Friday, May 4, 2018

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आदरणीय अभिभावक,
                 ग्रीष्मकालीन अवकाश की हार्दिक शुभकामनाएँ |
अगले 1½ माह बच्चे विद्यालय के बंधन से मुक्त होकर घर पर समय बिताने  वाले हैं | चलिए कुछ बातों को ध्यान में रखते हैं, जिनसे कि आने वाले 45 दिन बच्चों के लिए कुछ अलग प्रकार से फलदायी हो :–
1. बच्चों के साथ कम से कम 1 वक्त का खाना जरुर खाएँ  उन्हें भोजन का मूल्य बताएँ और किसान की कड़ी मेहनत के बारे में बताएँ और उन्हें भोजन को व्यर्थ करने से रोकें |
2. उन्हें स्वयं से अपनी थाली धोने दें | इससे बच्चे मेहनत का सम्मान करना सीखेंगे |
3. उन्हें भोजन बनाने में आपकी सहायता करने दें | उन्हें सब्जी व सलाद बनाने दें |

4. दादा – दादी / नाना – नानी से मिलने जाइए और आपके बच्चों को उनसे खुलकर मिलने दीजिए | उनका प्यार और संवेदनात्मक सहारा आपके बच्चे के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है | उनकी फोटो खींचिये |
5 अपने कार्य करने के स्थान पर बच्चों को ले जाइए , और उसे समझने दीजिए कि आप अपने परिवार के लिए कितनी कड़ी मेहनत करते हैं|
6. त्यौहार मनाना और बाजार जाना बिलकुल न भूलें |
7. अपने बच्चो में सब्जियों का बगीचा लगाने की प्रेरणा डालें साथ ही पेड़ - पौधों की जानकारियाँ बच्चों के लिए अति आवश्यक है|
8. आप अपने बचपन का एवं अपने परिवार का इतिहास अवश्य बताएँ | 9. बच्चों को बाहर मैदानी खेल खेलने की अनुमति दें ,चोट खानें दें , धूल में रंगने दें | सब ठीक है | उन्हें गिरने दें, और चोट का अनुभव करने दें , नर्म – नर्म सोफे में आरामदायक जीवन जीने से बच्चे आलसी बनते हैं|
10 उनको भी जीव (पक्षी,मछली......आदि ) पालने दीजिये |
11. उन्हें आंचलिक गीत सिखाइये |
12अपने बच्चों को T.V., मोबाइल, कम्प्यूटर, और अन्य उपकरणों से दूर रखिए , इन सबके लिए जीवन में बाद में भी समय है |
13. बच्चों के लिए कहानी की किताबें लायें जिसमें रंगबिरंगे चित्र हों |
14 बच्चों को चाकलेट, चिप्स, बिस्किट्स, कोल्ड ड्रिंक्स एवं तले भोजन से बचाएँ |
15. अपने बच्चें की आँखों में देखकर ईश्वर का धन्यवाद करें इस प्यारे उपहार के लिये कुछ ही वर्षों में वे नयी ऊचाईयों को छूएँगे |
16. बच्चों के साथ प्राकृतिक स्थल, पर्यटन स्थल, धार्मिक स्थल या ऐतिहासिक स्थल पर भ्रमण पर अवश्य जाएँ | एक पालक होने के नाते अपने बच्चों के साथ समय बिताना आवश्यक है|
17.बच्चों को व्यायाम, मैदानी खेल,एवं  रूचि के अनुसार कोई नई गतिविधि का पाठ्यक्रम (तैराकी,सुलेख,संगीत) आदि में सहभागिता कराएँ |





*AC का सही उपयोग*
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                                                     जैसा कि सभी को पता है कि भीषण गर्मी शुरू हो चुकी है और घर घर एयर कंडीशनर चलने लगे हैं।

अधिकतर लोगों की आदत है कि वह अपने *AC को 20-22 डिग्री पर* चलाते हैं और ठंड लगने पर *दोहर व कंबल आदि ओढ़ लेते हैं।*

इससे *दोहरा नुकसान* होता है। आईये जानते हैं कैसे:

क्या आपको पता है कि हमारे शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्शियस होता है। शरीर 22 डिग्री से 39 डिग्री तक का तापमान सह सकता है। इसे कहते हैं human body temperature tolerance.

