनाई और अवरोध को हटाता है यह कई बीमारियों से तो आपको दूर रखता ही है। तो आइए जानते हैं भाप व गर्म पानी से होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में।
लगभग 1.25 से 1.5 लीटर पानी को इतना गर्म करें कि 15-20 मिनट में घूंट घूंट करके आप इसे पूरा पी सके। गुनगुने पानी से थोड़ा ज्यादा गर्म कर सकते है। अगर तांबे के बर्तन में रात का रखा हुआ पानी ले रहे है तो इसे गर्म न करे क्योंकि तांबे के सीरत गर्म है तो इस पानी को गर्म करने की जरूरत नही रहती।
1 बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं तो गर्म पानी का सेवन आपको इस समस्या से निजात दिला सकता है। सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी पीने से वजन नियंत्रण में रहता है, साथ ही यह बॉडी की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
2 गर्म भाप लेने व पानी पीने से टॉक्सिन क्लीन होते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करने में भी सहायक है। शरीर की सफाई होती है।
3 चेहरे पर निखार लाने के लिए गर्म पानी सेवन व भाप बहुत उपयोगी है। इसके नियमित सेवन से चेहरे पर ग्लो आता है।
4 यदि गले में दर्द है तो गर्म पानी का सेवन बहुत लाभकारी होता है। गले में दर्द में गुनगुने पानी का सेवन बहुत आराम दिलाता है।
5 पेट फूलने जैसी समस्या से परेशान हैं तो गर्म पानी पीने से बहुत राहत मिलती है।
6 आपकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए नियमित भाप का सेवन व गर्म पानी बहुत फायदेमंद है।
7 इससे आपको बालों की ग्रोथ में मदद मिलती है वहीं यदि आप बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो रोज गर्म पानी पीएं भाप से रोम छिद्र खुल जाते है और गंदगी अपने आप बाहर आ जाती हैं।
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*रक्तचाप (ब्लड प्रेशर)*
*रक्तचाप का क्या अर्थ है ?*
ह्रदय की रक्त वाहिनियों में रक्त भेजने की क्षमता को रक्तचाप कहा जाता है|
रक्तचाप अच्छे स्वास्थ्य का परिचय देने वाले महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है| उच्च या निम्न रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं की निशानी है|
इसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, रक्त संचारित करने के लिए हृदय जब संकुचित होता है तो रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को सिस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं और वापस ह्रदय के प्रसरण पर अर्थात एक संकुचन से दूसरे संकुचन के बीच रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को डायस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं|
रक्तचाप को अच्छे से समझने के लिए यह उदाहरण देखें: यदि रक्तचाप 117/80 है तो, सिस्टोलिक रक्तचाप 117 होगा, जबकि डायास्टोलिक रक्तचाप 80 होगा| रक्तचाप को mm Hg में मापते हैं|
उच्च सिस्टोलिक या डायस्टोलिक रक्तचाप इस बात का संकेत है कि ह्रदय रक्त संचारित करने के लिए अधिक मेहनत कर रहा है, जिसका कोई अंदरूनी या बाहरी कारण हो सकता है|
सामान्य रक्तचाप
रक्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को रक्त वाहिनियों द्वारा शरीर के विभिन्न सेलों और टिश्यू तक पहुँचाता है| हृदय द्वारा रक्तवाहिनियों में रक्त पंप करने और संचारित करने के दौरान रक्त का जो दबाव रक्त वाहिनियों की दीवारों पर पड़ता है उसे रक्तचाप कहा जाता है|
मनुष्य के शरीर में दिन और रात के समय रक्तचाप अलग-अलग हो सकता है| शारीरिक मेहनत के समय प्राकृतिक रूप से उपापचय(मेटाबोलिज्म) को पूरा करने के लिए शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है| इसलिए शारीरिक परिश्रम के दौरान रक्तचाप अधिक होता है और आराम के दौरान कम|
उम्र के अनुसार सामान्य रक्तचाप
उम्र बढ़ने के साथ रक्तचाप में धीरे-धीरे वृद्धि होती है| रक्तचाप बढ़ने के अन्य कारण भी हैं: मोटापा, खाने-पीने की बुरी आदतें, तनाव और उम्र के साथ सक्रियता कम होना|
*उच्च रक्तचाप(हाइपरटेंशन) के लक्षण*
उच्च रक्तचाप के कारकों या उनकी जटिलताओं के इकठ्ठा होने पर उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के लक्षण दिख सकते हैं|
दूसरे तरीके से कहा जाए तो, हाइपरटेंशन अचानक और बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी हो सकता है| इसलिए ऐसी चीजों से बचना चाहिए जिनसे हाइपरटेंशन हो सकता हो और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना चाहिए|
*हाइपरटेंशन के लक्षण:--*
• बार-बार सरदर्द होना हाइपरटेंशन का सबसे मुख्य लक्षण है|
• वर्टिगो और सर चकराना • अनियमित धड़कन
• जी मिचलाना और उलटी
• सर के पिछले हिस्से में तीव्र दर्द
• तीव्र थकान, समान्य कमजोरी, दुर्बलता, नींद न आना और आलस
• लगातार तनाव बना रहना
• शरीर के नियंत्रण में परेशानी और हाथों के अक्सर कंपन होना
• कानों में आवाज़ आना (टिनिटस)
• साँस फूलना और साँस लेने में कठिनाई
