Saturday, February 3, 2018

Dangers Of Refined Oil

सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है l
तो वह है...
               *रिफाईनड तेल*

 केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... *रिफाईनड तेल*

आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!

रिफाईनड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।*

*रिफाईनड तेल बनता कैसे हैं।*

बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है
*वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।

*Neutralisation*--तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*Bleaching*--इस विधी में P. O. P{प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है!

*Hydrogenation*-- एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
*निकेल*एक प्रकार का Catalyst metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।

रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!

*दिलथाम के अब पढे*

*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— कैंसर *Cancer*,  *Diabetes* मधुमेह, *Heart Attack* हार्ट अटैक, *Kidney Problems* किडनी खराब,
*Allergies,  Stomach Ulcer,  Premature Aging,  Impotence,  Arthritis,  Depression,  Blood pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*

 रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है! (पांम आंयल सवमं एक धीमी मौत है)

*सरकार का आदेश*--हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 %बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग(पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं,
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)*
*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल ,  पेवर पांम आंयल ही होता है। पांम आंयल को रिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह,
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है,
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला.

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
*5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
*15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!*

*पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि.उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।*

*और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?*
*उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?*
अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।

*राम नही किसी को मारता.... न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं.... कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता!

*तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!* पोस्टीक वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए! लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गती जितनी ही चले!
लोहे की बड़ी बड़ी सपेलर (मशिने) उनका बेलन लाखों की गती से चलता है जिससे तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...

जनहित में जारी:-
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत्त जोधपुर प्रान्त।
🌿🌿
जागो ग्राहक जागो🌿🌿

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*शालीन वृद्धावस्था (भाग १४)*

मूल श्री जगमोहन गौतम द्वारा अंग्रेजी में लिखित एवम इसका हिंदी अनुवाद श्री विजय कुमार सिंघल द्वारा।

(Hindi Translation of Gist of "Ageing Gracefully" part 14


      *पर्याप्त नींद लें (जारी...)*

*स्वस्थ नींद लेने के उपाय*

बहुधा डॉक्टर, वरिष्ठ जनों को पर्याप्त नींद लेने में सहायता के लिए अनेक सुझाव देते हैं, जिनमें से कई सभी उम्र के व्यक्तियों पर लागू होते हैं। ऐसे कुछ मौलिक सुझाव हैं- सोते समय कैफीन न लेना, रोज तय समय पर सोना और उठना एवम् सोने से पूर्व गरिष्ठ भोजन न करना। इनके अलावा निम्नलिखित आदतों को भी पर्याप्त नींद लेने के लिए अपनाया जा सकता है।