तापमान के इससे कम या अधिक होने पर शरीर प्रतिक्रिया करने लगता है जैसे *छीकें और जुकाम* आदि।

जब आप 20-21 डिग्री पर AC चलाते हैं तो यह तापमान शरीर के सामान्य तापमान से कम है और इससे शरीर में *hypothermia* नाम का एक process शुरू हो जाता है जो *रक्त प्रवाह (blood circulation) को प्रभावित* करता है ; और शरीर के कुछ अंगों में रक्त ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता। इसके long term में बहुत नुकसान होते हैं जैसे *गठिया* आदि बीमारियां।

अधिकतर समय AC में बिताने से पसीना नहीं आता जिससे शरीर के toxins बाहर नहीं निकल पाते और long term में इससे भी कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जैसे *skin allergy or itching, high blood pressure* आदि।

जब आप AC इतने कम तापमान पर चलाते हैं तो उसका कंप्रेसर लगातार फुल एनर्जी पर चलता है फिर चाहे वह 5 स्टार ही क्यों न हो, अत्यधिक बिजली फूंकता है और उसका पैसा आपकी जेब से जाता है।

इसमें क्या बुद्धिमानी है कि AC को पहले 20-21 पर चलाएं और फिर चादर ओढ़ लें...?

इससे बेहतर है कि *AC को 25+ डिग्री पर चलाएं और पंखा भी चला लें।*..

इससे बिजली भी कम खर्च होगी और आपका शरीर का तापमान भी सीमा में रहेगा और उसे कोई नुकसान भी नहीं होगा।

इसका एक और फायदा है कि जब AC कम बिजली खर्च करेगा तो बिजलीघरों पर भी दवाब कम होगा औऱ अंततः *global warming* में भी कमी आएगी।

मान लीजिए AC को 26 पर चला कर आप लगभग 5 यूनिट बिजली प्रति AC प्रति रात्रि बचाते हैं।
और यदि ऐसा 10 लाख घरों में होता है तो आप *50 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन* बचाते हैं।

प्रादेशिक स्तर पर यह *बचत करोड़ों यूनिट प्रतिदिन8 की हो सकती है।

कृपया विचार करें और अपने AC को 25 डिग्री से नीचे बिल्कुल न चलाएं।
*अपने शरीर और वातावरण को स्वस्थ रखें।*


#सेंधा_नमक :-

भारत से कैसे गायब कर दिया गया, शरीर के लिए Best Alkalizer है ।
आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं :-
एक होता है #समुद्री_नमक दूसरा होता है #सेंधा_नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है। और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।

भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है,
हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।

दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने ये आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।

आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।

#सेंधा_नमक_के_फ़ायदे:-

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।

ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :-

ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है। अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है।

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।

ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !

रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।

निवेदन :पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।

आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
धन्यवाद।


*भोजन द्वारा स्वास्थ्य*

 केला ::-
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        अतिसार  में लाभदायक है,
        खांसी में हितकारी है।

 जामुन ::- 
        केन्सर की रोक थाम ,
        हृदय की सुरक्षा,
        कब्ज मिटाता है,
        स्मरण शक्ति बढाता है,
        रक्त शर्करा नियंत्रित करता है,
        डायबीटीज में अति लाभदायक।

 सेवफ़ल ::-
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        दस्त रोकता है,
        कब्ज में फ़ायदेमंद है,
        फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है।

चुकंदर ::-
        वजन घटाता है,
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        अस्थिक्छरण रोकता है,
        केंसर के विरुद्ध लडता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है।

