Tuesday, February 20, 2018

AGEING GRACEFULLY* / *शालीनता से जीयें*

*AGEING GRACEFULLY* / *शालीनता से जीयें*
                  Part/भाग --XVII
                            --Jagmohan Gautam
 --जगमोहन गौतम
मित्रों,

अभी तक उक्त श्रंखला के 16 संस्करणों में हमने जीवन के स्वर्णिम काल मैं शारीरिक एवम मानसिक स्वास्थ्य हेतु भारतीय जीवन शैली के सर्वमान्य सिद्धांतों के मुख्य घटकों पर चर्चा की है जिनको यदि जीवन का आधार बना लिया जाय तो अवश्य ही हम वर्द्धावस्था की अनेक बाधाओं को सफलता पूर्वक पार करके आनन्द मय जीवन व्यतीत कर सकते हैं। जिन जीवन शैली के घटकों पर हमने विस्तृत चर्चा की, वह निम्न हैं:
1. *सक्रिय रहे* / Be Active : दैनिक शारीरिक क्रियाकलाप आपके जीवन और जीवन-काल को बहुत सीमा तक सुधार या बढ़ा सकते हैं। इसके लिए अपनी दैनिक क्रियाओं को बढ़ाने का प्रयास कीजिए, जैसे नित्य पैदल अवश्य चलना, अपनी शारीरिक एवम आयु की क्षमतानुसार योग/प्राणायाम करना, सीढ़ियाँ चढ़ना और उतरना,स्वयम के कार्य करना, आदि।
2. *उचित आहार* / Eat Right: भोजन करना मनुष्य की सबसे अधिक मौलिक आवश्यकताओं में से एक है। सक्रिय जीवनशैली के साथ स्वस्थ आहार लेना स्वस्थ वृद्धावस्था के लिए सर्वश्रेष्ठ दवा है। वृद्धावस्था से रोगप्रतिरोधक तंत्र में परिवर्तन आता है और पोषक आहार से हम इसको स्वस्थ बनाये रख सकते हैं। वृद्धावस्था के बहुत से रोग अनुचित आहार के कारण होते हैं। यह सदा ध्यान में रखना चाहिए कि शरीर में आने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ हमारी पोषण सम्बंधी आवश्यकताएँ भी बदलती हैं, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ शरीर को ऊर्जा (calorie) की आवश्यकता कम और पोषण (Nutrition)की आवश्यकता अधिक होती है। हमने 8 भागों मैं भोजन कब, कहाँ, कैसे,क्या, क्या न खायें एवम क्या अवश्य खाएं पर चर्चा की है।
3. *धूम्रपान न करें एवम मद्यपान में संयम रखें* / Don’t smoke and Drink in moderation-: धूम्रपान ऐसी मौतों का प्रमुख कारण है जिनको रोका जा सकता है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसको बंद करके आप अपने स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक सकारात्मक कार्य करेंगे। मद्यपान को बहुत संयमित करके भी आप अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। चूंकि मद्यपान संयमित करना कठिन है, अतः सलाह दी जाती है कि इसका उपयोग ही न करें।
4. *तनाव प्रबन्धन करें* / Manage Stress : यदि तनाव समयपूर्व वृद्धत्व आने को तेज करता है, तो बुढ़ापा भी तनाव उत्पन्न करता है। तनाव जीवन में एक सामान्य कारक है। सभी उम्र के लोगों के लिए तनाव जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन वरिष्ठ लोगों के लिए तनाव विशेष गम्भीर होने की संभावना है।सौभाग्य से, तनाव से मुकाबला करना संभव है, चाहे आपकी उम्र कुछ भी हो। दो भागों में हम बढ़ती आयु के इस गम्भीर विषय को आपसे साझा कर चुके हैं।
5. *पर्याप्त नींद लें* / Get adequate sleep : नींद वह सुनहरी ज़ंजीर है जो स्वास्थ्य और हमारे शरीर को आपस में बांधे रखती नींद में गड़बड़ी होना किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य में कोई असाधारण परिवर्तन आने का पहला संकेत होता है। चार भागों में इस विषय पर लेखमाला में हम चर्चा कर चुके हैं।
वर्द्धावस्था या बुढापा जीवन की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें उम्र मानव जीवन की औसत काल के समीप या उससे अधिक हो जाती है। वृद्ध लोगों को रोग लगने की अधिक सम्भावना होती है। उनकी समस्याएं भी अलग होती हैं। वृद्धावस्था एक धीरे-धीरे आने वाली अवस्था है जो कि स्वाभाविक व प्राकृतिक घटना है। वर्द्धावस्था की हमारी सामाजिक व्यवस्था मैं कुछ अलग ही समस्याएं है, जिनको हम निम्न प्रकार वर्गीकृत करके इन के निदान परअगली कड़ियों में विचार करेंगे। नीचे दिए जा रहे कारणों पर यदि हम गम्भीरता से विचार करें तो पाएंगे कि यही कुछ ऐसे कारण हैं जिनका प्रभाव, प्रभु के दिये वरदान स्वरूप हमारे स्वर्णिम समय पर पड़ता है। आवश्यकता है इनको जानने की एवं इनके कुप्रभावों से दूर रहने की।
1. पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव।
2. भौतिक वाद का जीवन में प्रसार।
3. सामाजिक व्यवस्था में तेजी से हो रहे परिवर्तन।
4. चिकित्सा सुविधा निरन्तर महंगी एवम अविश्वसनीय होते जाना।
5. असामान्य स्थितियों से जूझते हुए वरिष्ठ जन एवम कुछ बुजुर्गों की असाधारण आदतें।
6. सामाजिक सुरक्षा का अभाव।