• नाक से खून बहना
• धुंधला दिखाई पड़ना
• यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, पेशाब में जलन|
*निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) के लक्षण:--*
कुछ लोगों में निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) होना और असिम्पटोमैटिक (कोई लक्षण न दिखना) होना आम बात है|
कुछ रोगियों में, यह किसी विशेष समस्या का संकेत हो सकता है, खासतौर पर जब हाइपोटेंशन अचानक हुआ हो या कुछ लक्षण दिख रहे हों| यह लक्षण शरीर के अंगों में रक्त प्रवाह कम होने के कारण दिखते हैं, प्रभावित अंगों के अनुसार लक्षण बदल सकते हैं|
*हाइपोटेंशन के लक्षण:--*
1 सर चकराना या वर्टिगो|
2 थकान|
3 थकान और सामान्य दुर्बलता|
4 साँस लेने में तकलीफ के साथ सीने में दर्द
5 जी मिचलाना|
6 ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई|
~लक्ष्मण शर्मा:
*डायग्नोसिस/ निदान*
सही डायग्नोसिस ही सही इलाज की कुंजी है| क्योंकि गलत डायग्नोसिस से चिकित्सा में गलती हो सकती है|
*हाइपरटेंशन*
चार घंटों के अंतराल पर दो बार रक्तचाप माप कर उच्च रक्तचाप का डायग्नोसिस किया जाता है| यह मरकरी या इलेक्ट्रॉनिक स्फिमोमेनॉमीटर (रक्तदाबमापी) का प्रयोग करके मापा जाता है| इसके अलावा पेशाब में एल्ब्यूमिन(प्रोटीन), रक्त की उपस्थिति, किडनी(गुर्दों) पर हाइपरटेंशन का प्रभाव देखने के लिए यूरिया/क्रिएटिनिन के अनुपात, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG), कॉलेस्ट्रोल, ब्लड शुगर आदि टेस्ट किए जाते है|
यदि रोगी की उम्र कम है और उसे सेकंड्री हाइपरटेंशन है तो, पेशाब में 17 हाइड्रॉक्सीप्रोजेस्ट्रोन और पेट के सीटी स्कैन जैसे अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं|
*हाइपोटेंशन*
यदि आपका रक्तचाप 120/80 mm से कम है तो आपको निम्न रक्तचाप है| रक्त चाप की सामान्य रीडिंग 120/80 mm होती है|
*हाइपरटेंशन का उपचार*
उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के उपचार को दो भागों में बाँटा जाता है:---/
पहला: जीवनशैली में बदलाव और ऐसी बुरी आदतों से बचना जिनसे हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ता है|
दूसरा: एंटीहाइपरटेंसिव दवाइयों का उपयोग, जिससे किसी नयी जटिलता से भी बचा जा सकता है|
*जीवनशैली में बदलाव:--*
*रोगी को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए और कुछ महत्वपूर्ण बदलाव नीचे दिए गए हैं:--*
• नमक उपभोग 6 ग्राम (चम्मच) से कम रखें, यदि रोगी मधुमेह(डायबिटीज) जैसी दूसरी बीमारियों से ग्रस्त हो तो 3 ग्राम से कम नमक लेना चाहिए|
• बुरी आदतों से दूर रहें: धूम्रपान, शराब और उत्तेजक पदार्थों का सेवन बंद कर दें|
• खेलकूद: हाइपरटेंशन के रोगी को रोज आधा घंटे टहलना चाहिए| हलके व्यायाम करने से न केवल उच्च रक्तचाप ठीक होता है बल्कि दूसरी बीमारियों से भी सुरक्षा मिलती है|
• फल, सब्जी जैसी स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाएँ और उच्च वसा(फैट) वाले भोजन से बचें|
• वजन कम करें|
*दवाओं से उपचार:-*
डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर हाइपरटेंशन के उपचार के लिए दवाइयाँ देते हैं जो कई प्रकार की होती हैं:
• डाइयुरेटिक्स(मूत्रवर्धक): शरीर से अतिरिक्त नमक और तरल निकालने का काम करता है|
• अल्फा ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है और उन पर दबाव कम करता है|
• बीटा ब्लॉकर: हृदय के संकुचित होने की शक्ति कम करता है, इसकी गति कम करता है और रक्त वाहिनियों पर दबाव कम करता है|
• एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर (ACEI): रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है| इसे रक्तचाप कम करने की सबसे अच्छी दवा माना जाता है, खासतौर से किडनी और दिल की बीमारी वाले लोगों में|
• कैल्शियम चैनल ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों की दीवारों को फैलाता है और हृदय पर दबाव कम करता है|
• रेनिन इन्हिबिटर: किडनी से रेनिन का स्राव रोकता है या कम कर देता है क्योंकि इस एंजाइम से रसायनिक प्रतिक्रियाएँ होती जो उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती हैं| लकवे (स्ट्रोक) से बचने के लिए डॉक्टर रोज कम डोज की एस्प्रिन लेने की सलाह देते हैं|
*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*
• केसर: यह रक्तचाप कम करता है| इसे भोजन में मिलाकर या सीधे खाया जा सकता है|
• सेलरी: उच्च रक्तचाप को ठीक करने के लिए ताजी सेलरी को बिना पकाए खाएँ|
• गाजर: रक्तचाप कम करने के लिए गाजर खाएँ या इसका जूस पिएँ|
• ब्रोकली: ताजी ब्रोकोली खाएँ, इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो एंटीहाइपरटेंसिव के रूप में काम करते हैं और पकाने से ख़त्म हो सकते हैं इसलिए इसे कच्चा ही खाना चाहिए|
*हाइपोटेंशन का उपचार*