 पत्ता गोभी ::-
       बवासीर में हितकारी है,
       हृदय रोगों में लाभदायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       वजन घटाने  में सहायक है,
       केंसर में फ़ायदेमंद है।

गाजर ::-
       नेत्र ज्योति वर्धक है,
       केंसर प्रतिरोधक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

फूल गोभी ::-
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        स्तन केंसर से बचाव करता है,
        प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी,
        चोंट, खरोंच ठीक करता है।

 लहसुन:
        कोलेस्टरोल घटाती है,
        रक्त चाप घटाती है,
        कीटाणुनाशक है,
        केंसर से लडती है।

 शहद ::-
       घाव भरने में उपयोगे है,
       पाचन क्रिया सुधारती है,
       एलर्जी रोगों में उपकारी है,
       अल्सर से मुक्तिकारक है,
       तत्काल स्फ़ूर्ती देती है।

 नींबू ::-
       त्वचा को मुलायम बनाता है,
       केंसर अवरोधक है,
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है,
       स्कर्वी रोग नाशक है।

अंगूर ::-
        रक्त प्रवाह वर्धक है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        केंसर से लडता है,
        गुर्दे की पथरी नष्ट करता है,
        नेत्र ज्योति वर्धक है।

आम ::-
        केंसर से बचाव करता है,
        थायराईड रोग में हितकारी है,
        पाचन शक्ति बढाता है,
        याददाश्त की कमजोरी में हितकर।

 प्याज ::-
        फ़ंगस रोधी गुण हैं,
        हार्ट अटेक की रिस्क को कम करे,
        जीवाणु नाशक है,
        केंसर विरोधी है,
        खराब कोलेस्टरोल को घटाना।

 अलसी के बीज ::-
        मानसिक शक्ति वर्धक है,
        रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत दे,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        डायजेशन को ठीक करता है।

 संतरा ::-
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत होना,
       श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी,
       केंसर में हितकारी है।

 टमाटर ::-
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी,
       केंसर से बचाव करता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

 पानी ::-
       गुर्दे की पथरी नाशक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       केंसर के विरुद्ध लडता है,
       त्वचा के चमक बढाता है।

 अखरोट ::-
        मूड उन्नत करन में सहायक है,
        मेमोरी  पावर बढाता है,
        केंसर से लड सकता है,
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        कोलेस्टरोल घटाने मेँ मददगार है।

 तरबूज ::-
       स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है,
       प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लिये हितकारी है,
       रक्तचाप घटाता है,
       वजन कम करने में सहायक है

अंकुरित गेहूं ::-
       बडी आंत की केंसर से लडता है,
       कब्ज प्रतिकारक है,
       स्ट्रोक से रक्षा करता है,
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       पाचन सुधारता है।

चावल ::-
       किडनी स्टोन में हितकारी है,
       डायबीटीज में लाभदायक है,
       स्ट्रोक से बचाव करता है,
       केंसर से लडता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

आलू बुखारा ::-
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        बुढापा जल्द आने से रोकता है,
        याददाश्त बढाता है,
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        कब्ज प्रतिकारक है।

पाइनेपल ::-
       अतिसार (दस्त) रोकता है,
       वार्ट्स (मस्से) ठीक करता है,
       सर्दी, ठंड से बचाव करता है,
       अस्थि क्छरण रोकता है ,
       पाचन सुधारता है।

जौ , जई  ::-
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        केंसर से लडता है,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        कब्ज प्रतिकारक् है ,
        त्वचा पर शाईनिंग लाता है।

अंजीर  ::-
        रक्त चाप नियंत्रित करता है,
        स्ट्रोक्स से बचाता है,
        कोलेस्टरोल कम करता है,
        केंसर से लडता है,
        वजन घटाने में सहायक है।

 शकरकंद ::-
       आंखों की रोशनी बढाता है,
       मूड उन्नत करता है,
       हड्डिया बलवान बनाता है,
       केंसर     लडता है।
||जय श्री कृष्णा ||
                 

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