Wednesday, September 15, 2021

रक्त का PH बढायें

 *रक्त का PH बढायें*

Note: Following is copied from whatsapp message.  If you believe you may follow it.  First verify, experiment and then accept it, only if found and experienced right from your view.


आज आप सबके लिए बेहद उपयोगी लेख दे रहा हूँ , यदि आपने इसे ईमानदारी से पालन किया तो जोड़ों का दर्द, हार्ट की समस्या, यूरिक एसिड, चर्म रोग, शुगर, थायराइड,  ब्लड-प्रेशर, एसिडिटी, खट्टी डकार, बार -बार पेशाब में जलन, चर्म -रोग, किडनी की समस्या, पेशाब के रोग यहाँ तक की जल्दी से कैंसर भी नहीं होगा ।

आपको ध्यान होगा की 2016 में भयंकर चिकनगुनिया का भी प्रकोप फैला था इन सभी समस्याओं का मुख्य कारण यही है कि ...

आजकल हम जो भी भोजन कर रहे है 90 % एसिडिक भोजन अम्लीय भोजन ही कर रहे है जिसके कारण हर व्यक्ति रोग से ग्रसित हो चुका है, दवायें खा - खा कर भी रोग से मुक्त नहीं हो पा रहा है। इसका जो मुख्य कारण है वह अम्लीय चीजों का खानपान बढ़ना है ।


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*क्या है PH लेवल ..?*


हमारे शरीर में जो भी द्रव्य पाए जाते हैं, उन सबकी PH वैल्यू अलग - अलग होती है । लेकिन हमारे शरीर की सामान्य *Ph 7.35 से 7.41* के बीच होती है इससे .5 कम या ज्यादा हमारी मौत का कारण बनता है ।


यदि हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को क्षारीय (Alkaline ) की तरफ लेकर जाते हैं। तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं।


*कोई भी रोग चाहे कैंसर भी हो Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता – *डॉक्टर Otto Warburg,* नोबेल पुरस्कार विजेता, 1931.*


*उदहारण के तौर पर सभी तरह के कैंसर सिर्फ Acidic Environment में ही पनपते हैं।*

क्योंकि कैंसर की कोशिका में शुगर का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जो Fermentation के कारण लैक्टिक एसिड बनता है जो एसिडिटी का कारण बनती है । जिससे और वहां पर मौजूद ग्लूकोस लैक्टिक एसिड में बदलना शुरू हो जाता है।

इसके प्रभाव में कैंसर की ग्रोथ बढती जाती है। कैंसर होने का मूल कारण यह भी है कि कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा की कमी, करक्यूमिन की कमी आदि।


*आज हिंदुस्तान में हर चौथा व्यक्ति गठिया के रोग से पीड़ित है, अधिकतर जोड़ों के दर्द का कारण रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ना है। जितना रक्त अधिक एसिडिक होगा उतना ही समस्या जोड़ों , हृदय में पेशाब में, सुगर में आएगी।


*पेशाब का संक्रमण*

बार - बार पेशाब में संक्रमण जिसे  UTI ( Urinary Tract Infection) कहते हैं, इसमें भी मुख्य रोग कारक बैक्टीरिया  E.Coli है। यह बैक्टीरिया एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसके अलावा Candida Albicanes नामक फंगस भी एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसीलिए UTI तभी होते हैं जब पेशाब की PH अधिक एसिडिक हो।


*किडनी की समस्या*


आज किडनी की समस्या का भी मुख्य कारण यही एसिडिक वातावरण ही है,  मसलन क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, पथरी इत्यादि।


इन सब समस्याओं का मुख्य कारण रक्त में अम्लता का बढ़ना है।


अगर हम क्षारीय भोजन करें, जिससे हमारा पेशाब Alkaline हो जाए तो यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड Alkaline Urine में आसानी से बाहर निकल जायेगा।


*समस्या से निकलने का उपाय:-*


इस प्रकृति में जितने भी गहरे रंग के फल, शाक, सब्जी हैं, जिनसे सफ़ेद दूध निकलता है इन सबमें भरपूर Alkaline क्षारीय है जिन्हें खाकर आप अपने रक्त का PH संतुलित कर सकते हैं।


*क्या करें ...?*


प्रतिदिन रात को दाँतो को साफ़ करके सोइये।


*रसोईघर से आयोडीन युक्त सफ़ेद नमक, सफ़ेद दूध, सफ़ेद चीनी, सफ़ेद मैदा, सफ़ेद चावल, रिफाइंड ऑयल को बाहर कीजिये।*


*फल :-* सेब, खुबानी, केले, जामुन, चेरी, खजूर, अंजीर, अंगूर, अमरुद, नींबू, आम, जैतून, नारंगी, संतरा, पपीता, आड़ू, नाशपाती, अनानास, अनार, खरबूजे, किशमिश, इमली, टमाटर इत्यादि फल खाइये।


*"पके फलों में भरपूर क्षार है, कच्चे फलों में खासकर खट्टे फलों में अम्ल ज्यादा पाया जाता है ।*

- इसके अलावा तुलसी, सेंधा नमक, अजवायन, दालचीनी, पीला चावल, पीला दूध, गुड़ बाजरा इत्यादि।


*क्षारीय जल : --*


1 नींबू

25 ग्राम खीरा,

5 ग्राम अदरक,

21 पुदीने की पत्तियां,

21 पत्ते तुलसी,

आधा चम्मच शुद्ध सेंधा नमक,

चुटकी भर मीठा सोडा।


नींबू को छोड़कर इन सभी को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये, एक मिट्टी या कांच के बर्तन में दो गिलास पानी के अंदर इन सबको डालकर  पूरी रात इस पानी को ढक कर पड़ा रहने दें।


