Thursday, December 28, 2017

Keep Your Body Fit And Healthy

*सुखमय जीवन यात्रा-८*

*पहला सुख निरोगी काया (ज)*

*कुछ प्रचलित व्यायाम पद्धतियाँ*

पिछली कड़ी में हमने कुछ व्यायाम विधियों का नामोल्लेख किया है। यहाँ हम उनके बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं, ताकि उसे पढ़कर आप तय कर सकें कि कौन सी व्यायाम पद्धति आपके लिए सबसे अधिक अच्छी और सुविधाजनक रहेगी। 

*टहलना*

यह सबसे अच्छा व्यायाम है और हर उम्र के व्यक्तियों द्वारा कहीं भी किया जा सकता है। इससे कभी हानि नहीं होती और नियमित करने पर लाभ ही लाभ होता है। सूर्योदय से एक घंटा पहले से एक घंटा बाद तक का समय टहलने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यदि किसी कारणवश प्रात:काल न टहल सकें तो सायंकाल सूर्यास्त के समय भी टहला जा सकता है। 

टहलने का मार्ग या स्थान प्रदूषणमुक्त होना चाहिए। टहलना प्रतिदिन एक किमी से प्रारम्भ करना चाहिए और प्रति सप्ताह आधा किमी बढ़ाते हुए अपनी शक्ति के अनुसार तीन से पाँच किमी तक प्रतिदिन टहलना चाहिए। बहुत धीमे टहलने से पूरा लाभ नहीं मिलता, इसलिए सामान्य से कुछ तेज़ चाल से टहलना चाहिए, जैसे कहीं पहुँचने की जल्दी है। 

*दुलकी दौड़ (जॉगिंग)*

दौड़ना एक अच्छा व्यायाम है, लेकिन इसकी सुविधा हर किसी को प्राप्त नहीं होती। वैसे भी अधिक उम्र के लोगों के लिए कम मात्रा में दौड़ना अच्छा रहता है। जॉगिंग करने से दौड़ने का अधिकांश लाभ प्राप्त हो जाता है और उतनी थकान भी नहीं होती। इसमें एक ही स्थान पर खड़े-खड़े हाथ-पैरों को इस प्रकार चलाया जाता है जैसे दौड़ रहे हों। इस क्रिया को करते समय होंठ बंद करके केवल नाक से साँस लेनी चाहिए। इसे आधा मिनट से प्रारम्भ करके हर सप्ताह 15 सेकंड का समय बढ़ाते हुए अधिक से अधिक 3 मिनट तक करना चाहिए। इससे अधिक करने की आवश्यकता नहीं है।

*अंग व्यायाम*

हमारे शरीर में जितने भी अंग हैं, वे सब विभिन्न प्रकार के जोड़ों द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं। कार्य की दृष्टि से प्रत्येक अंग स्वतंत्र होता है। विशेष व्यायाम के द्वारा किसी भी अंग को स्वस्थ बनाया जा सकता है। अंग व्यायाम वह पद्धति है, जिसमें प्रत्येक अंग या जोड़ का स्वतंत्र व्यायाम किया जाता है। इसमें सिर से लेकर पैरों की अँगुलियों तक शरीर के जितने भी अंग हैं उनके व्यायाम क्रमशः किये जाते हैं और इस प्रकार पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। ये व्यायाम प्रायः सीधे खड़े होकर किये जाते हैं, परन्तु कई व्यायाम बैठकर भी किये जा सकते हैं।

सभी अंगों का पर्याप्त व्यायाम करने में केवल 20-25 मिनट लगते हैं। इतने में भी पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है, जिससे आप आनन्द का अनुभव करते हैं। इस पद्धति में थकान बहुत कम होती है और लाभ पूरा मिलता है। अंग व्यायाम से लाभ धीरे-धीरे किन्तु स्थायी होते हैं।

*योगासन*

योगासन पातंजलि योग के आठ अंगों में तीसरा अंग है। यह केवल व्यायाम पद्धति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना और चिकित्सा पद्धति भी है। सदियों से हमारे ऋषि-मुनि इनको अपनाते हुए सदैव स्वस्थ रहे हैं। योगासनों की संख्या सैकड़ों में है, परन्तु उन सबको करना हमारे लिए न तो सम्भव है, और न आवश्यक ही है। प्रत्येक आसन का शरीर के कुछ विशेष अंगों पर मुख्य प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपनी आवश्यकता और शारीरिक क्षमता के अनुसार ही योगासन चुनकर उनका नित्य अभ्यास करना चाहिए। 

पवन मुक्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, वज्रासन, सिद्धासन, मर्कटासन और शवासन कुछ ऐसे आसन हैं, जिनका अभ्यास सभी कर सकते हैं। आसनों के बाद कुछ देर प्राणायाम भी अवश्य करने चाहिए। आसनों-प्राणायामों के बारे में विस्तार से जानने के लिए या तो किसी योग गुरु से मिलें या किसी अच्छी पुस्तक की सहायता लें। 

