Wednesday, August 4, 2021

सरवाइकल स्पौंडिलाइटिस की रामबाण चिकित्सा

 सरवाइकल स्पौंडिलाइटिस की रामबाण चिकित्सा

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आजकल हम सभी कम्प्यूटर का व्यापक उपयोग करते हैं। यह बात केवल बैंकों, सरकारी कार्यालयों या निजी कार्यालयों में कार्य करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि हर किसी के लिए सत्य है, क्योंकि आजकल घर-घर में डेस्कटौप और लैपटौप कम्प्यूटर हो गये हैं। कम्प्यूटर पर काम करने के लिए हमें अपना सिर झुकाना पड़ता है, क्योंकि कीबोर्ड हमारी आँखों से नीचे होता है। कई लोग सिर के साथ अपना कंधा भी झुका लेते हैं। इस गलत स्थिति में अधिक दिनों तक कार्य करने से उनके कंधों, गर्दन और पीठ के कई हिस्सों में दर्द होने लगता है और सिर को आसानी से किसी भी तरफ झुकाने में कष्ट होता है। इसी को सर्वाइकल स्पौंडिलाइटिस कहा जाता है।


ऐलोपैथी में इसका कोई इलाज नहीं है। दर्द से क्षणिक आराम के लिए वे दर्दनाशक गोलियाँ दे देते हैं, जिनसे कुछ समय तो आराम मिलता है, लेकिन आगे चलकर वे बहुत हानिकारक सिद्ध होती हैं और उनका प्रभाव भी खत्म हो जाता है।


दूसरे इलाज के रूप में डाक्टर लोग एक मोटा सा पट्टा गर्दन के चारों ओर लपेट देते हैं, जिससे सिर नीचे झुकाना असम्भव हो जाता है। लम्बे समय तक यह पट्टा लगाये रखने पर रोगी को थोड़ा आराम मिल जाता है, लेकिन कुछ समय बाद समस्या फिर पहले जैसी हो जाती है, क्योंकि अपनी मजबूरियों के कारण वे कम्प्यूटर का प्रयोग करना बन्द नहीं कर सकते।


लेकिन योग चिकित्सा में इसका एक रामबाण इलाज है। स्वामी देवमूर्ति जी, स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और स्वामी रामदेव जी ने इसके लिए कुछ ऐसे सूक्ष्म व्यायाम बताये हैं जिनको करने से इस समस्या से स्थायी रूप से मुक्ति मिल सकती है और रोगी सामान्य हो सकता है। इन व्यायामों को मैं संक्षेप में नीचे लिख रहा हूँ। इनका लाभ मैंने स्वयं अपनी सर्वाइकल स्पौंडिलाइटिस की समस्या को दूर करने में उठाया है और अन्य कई लोगों को भी लाभ पहुँचाया है। इन्हीं व्यायामों के कारण मैं दिन-रात कम्प्यूटर पर कार्य करने में समर्थ हूँ और कई दर्जन पुस्तकें लिख पाया हूँ।


व्यायाम इस प्रकार हैं-


ग्रीवा-

(1) किसी भी आसन में सीधे बैठकर या खड़े होकर गर्दन को धीरे-धीरे बायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए। गर्दन में थोड़ा तनाव आना चाहिए। इस स्थिति में एक सेकेंड रुक कर वापस सामने ले आइए। अब गर्दन को दायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए और फिर वापस लाइए। यही क्रिया 10-10 बार कीजिए। यह क्रिया करते समय कंधे बिल्कुल नहीं घूमने चाहिए।

(2) यही क्रिया ऊपर और नीचे 10-10 बार कीजिए।

(3) यही क्रिया अगल-बगल 10-10 बार कीजिए। इसमें गर्दन घूमेगी नहीं, केवल बायें या दायें झुकेगी। गर्दन को बगल में झुकाते हुए कानों को कंधे से छुआने का प्रयास कीजिए। अभ्यास के बाद इसमें सफलता मिलेगी। तब तक जितना हो सके उतना झुकाइए।

(4) गर्दन को झुकाए रखकर चारों ओर घुमाइए- 5 बार सीधे और 5 बार उल्टे। अन्त में, एक-दो मिनट गर्दन की चारों ओर हल्के-हल्के मालिश कीजिए।


कंधे-

(1) सीधे खड़े हो जाइए। बायें हाथ की मुट्ठी बाँधकर हाथों को गोलाई में 10 बार धीरे-धीरे घुमाइए। घुमाते समय झटका मत दीजिए और कोहनी पर से हाथ बिल्कुल मत मुड़ने दीजिए। अब 10 बार विपरीत दिशा में घुमाइए।