*सुबह शौच से पहले बिना कुल्ला किये मसलकर फिर छान कर पीना है।*


*क्षारीय जूस /पेय :-*


1 लौकी के एक गिलास जूस में  5-5 पत्ते तुलसी और पोदीने के डालिए इसमें सेंधा नमक या काला नमक डाल कर पियें।


*ध्यान रहे* --- कि इनको सुबह खाली पेट ही पीना है।


*सावधानी---*

चाय, कॉफ़ी, चीनी, पैकेट वाला सफेद नमक, यह सब ज़हर के समान है। *"शराब , तम्बाकू, धूम्रपान, कोक-पेप्सी, जंक फूड, इन सबसे आपका रक्त अम्लीय होगा अतः पहले इनसे बचें।*


अगर आप किसी भी रोग से ग्रसित हैं तो सबसे पहले बुरी आदतों को फिर अम्लीय बढ़ाने वाले खाद्य - पदार्थों को छोड़ना होगा, तभी ऊपर बताये गए जल, फल सब्जियां का लाभ मिल सकेगा।

*भोजन के तुरंत बाद एल्कलाइन वाटर मत पीजिए।

सूर्य तापित क्षारीय जल के लिये हरे रंग की काँच की शीशी को 8 घंटे सूर्य के रोशनी में दो से तीन दिन बन्द करके रखें। प्रतिदिन सिर्फ 30 - 40 Ml पियें।

भोजन के बाद मीठा सोडा के निरंतर सेवन से तत्काल लाभ मिलेगा पर भविष्य में और एसिड बनेगा।

आक्सीजन का लेवल बढ़ाने के लिए मिट्टी के घड़े में क्षारीय जल में प्रति लीटर 10 ग्राम गौ - भस्म डाल दीजिए।

कैल्शियम के लिए जल में चूना या शंख या कौड़ी या कढ़ी पत्ता का भी प्रयोग कर सकते हैं

Dr. Darshan Bangia (प्राकृतिक चिकित्सक)

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*एसिडिटी : कारण और निवारण*


यह आमतौर पर सभी को हो जाने वाली बीमारी है। इसको आयुर्वेद में अम्ल पित्त कहते हैं। हमारे आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का निर्माण होता है। सामान्यतया यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन पचाने का कार्य करता है। यह सीधे भोजन नली के सम्पर्क में नहीं आता, लेकिन कई बार शरीर में आई विकृति के कारण एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं। इसी को एसिडिटी, हाइपरएसिडिटी या अल्सर कहते हैं। 


एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है रोगी के सीने या छाती में जलन होना, खट्टी डकारें आना, मुँह में खट्टा पानी आना आदि। कई बार एसिडिटी के कारण सीने या/और पेट में दर्द भी रहता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो समस्या गम्भीर हो जाती है। इससे रोगी को खून की उल्टी भी हो सकती है। लम्बे समय तक अल्सर रहने से केंसर होने का खतरा भी हो सकता है।


प्राकृतिक चिकित्सा में एसिडिटी का उपचार बहुत सरल है। सबसे पहले तो रोगी को अम्लीय वस्तुएँ देना पूरी तरह बन्द कर देना चाहिए। ऐसी कुछ वस्तुएँ हैं- चाय, कॉफी, शीतल पेय, दूध, दही, मैदा, पालिश किये हुए चावल, तली हुई चीज़ें, मिर्च-मसालेदार चटपटी वस्तुएँ आदि। गर्म चीजें भी एसिडिटी और अल्सर का रोग और कष्ट बढ़ाती हैं, इसलिए सारी गर्म चीज़ें तत्काल बन्द कर देनी चाहिए। यहाँ तक कि सब्जी भी ठंडी करके खानी चाहिए। 


रोगी के भोजन में क्षारीय वस्तुओं की अधिकता होनी चाहिए। ऐसी वस्तुएँ हैं- ताज़े फल (आम और केला को छोडकर), हरी सब्ज़ियाँ, फलों का रस, चोकर समेत आटे की रोटी, कन समेत चावल और सूखे मेवा। सभी तरह के खट्टे फल जैसे सन्तरा, मुसम्मी, अनार, अनन्नास, नीबू आदि क्षारीय होते हैं, इसलिए इनको लेने में घबराना नहीं चाहिए। 


एसिडिटी के रोगियों को दिन में केवल तीन बार खाना चाहिए- प्रात:, दोपहर और सायंकाल। कई रोगियों को बहुत भूख लगती है और वे बार-बार खाना चाहते हैं। ऐसा करना उचित नहीं। दो भोजनों के बीच में भूख लगने पर उनको शीतल जल या फलों का रस पी लेना चाहिए। इनसे पेट की जलन शान्त होती है। 


एसिडिटी को दूर करने में पेट पर मिट्टी की पट्टी, ठंडा कटिस्नान, टहलना, अनुलोम-विलोम प्राणायाम तथा शीतली प्राणायाम बहुत सहायक होते हैं। 


एसिडिटी में भूलकर भी कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। दवाओं से यह रोग कभी नहीं जाता। जबकि ऊपर बताये गये नियमों पर चलकर कोई भी व्यक्ति एक-दो माह में ही सरलता से इससे छुटकारा पा सकता है। 


— *विजय कुमार सिंघल*

वैशाख कृ ११, सं २०७६ वि (३० अप्रैल २०१९)


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