Saturday, May 5, 2018

Value Of Sound Sleep

*स्वास्थ्य के लिए गहरी नींद अनिवार्य*

सोना हमारे जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है जितना साँस लेना और पानी पीना। लेकिन बहुत से लोग तब तक सोने के लिए नहीं जाते, जब तक उनका शरीर थककर एकदम निढाल नहीं हो जाता। ऐसा करना अपने शरीर पर अत्याचार करना है। इसलिए हमें एक निश्चित समय पर सोने चले जाना चाहिए और एक न्यूनतम अवधि तक अवश्य सोना चाहिए।

छोटे बच्चों को रोज कम से कम 10 घंटे, बड़े बच्चों को कम से कम 8 घंटे और युवकों को कम से कम 7 घंटे प्रतिदिन अवश्य सोना चाहिए। रात्रि 10 बजे बिस्तर पर जाने का सर्वश्रेष्ठ समय है। अत्यावश्यक होने पर 10.30 बजे या बाद तक भी जग सकते हें, परन्तु इसे नियम नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने पर प्रातः जल्दी उठने में भी सरलता होगी। एक अंग्रेजी कहावत है "Early to bed and early to rise. Makes a man healthy, wealthy and wise." अर्थात् जल्दी सोना और जल्दी उठना स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बहुत लाभदायक है। यह बात पूरी तरह सत्य है।

यदि किसी कारणवश आप रात्रि को पर्याप्त नींद नहीं ले पाते, तो समय होने पर दिन में डेढ-दो घंटे सोकर नींद पूरी कर लेनी चाहिए।
किसी थकान के कारण मन और शरीर को विश्राम की अधिक आवश्यकता होने पर हमें योगनिद्रा अपनानी चाहिए। यह शवासन जैसी क्रिया है, जिसमें शरीर को एकदम ढीला छोड़कर मन को विचाररहित किया जाता है। इससे आप कम समय में ही अधिक नींद का लाभ उठा सकते हैं।

अनेक लोगों को नींद न आने की शिकायत होती है। वे देर तक करवट बदलते रहते हैं, पर तमाम कोशिशों के बाद भी सो नहीं पाते। बहुत बाद में जब नींद आती भी है तो अधूरी रहती है और उसका पूरा लाभ नहीं मिलता। लम्बे समय तक यह स्थिति रहने पर वे अनिद्रा रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। इससे अनेक समस्यायें पैदा होती हैं।

नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण है अनावश्यक रूप से चिंतित रहना। इसका समाधान यह है कि सोने जाते समय अपनी सारी चिंताओं और समस्याओं को शयन कक्ष के बाहर ही छोड देना चाहिए और उनसे कहना चाहिए कि सुबह मुलाक़ात करेंगे। आप देखेंगे कि सुबह तक उनमें से आधी चिन्तायें और समस्यायें ग़ायब हो जायेंगी।  फिर भी यदि कोई विकट समस्या हो तो उसके समाधान के लिए दिन में ही विचार या चिंतन करना चाहिये। उसके लिए रातों की नींद ख़राब करना व्यर्थ है।

अनिद्रा का दूसरा कारण पर्याप्त मेहनत न करना होता है। यदि हम दिनभर परिश्रम करेंगे तो रात्रि को अपने तय समय पर हमें नींद अवश्य आयेगी और ऐसी नींद गहरी भी होती है, जिससे प्रात:काल उठने पर शरीर एकदम तरोताज़ा होता है।

बहुत से लोग नींद की गोलियाँ खाकर सोते हैं। यह बहुत खतरनाक है। नींद की गोलियों से ऐसा नशा आता है जो हमारे पूरे शरीर को शिथिल कर देता है। वह नींद नहीं है बल्कि एक प्रकार की बेहोशी होती है। इससे आगे चलकर बहुत बुरे परिणाम मिलते हैं।

योग चिकित्सा में एक आसन ऐसा है जिसको यदि सोते समय कर लिया जाये तो बहुत गहरी नींद आती है। इसका नाम है 'ब्रह्मचर्यासन'। यह वज्रासन से मिलता जुलता है लेकिन इसमें पैर के पंजों को भीतर के बजाय बाहर की तरफ मोड़ा जाता है और नितम्बों को ज़मीन पर टिकाया जाता है जैसा कि साथ के चित्रों में दिखाया गया है।

इस आसन से डरावने सपने आने तथा स्वप्नदोष की शिकायत भी दूर होती है। सोने से ठीक पहले लघुशंका से निवृत्त होकर बिस्तर पर ही इसे ३ से ५ मिनट तक करना चाहिए।

आजकल सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय रहने वाले व्यक्ति अपने सोने का समय इन पर खर्च करते हैं। इसके परिणामस्वरूप उनकी नींद कभी पूरी नहीं होती। यह प्रवृत्ति यदि महीनों तक चले तो इससे शरीर और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मेरी राय यह है कि सोने जाने से आधा घंटा पहले ही सोशल मीडिया के आवश्यक कार्यों को निपटा देना चाहिए या फिर वे कार्य सुबह उठकर करने चाहिए। उनके लिए अपनी नींद और स्वास्थ्य खराब करना मूर्खता है।

— *विजय कुमार सिंघल*
ज्येष्ठ कृ ५, सं २०७५ वि. (५ मई २०१८)




No comments:

Post a Comment