Saturday, February 2, 2019

Use Of Metallic Utensils and Sunbath

*सोना*

सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।

                        *चाँदी*

चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।

                           *कांसा*

काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *तांबा*

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

                        *पीतल*

पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *लोहा*

लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

                         *स्टील*

स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी  नहीं पहुँचता।

                      *एलुमिनियम*

एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान ही होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का किसी भी रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

                           *मिट्टी*

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।

Please verify the above mentioned information and then use as per your choice.
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सूर्य स्नान – नियम और सेहत के लिए लाभ

वैदिक और पौराणिक काल से हिंदू धर्म में सूर्य का आध्यात्मिक महत्व रहा है। वेदों में सूर्य को रोशनी का प्रतीक माना गया है. यह एक ऐसी शक्ति है जिसकी वजह से पौधों, पशुओं और मनुष्यों को जीवन मिलता है। दुनियाभर में सूर्य की किरणों से उपचार की बात स्वीकारी गई है और इसका लाभ भी उठाया जाता रहा है।

*सूर्य स्नान क्या है*

सूर्य स्नान या धूप स्नान एक वैज्ञानिक प्रक्रिया होने के साथ-साथ एक कला भी है। विदेशों में सूर्य स्नान बहुत ही लोकप्रिय है और वे उसे नियमित रूप से करते भी हैं। उनके लिए सूर्य स्नान ठीक उसी तरह है जिस तरह ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का समय।

*सूर्य स्नान के नियम*

1. सूर्य स्नान का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि स्नान करते समय व्यक्ति का सिर छांव में हो या फिर अच्छी तरह से ढका हुआ हो क्योंकि धूप स्नान में सूर्य की किरणें सीधे सिर पर नहीं पड़नी चाहिए।

2. धूप स्नान या सूर्य किरणों को आत्मसात करने का समय ठंडे प्रदेशों या पहाडी क्षेत्रों में पूरे दिन किसी भी समय हो सकता है। लेकिन अन्य स्थानों पर अच्छा हो यदि आप धूप स्नान सुबह सूर्योदय के समय किया जाये क्योंकि उस वक्त की सूर्य की गर्मी सहनीय होती है और शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती। 

3. सूर्य स्नान के बाद थोड़ी देर छांव में टहलना या फिर पानी से स्नान करना सही माना जाता है।

4. सूर्य स्नान के लिए वैसे तो कोई निर्धारित समय नहीं है लेकिन आप दस मिनट से लेकर आधे घंटे का समय ले सकते हैं। शुरुआत दस मिनट से किया जा सकता है और धीरे-धीरे इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।

5. अगर आप सूर्य स्नान ले रहे हैं तो साथ-साथ अपनी शरीर की मालिश कर सकते हैं जो कि एक उपयोगी उपचार है। सप्ताह में एक दिन सूर्य की किरणों के नीचे ही सरसों के तेल से पूरे शरीर की मसाज करें। इससे न लेवल त्वचा कांतिमय होती है बल्कि चेहरे पर तेज आता है। मालिश करने के बाद गुनगुनी धूप स्नान लेकर सूर्य किरणों का अधिक से अधिक लाभ उठा लेना चाहिये।

6. सूर्य की किरणें वस्तुत: हमारे नाड़ी तंत्र या स्नायुमंडल का संचालन करके हमें जरूरत ऊर्जा प्रदान करती है। इसलिए सही होगा कि हम सूर्य स्नान के दौरान अधिक से अधिक धूप अपनी रीढ़ की हड्डी तक पहुंचने दें।

*सूर्य स्नान के लाभ*

1. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कैल्शियम का सबसे बड़ा स्रोत है इससे आपकी हड्डियां मजबूत रहती हैं। बढ़ती उम्र में सूरज की रोशनी शरीर की हड्डियों को मजबूत रखती हैं।

2. धूप स्नान से हमारे स्नायुमंडल को शक्ति मिलती है। रक्तचाप सामान्य रहता है। चर्मरोग एवं गठिया में लाभ मिलता है तथा शरीर को आवश्यक कैल्शियम और फांस्फोरस प्राप्त होता है।

3. यह बताने की जरूरत नहीं कि सुबह के समय सूर्य की किरण में स्नान करने से न केवल विटामिन डी का स्तर बढ़ता है, बल्कि वजन भी संतुलित रहता है।

4. सूर्य स्नान के समय मसाज या मालिश करने से शरीर में स्फूर्ति आती है और आप उर्जावान महसूस करते हैं।

5. गुनगुनी धूप जब आपकी त्वचा पर पड़ती है तो इससे उच्च रक्तचाप में कमी आती है और दिल के दौरे तथा स्ट्रोक का खतरा भी नहीं रहता।

6. अगर आप नियमित रूप से धूप स्नान करते हैं तो इससे न लेवल दांत मजबूत रहेंगे बल्कि आपके बालों की ग्रोथ भी बरकरार रहेगी।

7. अगर एक गर्भवती महिला नियमित रूप से धूप स्नान करती है तो थकान, पीठ में दर्द, मतली की समस्या से निजात मिलेगा जो प्रेग्नेंसी क्र दौरान होता है। 

8. इससे न केवल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली दुरुस्त रहती है बल्कि आपको तनाव भी नहीं रहता।

9. सूरज की रोशनी से कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है। 

*सूर्य स्नान की सावधानियां*

1. यदि मौसम ज्यादा गर्म हो और सूर्य जल्दी निकलता हो तो आप तड़के सूर्य स्नान करें ।

2. यदि पूरी धूप न निकले तो स्नान न करें।

3. सूर्य के सामने बैठने पर चक्कर आएं तो डॉक्टर से सम्पर्क करें उसके बाद ही सूर्य स्नान का अभ्यास करें, ताकि कोई नुकसान न हो।

4. बिना संरक्षण के सूर्य के सामने कभी न सोयें।

5. जब आप लंबे समय के लिए सूर्य स्नान कर रहे हैं तो टोपी, धूप का चश्मा और हल्के रंग का कपड़ा पहन लें।

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