• विटामिन बी युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करें| ऐसा माना जाता है कि यह रक्तचाप और रक्त प्रवाह को सुधारता है|
• शक्कर और उच्च वसा वाली चीजें कम खाएँ| सब्जियों और फलों की मात्रा पर ध्यान दें|
•रोज सही मात्रा में पानी पिएँ, पानी की कमी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है|
•डॉक्टर की सलाह लेकर अधिक नमक और सोडियम वाली डाइट लें जिससे खून बढ़ता है और रक्तचाप भी बढ़ता है|
•स्वास्थ्यवर्धक पेय पिएँ और गर्म पेय पदार्थों से बचें|
•आरामदायक मोज़े पहनें, इससे रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और रक्तचाप सही रहता है|
*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*
•जौ (बार्ले): 3 चम्मच जौ को पीसकर 3 चम्मच मिनरल वाटर में मिलाएँ और 7 घंटे के लिए ढक कर छोड़ दें| इस मिश्रण को सुबह-शाम पिएँ| रक्तचाप कम करने के इस नुस्खे में आप स्वाद बढ़ाने के लिए फल भी मिला सकते हैं|
• चुकंदर (बीटरूट): चुकंदर को सलाद या जूस के रूप में नींबू के रस के साथ पिया जा सकता है| यह रक्तचाप कम करने में बहुत प्रभावी है|
• मुनक्का (रेजिन): प्राकृतिक रूप से रक्तचाप कम करने का यह बहुत अच्छा उपाय है| 30-40 मुनक्कों को रात भर पानी में भिगोएँ और सुबह खाली पेट खाएँ|
*हाइपरटेंशन*
उच्च रक्तचाप होने पर स्थिति की सही जाँच और आवश्यक उपचार के लिए तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में जाएँ|रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतें|
नीचे कुछ टिप्स दिए गए हैं जो अस्पताल से सही उपचार मिलने तक रक्तचाप को कम करने में सहयोग करेंगे|
•साँस लेना: रक्तचाप कम करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है|
• टहलें: तेज गति से टहलना रक्तचाप घटाने का अच्छा तरीका है| इसलिए प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करने की सलाह दी जाती है|
• लहसुन खाएँ: लहसुन में शरीर के लिए आवश्यक कई पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप कम करने में सहायक होते हैं|
• बादाम: बादाम खाने से रक्तचाप कम होता है| •लाल मिर्च खाएँ: लाल मिर्च रक्तचाप कम करने में सहायक है|
•कोकोआ: कोको में तनाव हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने और इस प्रकार रक्तचाप को कम करने की क्षमता होती है|
*हाइपोटेंशन*
•पीठ के बल लेट जाएँ और पैर ऊपर उठाएँ|
• एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद और चुटकी भर नमक मिलाकर कर तुरंत पिएँ|
•इस स्थिति में कॉफ़ी पीने से तुरंत लाभ मिलता है|
• ढेर सारा पानी पिएँ|
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*उच्च रक्त चाप (High B.P.)के लक्षण व उपचार*
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द, थकावट, टांगों में दर्द, उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
*हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण*:
1) मोटापा
2) तनाव (टेंशन)
3) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
4) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
1) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है.लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है.यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
3) एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
5) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें.3-4 हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। उपचार है हितकारी।
7) तुलसी की 10 पती और नीम की 3 पत्ती पानी के साथ खाली पेट 7 दिवस तक लें।
8) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में 2 घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
9) नंगे पैर हरी घास पर 15-20 मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
10) सौंफ़, जीरा, शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
11) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है.आलू में सोडियम (नमक) नही होता है।
12) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं अन्य।
13) नमक दिन भर में 3 ग्राम से ज्यादा न लें।
14) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
15) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
16) केला, अमरूद, सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
17) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
18) सूखे मेवे: -
जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
19) चावल :-
( भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक, कोलेस्टरोल, और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
20) अदरक: -
प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
21) लालमिर्च: -
धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।
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