शीत ऋतू में पाँच श्रेष्ठ "एंटी-एजिंग" उपाय●●●●
हेमंत-शिशिर ऋतू में वायु का प्रकोप होने से शरीर में रुक्षता(रूखापन) बढ़ती चली जाती है। यही रुक्षता शरीर को आयु से पहले बूढ़ा बना सकती है। इसी रुक्षता से शरीर में झुर्रियां पड़ती हैं,त्वचा ढीली हो जाती है,बेजान लगने लगती है,शरीर के समस्त जोड़ो(जॉइंट्स) में प्रवेश कर दर्द पैदा कर देती है-घुटने का दर्द,कमर दर्द,सरविकल,साइटिका समस्त दर्दों को बढ़ा कर जीवन की दुश्वारियां बढ़ा देती है। यही रुक्षता आंतो में पहुंचकर मल को रुक्ष बनाकर कब्ज पैदा कर देती है जिससे आगे चलकर बवासीर,भगंदर ,कैंसर जैसे गंभीर जानलेवा रोग पैदा हो जाते हैं।
इसलिए आयुर्वेद अनुसार शीत ऋतू में वायु के बढे प्रकोप को कम करना ही "एंटी-एजिंग" है, और ये बेहद सरल है।
पांच श्रेष्ठ एंटी-एजिंग समाधान आयुर्वेद अनुसार
1. शुद्ध गौ-घृत खाना- देवताओं को भी दुर्लभ,सिर्फ भारत में बनने वाला(दुनिया के किसी विकसित देश में नहीं बनता) गौ-घृत अपनी विशिष्ट स्निग्धता(चिकनाई) के कारण रूखी वायु के प्रकोप को शांत करने का सर्वश्रेष्ठ समाधान है।पृथ्वीलोक में बेस्ट एंटी एजिंग प्रॉपर्टीज,जो हमें डॉक्टर्स,फार्मा कंपनी माफिया,अमरीका से आयी मान्यताओं ने खाने से मना कर दिया है।
पारंपरिक विधि से बना शुद्ध गौ-घृत खाइये बढ़ती उम्र पर रोक लगाइये।
2. अभ्यंग: प्रतिदिन शुद्ध तिल तेलं से संपूर्ण शरीर का अभ्यंग(मालिश) कीजिये। त्वचा के माध्यम से तिल तेलं शरीर में प्रवेश कर वायु की रुक्षता को समाप्त करता है।
ग्लिसरीन,वेसेलिन छोड़िये तिल तेलं की मालिश कीजिये।
3. आंवला खाइये: तीनो दोषों को एकसाथ संतुलित करने वाला आंवला खाइये। कच्चा खाइये,चटनी बनाकर खाइये, या च्यवनप्राश में खाइये।सप्त धातुओं को पोषित करने वाला आंवला शीट ऋतू का बेस्ट फल है।
सावधान: सोडियम बेंज़ोट डला आंवला जूस किसी भी कंपनी का गलती से भी ना पियें।
4. नाक-नाभि में घी और कान में तेलं डालने से वायु का प्रकोप कम होता है और ये बढ़ती आयु के प्रकोप जैसे ऊँचा सुनना,स्मरण शक्ति कमजोर होना,बाल झड़ना,होठ फटना जैसी समस्याओं पर रोक लगाकर आयु को स्थिर करता है।
5. एकदम ताज़ा- रसीला- स्निग्ध भोजन करना, - बासी,फ्रिज का रखा,बाजारू पदार्थ वायु से भरे होते हैं और शरीर में वायु को बढाकर आयु से पहले शरीर को बूढ़ा बना देते हैं।
आयुर्वेद सम्मत एंटी-एजिंग, संपूर्ण शारीर के लिए स्थायी,परिणाम देने वाले ,सरल समाधान अपनाइए विदेशी कंपनियों के दुष्चक्र से बाहर आइये।
आपके स्वास्थ्य का शुभ-चिंतक
गव्यसिद्ध विशाल
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निमोनिया के उपाए
निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। सर्दी ठंड व बारिश के दिनों में इस बीमारी का खतरा और भी बढ़ जाता है। निमोनिया होने पर पहले हल्का सर्दी-जुकाम होता है फिर यह धीरे-धीरे बढ़कर निमोनिया में बदल जाता है। इससे बच्चों की छाती में कफ जम जाता है जिससे उन्हें सांस लेने में भी मुश्किल होती है। ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर निमोनिया से राहत पाई जा सकती है क्योंकि बच्चे दवाई खाने से मना करते हैं जिससे यह नुस्खे उन्हें फायदा दिलाएंगे।
निमोनिया के लक्षण
तेज सांस लेना
कफ और खांसी
होंठों और नाखुन का रंग पीला पड़ना
उल्टी आना
सीने और पेट में दर्द
निमोनिया के घरेलू उपाय
1. हल्दी
हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक गुण शरीर को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। निमोनिया होने पर थोड़ी-सी हल्दी को गुनगुने पानी में मिलाएं और इसे छाती पर लगाने से राहत मिलती है।
2. लहसुन का पेस्ट
इसके लिए लहसुन की कुछ कलियों को मसलकर उसका पेस्ट बना लें और रात को सोने से पहले बच्चे की छाती पर लगा दें जिससे शरीर को गर्माहट मिलेगी और कफ बाहर निकलेगा।
3. लौंग
एक गिलास पानी में 5-6 लौंग, काली मिर्च और 1 ग्राम सोडा डालकर उबाल लें। अब इस मिश्रण को दिन में 1-2 बार लेने से फायदा होता है।
4. ब्लैक टी और मेथी
इसके लिए 2 चम्मच मेथी पाउडर में 1 कप ब्लैक टी मिलाएं और उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे दिन में 1 बार पीने से बहुत जल्दी निमोनिया से राहत मिलती है।
5. तुलसी
तुलसी की कुछ पत्तियों को पीस कर उसका रस निकाल लें और इसमें थोड़ी-सी काली मिर्च मिलाकर दिन में 2 बार पीएं।
6. पुदीना और शहद
पुदीने की पत्तियों का रस निकाल कर उसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर लेने से भी निमोनिया से राहत मिलती है।
7.लाल मिर्च
लाल मिर्च में उच्च मात्रा में कैप्सासिन होता है जो श्वसन मार्ग से बलगम को हटाने में मदद करता है। लाल मिर्च बीटा-कोरटेन का भी अच्छा स्रोत होती है, जो कफ की झिल्ली को सुरक्षित रखता है।
करीब 250 मिली पानी में थोड़ी सी लाल मिर्च और थोड़ा सा नींबू का रस मिलाकर दिन में कुछ बार इसका सेवन करें।
आप गाजर के जूस में भी लाल मिर्च डालकर पी सकते हैं। ये दोनों ही तत्व निमोनिया के इलाज के लिए मददगार होते हैं।
8.मेथी के बीज
मेथी के बीज म्यूकोलिटिक गुण होते हैं, जो छाती में जमने वाली बलगम को पतला करने में मदद करते हैं। इसलिए मेथी का सेवन करने से बंद छाती खुल जाती है। मेथी के सेवन से पसीना आता है, जिससे बुखार कम होता है और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।
दो कप पानी में एक चम्मच मेथी के दाने डालकर उनकी चाय बना लें। इस चाय को छानकर दिन में चार बार पियें। स्वाद में इजाफा करने के लिए इसमें नींबू का रस मिलाया जा सकता है। जैसे जैसे आपको अपनी सेहत में सुधार दिखने लगे आप इसकी मात्रा कम कर सकते हैं।
एक कप पानी में मेथी के दाने, एक चम्मच अदरक का पेस्ट, एक लहसुन की कली पिसी हुई, और थोड़ी सी काली मिर्च डालकर पांच मिनट तक उबालें। इसे छान लें और फिर इसमें आधा चम्मच नींबू का रस डाल दें। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकते हैं। दिन में तीन चार बार इसका सेवन कीजिये। आराम होगा
9.तिल के बीज
तिल कफ को बाहर निकालने में मदद करता है। एक कप पानी में एक चम्मच तिल को उबालें, अब इसमें एक चम्मच अलसी के बीज डाल दें और पानी को यूं ही उबलने दें। फिर इसे छानकर एक चम्मच शहर और थोड़ा सा नमक मिला लें। इस मिश्रण का रोजाना सेवन करें।
10.तुलसी और काली मिर्च
ये दोनों ही तत्व हमारे फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं। और ये कुदरती रूप से निमोनिया को दूर करने में मददगार है।
तुलसी के पत्तों का रस लेकर उसमें ताजी पिसी काली मिर्च मिलाइये और हर छह घंटे बाद इसका सेवन कीजिये।
इसके साथ ही खांसी की कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। खांसी कई मायनों में आपके लिए फायदेमेंद हो सकती है क्योंकि यह शरीर से कफ को बाहर निकालती है
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