* स्वयं को सदैव स्वस्थ रखिए और यदि आपके स्वास्थ्य में कोई चिकित्सकीय कमी पायी जाये, तो उसका उपचार कराइए।
* प्रतिदिन प्रात:काल व्यायाम कीजिए। योग, ध्यान (Meditation) तथा भ्रामरी प्राणायाम गहरी नींद लेने में  सहायक हैं। कुछ श्वसन क्रियायें भी गहरी नींद लाने में उपयोगी हैं, जिसकी चर्चा अगली कड़ी में की जाएगी, ताकि आप उनका अभ्यास प्रारम्भ कर सकें।
* यदि आपको नींद नहीं आ रही है, तो बिस्तर में लेटे न रहें। उठकर कुछ आनन्दप्रद कार्य कीजिए जैसे पढ़ना या संगीत सुनना इत्यादि।
* यदि आपको रात्रि में सोने में कठिनाई होती है, तो दिन मैं झपकी/लंबे समय के लिए विश्रांति लेने से बचिए, विशेष रूप से दोपहर बाद।
* राष्ट्रीय निद्रा फ़ाउंडेशन (National Sleep Foundation:NSF) के एक सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि लगभग सभी प्रतिभागी किसी न किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे टीवी, कम्प्यूटर, वीडियो गेम, या सैल फोन का उपयोग सोने से ठीक पहले तक करते थे। यह बहुत गलत है। इन उपकरणों से निकलने वाला प्रकाश दिमाग़ में बहुत उथल-पुथल करता है, जिसको शान्त करना कठिन होता है। इसलिए सोने के लिए जाने से एक घंटे पहले ही इन उपकरणों को अलग रख दीजिए एवं उपयोग न करें, ताकि आप नियत समय पर तुरन्त सो सकें और गहरी नींद ले सकें।
* एक सरल नियम है- गहरी निद्रा हेतु सही खाओ (EAT RIGHT TO SLEEP TIGHT)। इसका कड़ाई से पालन कीजिए। आपको सोने के समय से कम से कम ४५ मिनट से एक घंटे पूर्व भोजन अवश्य कर लेना चाहिए। ऐसी निम्नलिखित वस्तुएँ अवश्य खाइए जिनसे आपको आराम और तृप्ति मिले एवं जो निद्रा लाने में सहायक हों।
* दूध सोने में बहुत सहायक होता है। इसमें ट्रिप्टोफन होता है, जो एक अम्ल है, जो सेरोटोनिन में बदल जाता है। सेरोटोनिन को दिमाग़ पर शांतिदायक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है।
* केले भी सन्तोषजनक नींद लाने में सहायक होते हैं, क्योंकि उनमें मैगनेशियम और पोटेशियम होता है। ये दोनों खनिज माँसपेशियों को प्राकृतिक आराम पहुंचाते हैं। केलों में अच्छे कार्बोहाइड्रेट भी होते हैं जो आपको नींद लाते हैं। शकरकंद भी कार्बोहाइड्रेट की अच्छा स्रोत होने के कारण नींद लाने में सहायक हैं।
* अलसी के बीज भी ओमेगा-३ अम्लों, मैगनीशियम और ट्रिप्टोफन के अच्छे स्रोत हैं। मैगनीशियम माँसपेशियों को आराम देते हैं। ट्रिप्टोफन सेरोटोनिन निकालने में सहायता करते हैं, जो प्रसन्नता देने वाला हार्मोन है। ओमेगा-३ अम्ल चिंता और अवसाद कम करने के लिए जाने जाते हैं।
* केला और अलसी की तरह ही बादाम भी मैगनीशियम से भरपूर होते हैं, जिनसे आपको और अच्छी नींद आती है। इसके अलावा ये सोते समय आपके ब्लड शुगर को नियमित करने में सहायता करते हैं। अखरोट भी श्रेष्ठ हैं क्योंकि उनमें ट्रिप्टोफन होता है।
* विशेषज्ञ गहरी नींद के लिए सोते समय एक चम्मच शहद लेने की सलाह देते हैं। शहद में शामिल प्राकृतिक मिठास हमारे शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ाती है और ट्रिप्टोफन को मस्तिष्क में जाने देती है, जिससे शरीर को आराम देने वाले रसायन निकलते हैं। रात में आपके लीवर का ग्लायकोजन समाप्त हो सकता है, जिससे तनाव पैदा करने वाले हार्मोन निकल सकते हैं।
* इसके अलावा दो मिनट तक सिर की मालिश करना या पैरों को गर्म पानी में रखना भी माँसपेशियों और नाड़ियों को आराम पहुँचाने में सहायक है।

हम अगली कड़ी में अपने शरीर की जैविक घड़ी (Biological Clock) के नींद से सहसम्बंध (correlation) पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और इस विषय पर इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार विजेता के शोधकार्य का सन्दर्भ देंगे। साथ ही हम भारतीय चिकित्सा विज्ञान "आयुर्वेद" के खाने, कार्य करने, सोने और जागने के नियत समय के बारे में हमारी संस्कृति में आदि काल से प्रयुक्त जैविक घड़ी के कथनों की भी चर्चा श्री जेम्स पैंग के लेख *आपको कब सोना चाहिए* के साथ करेंगे।

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