इसके साथ साथ हम बीच बीच में इस आयु में बहुधा होने वाली अनेक बीमारियों पर भी चर्चा करते रहेंगे , जिनसे अधिकतर वयक्ति ग्रसित हो जाते हैं यथा बहीमूत्र/प्रोस्टेट समस्या, मौसम का प्रतिकूल प्रभाव, मानसिक अवसाद, घुटनों की समस्या, मल विसर्जन की समस्या इत्यादि
यदि किसी कारणवश आप यह पोस्ट नहीं देख पाते हैं, अथवा पुरानी पोस्टों का सन्दर्भ लेने के इच्छुक हैं तब ऐसी स्थिति में आप मेरे पर्सोनल ब्लॉग के निम्न लिंक पर जाकर अपनी सुविधानुसार पढ़ सकते हैं।

http://jagmohangautam.blogspot.in/?m=1

शालीनता से जीने की इस लेखमाला में मैंने उन अनुभवों को लिपिबद्ध किया है जो भारतीय परिस्थितियों में विगत अनेक वर्षों से अनेक परिवारों एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत करने वाले अनेक व्यक्तियों के अनुभव के आधार पर सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए मैंने प्राप्त किये हैं। स्वस्थ रहने की परिकल्पना भातीय जीवन दर्शन का वह आधार है जिस पर चलते हुए हमारे पूर्वज अपने अनुभव के अनुसंधानों को आत्मसात करते हुए समस्त विज्ञान की इस धरोहर को अगली पीढ़ी को सौंप गए। इस लेखमाला की आगे की कड़ियाँ दोहराव से बचने एवम अधिक लोगो तक अपनी बात पहुंचाने के कारण इसकी भाषा आम बोल चाल की हिंदी रखी है।

यदि आप अपने सुझावों एवम अपने विचारों को जन हितार्थ हम तक पहुंचाएंगे तो लेख माला का सौभाग्य होगा। मेरे सम्पर्क निम्न हैं।
मोबाइल : 9910250284 / 7982584798
E mail : jagmohangautam@gmail.com
 धन्यवाद। --- जगमोहन गौतम

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