*सूर्य नमस्कार*

जो लोग कम समय में व्यायाम और योग दोनों के लाभ भरपूर मात्रा में पाना चाहते हैं और शरीर को भी सबल बनाना चाहते हैं, उनके लिए सूर्य नमस्कार करना सर्वश्रेष्ठ उपाय है। सूर्य नमस्कार से शारीरिक ही नहीं मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। 

प्रत्येक सूर्य नमस्कार में 10 या 12 स्थितियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशेष योगासन होता है। हर सूर्य नमस्कार से पहले एक मंत्र भी बोला जाता है, जिसमें सूर्य की वन्दना होती है। 

सभी लोग अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार 7 से 21 तक सूर्य नमस्कार प्रतिदिन कर सकते हैं। सभी सूर्य नमस्कार कर लेने के बाद 5 मिनट शवासन करना अनिवार्य है, ताकि थकान मिट जाये।

सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर पुष्ट होता है और सीना चौड़ा होता है और बढा हुआ पेट घटकर सामान्य होता है। 

— *विजय कुमार सिंघल*
पौष शु ११, सं २०७४ वि (२९ दिसम्बर २०१७)

*शालीन वृद्धावस्था (भाग ९)*


मूल श्री जगमोहन गौतम द्वारा अंग्रेजी में लिखित एवम इसका हिंदी अनुवाद श्री विजय कुमार सिंघल द्वारा।


(Hindi Translation of Gist of "Ageing Gracefully" part 9)



*क्या न खायें* 

बढ़ती उम्र में लगातार गलत चीज़ें खाने की अपेक्षा यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें क्या नहीं खाना है। प्रौढ़ों को फ़ूड पॉइजनिंग की बहुत आशंका बनी रहती है, क्योंकि उनका रोगप्रतिरोधक तंत्र अधिक उम्र में मज़बूत नहीं होता। बहुत से खाद्यों में बहुत कीटाणु या फ़ूड पॉइजनिंग की संभावना होती है, जिससे वरिष्ठों के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। जब हमारी उम्र बढ़ती है तो हमारे शरीर के लिए कीटाणुओं से लड़ना कठिन हो जाता है, जिससे बीमार पड़ना सरल हो जाता है। इसलिए "क्या न खायें" का "क्या खायें" की तुलना में अधिक महत्व है, विशेष रूप से वृद्धावस्था में, और इसीलिए हमें इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए। 

यदि वृद्धों को स्वस्थ रहना है तो उनको बीमारियाँ पैदा करने वाले खाद्यों से दूर रहना चाहिए। निम्नलिखित खाद्यों को उपेक्षित करना उनके लिए सबसे अच्छा है-

*अंकुरित अन्न (Sprouts)* को स्वास्थ्यप्रद खाद्य माना जाता है क्योंकि उनमें अनेक प्रकार के पोषक तत्व और पचने में सहायक तत्व होते हैं। लेकिन इसके साथ ही वे वरिष्ठ नागरिकों के लिए ख़तरनाक भी हो सकते हैं क्योंकि वे बीमारियाँ फैलाने वाले कीटाणुओं के लिए प्रजनन के स्थान होते हैं। 

*मुलायम पनीर (Soft cheese)* सामान्यतया पाश्चुरीकृत नहीं होता, इसलिए वह बड़ी संख्या में कीटाणु प्रजनन के लिए खुला होता है। 

*कच्चे माँस (Raw meat)* से भी वरिष्ठों को बचना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मामलों में कीटाणु पकाने से नहीं मरते। यदि आप माँसाहारी हैं तो आपको कच्चे माँस की जगह सफेद माँस (white meat) और समुद्री जंतुओं से बने खाद्य लेने चाहिए। 

*कच्चे अंडे (Raw eggs)* तथा कम पकाये गये अंडे बड़ी उम्र वालों के लिए जोखिमपूर्ण होते हैं और इनका स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव हो सकता है। 

*बिना पाश्चुरीकृत दूध (Unpasteurised milk) तथा रसों (Juices)* को प्राय: इनमें उपलब्ध खनिजों और लाभप्रद वसा के कारण स्वस्थ भोजन माना जाता है, लेकिन वरिष्ठों को इनसे बचना चाहिए, क्योंकि ये बहुत बड़ी संख्या में कीटाणुओं का प्रजनन करते हैं। रसों के बदले में हमारी सलाह है कि जब तक दाँत सही हैं तब तक फलों और सब्ज़ियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। 

*कम वसा के खाद्य (Low fat foods)* जिन खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक स्तर का वसा पाया जाता है, जैसे मछली, फलियाँ और तेल/देशी घी, उनसे बचना बुद्धिमानी नहीं है, क्योंकि ये हृदय और मस्तिष्क की रक्षा करने में लाभदायक हैं।

*यदि वरिष्ठजन इन खाद्यों से बचते हैं तो वे स्वयं को अपने सुनहरे वर्षों में स्वस्थ और सक्रिय रख सकेंगे।*



अगले लेख में हम उन चीज़ों की सूची देंगे, जिनको नहीं खाना चाहिए। यह सूची खाद्य पदार्थों को चुनने, तैयार करने और खाने से बनायी जाएगी।

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