(2) यही क्रिया दायें हाथ से 10-10 बार कीजिए।

(3) अन्त में दोनों हाथों को इसी प्रकार एक साथ दोनों दिशाओं में 10-10 बार घुमाइए।


कंधों के विशेष व्यायाम-

(1) वज्रासन में बैठ जाइए। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सारी उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। अब हाथों को गोलाई में धीरे-धीरे घुमाइए। ऐसा 10 बार कीजिए।

(2) यही क्रिया हाथों को उल्टा घुमाते हुए 10 बार कीजिए।

(3) वज्रासन में ही हाथों को दायें-बायें तान लीजिए और कोहनियों से मोड़कर उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। कोहनी तक हाथ दायें-बायें उठे और तने रहेंगे। अब सिर को सामने की ओर सीधा रखते हुए केवल धड़ को दायें-बायें पेंडुलम की तरह झुलाइए। ध्यान रखिये कि केवल धड़ दायें-बायें घूमेगा, सिर अपनी जगह स्थिर रहेगा और सामने देखते रहेंगे। ऐसा 20 से 25 बार तक कीजिए।


इन सभी व्यायामों को एक बार पूरा करने में मुश्किल से 10 मिनट लगते हैं। इनको दिन में 3-4 बार नियमित रूप से करने पर स्पोंडिलाइटिस और सर्वाइकल का कष्ट केवल 5-7 दिन में अवश्य ही समाप्त हो जाता है। सोते समय तकिया न लगायें तो जल्दी लाभ मिलेगा।


— डॉ विजय कुमार सिंघल


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*आयुर्वेद के अनुसार- स्वस्थ रहने के 20 सूत्र, आपको भी जरूर जानना चाहिए*


 

आजकल की दौड़ती भागती जिंदगी में खुद को फिट और स्वस्थ रख पाना सबसे मुश्किल काम होता जा रहा है, लेकिन आयुर्वेद की कुछ बातों को अपनाया जाये तो स्वस्थ रहना बहुत आसान हो जाता है, तो आज हम आपको आयुर्वेद के 20 ऐसे सूत्र बताने जा रहे हैं, जो बीमारियों को दूर रखकर आपको स्वस्थ रख सकते हैं।


*स्वस्थ रहने के 20 सूत्र*



1- भोजन करने से पहले हाथ जरूर धोने चाहिए।


2- भोजन में हरी सब्जी और मौसमी फल जरुर शामिल करें, साथ ही भूख से कम ही खाएं।


3- भोजन को खूब चबा चबा कर खाना चाहिए, इससे भोजन अच्छी तरह पचता है।


4- भोजन के बाद सिर्फ 1-2 कुल्ला पानी पियें और लगभग आधे घंटे बाद ही पानी पियें।


5- भोजन के बाद छांछ जरूर पीनी चाहिए।


6- भोजन के बाद अच्छी तरह कुल्ला करें, जिससे दांतों में भोजन न फंसा रह पाए।


7- भोजन के बाद पेशाब अवश्य करें, इससे पथरी की समस्या नही होती है।



8- भोजन में मैदे की बनी चीजों का कम से कम उपयोग करें।


9- चाय, कॉफ़ी या प्लास्टिक की बोतलों में भरे पानी का सेवन नही करना चाहिए।


10- नशीली चीजों जैसे शराब, सिगरेट, चरस, गांजा आदि चीजों से दूर रहना चाहिए।


11- सप्ताह में एक दिन उपवास करें और उस दिन सिर्फ नींबू पानी का सेवन करें।


12- दिन भोजन दोपहर 1 बजे से पहले और रात का भोजन शाम 7 बजे तक कर लेना चाहिए।


13- रात के भोजन और सोने के बीच में कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिए



14- स्नान सदैव ठंडे पानी से और बाल्टी में भरे पानी से करना चाहिए।


15- दिन में कम से कम 15 मिनट की धूप जरूर लेनी चाहिए, इससे विटामिन डी प्राप्त होता है।


16- सोने से पहले पैरों को धोकर अच्छे से पोंछना चाहिए।


17- सोने से पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीना चाहिए।



18- सुबह नित्य क्रिया के बाद योग और प्राणायाम जरुर करें।


19- हफ्ते में एक बार पूरे शरीर की सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए।


20- सोते समय मुंह ढंककर नही सोना चाहिए।

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हैप्पी Health to you...

डॉ दर्शन बांगिया (प्राकृतिक चिक्तिसक)


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