Friday, January 5, 2018

What We Should Eat

*शालीन वृद्धावस्था (भाग ११)*


मूल श्री जगमोहन गौतम द्वारा अंग्रेजी में लिखित एवम इसका हिंदी अनुवाद श्री विजय कुमार सिंघल द्वारा।

(Hindi Translation of Gist of "Ageing Gracefully" part 11)
  *हम क्या अवश्य खाएं*

हमने बार-बार बताया है कि वरिष्ठ नागरिकों में बच्चों, किशोरों और यहां तक कि मध्य आयु वर्ग के वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। क्योंकि आयु से संबंधित परिवर्तन इसको प्रभावित करने के लिए इस बात पर निर्भर हैं कि आपका शरीर भोजन को कैसे प्रोसेस करता है, जो आपकी आहार संबंधी आवश्यकताओं और भूख पर प्रभाव डालता है। इस सम्बन्ध में आयु के कुछ बदलाव निम्न हैं:

*आपका चयापचय (metabolism) धीमा हो जाता है* , जिसका अर्थ है कि आपको कम खाना चाहिए। अत: आपके खाद्य पदार्थ जितना संभव हो उतने समृद्ध पोषक होने चाहिए।

*आपका पाचन तंत्र बदलता है।* आपका शरीर पाचन में सहायक होने वाले द्रवों का कम उत्पादन करता है। जब आपकी आयु बढ़ती  हैं, तबआपके पाचन तंत्र में खाना प्रोसेस करने के लिए इन द्रवों की अत्यंत आवश्यकता होती है।

*आपकी भूख बदल सकती है* कई वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य कारणों से एक या अधिक दवाएं लेते हैं, इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे भूख कि कमी, या पेट में दर्द, जिससे पोषण कम हो सकता है।

*आपका भावनात्मक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।* जो वरिष्ठ लोग उदास या अकेले रहते हैं, प्राय: खाने में रुचि खो देते हैं। दूसरी ओर, भावनात्मक समस्याएं कुछ लोगों को अधिक खाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

उपरोक्त बदलावों की देखभाल के लिए, जैसे-जैसे हम वृद्ध होते हैं, वैसे-वैसे हमें भारतीय परिस्थितियों में निम्नलिखित खाद्य वस्तुओं को प्रतिदिन  अवश्य खाना चाहिए। ये उनके अतिरिक्त हैं,  जिनकी चर्चा हम अपनी लेखमाला शालीन वृद्धावस्था के विभिन्न भागों में करते रहे हैं, क्योंकि ये खाद्य उम्र प्रतिरोधक तो हैं ही,साथ में स्वास्थ्य पर उम्र के प्रभावों से लड़ने की क्षमता भी रखते हैं-

1. *आँवला-* किसी भी रूप में इसका दैनिक उपयोग करना अमृत की तरह है। आँवला उच्च बीपी, दिल, आंख, त्वचा और अन्य गंभीर रोगों को नियंत्रित करता है। यह बहुत उम्र प्रतिरोधक है। यह अद्भुत फल प्रभु की मानव को स्वस्थ रहने की अनुपम भेंट है, इसका नियम से प्रतिदिन किसी भी रूप में अवश्य प्रयोग करें।

2. *मेथी-* मधुमेह, जोड़ों के दर्द, पेचिश और बुढ़ापे की अन्य समस्याओं के लिए, यह एक चमत्कारिक देशी औषधि है।

3. *छाछ/मठ्ठा-* इसे पानी के विकल्प के रूप में नाश्ते और दोपहर के भोजन के साथ लिया जाना चाहिए। इससे पाचन शक्ति में वृद्धि होगी और तेज तथा ओज देगी, जिसकी बुढ़ापे में सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

4. *छोटी हर्र-* यह पेट की बीमारियों, बालों और दंत समस्याओं के लिए एक वरदान है, जिसका उपयोग मुंह में एक टुकड़ा रखकर किया जा सकता है।

5. *दालचीनी और शहद-* ये अस्थमा, सर्दी, खांसी, हृदय रोग, क्लोरास्ट्रल, यूरिक एसिड और जोड़ों के दर्द में बहुत उपयोगी हैं।

6. *लहसुन-* रात के खाने में लहसुन की दो कलियां लेना कैंसर, हृदय रोग, यूरिक एसिड, जोड़ों के दर्द आदि में उपयोगी होता है।

7. *तुलसी और काली मिर्च-* खांसी, सर्दी, बुखार, अस्थमा, *रोगप्रतिरक्षा* और श्वसन समस्याओं के लिए तुलसी के दस पत्ते और पांच काली मिर्च चबाना बहुत उपयोगी है।

8. *सोंठ-* / अदरक का उपयोग भी इसके बहु उपयोगी लाभ एवम गुणों के कारण नित्य करें एवम विशेषतया मौसम परिवर्तन के समय, सर्दियों और बरसात के मौसम की शुरुआत में, इसका प्रयोग गुड़ के साथ किया जाना चाहिए। *(अनुवादक की टिप्पणी- सोंठ को रात को सोते समय दूध में मिलाकर पीना बहुत लाभदायक है।)*

आज के लेख *हमें क्या अवश्य खाना चाहिए* के साथ हमने *उचित भोजन* के अन्तर्गत, *कब, कैसे, क्या और क्या नहीं खाना चाहिए* पर चर्चा की है। हमारा अगला ध्यान बिन्दु वृद्धावस्था की सुनहरी अवधि को शालीनता से बिताने के लिए *तनाव पर नियंत्रण* और *पर्याप्त नींद लेने पर* होगा।

AGEING GRACEFULLY*. 
                                  --Jagmohan Gautam
(Gist of series covered in sixteen parts. Today we are taking gist of Part XI)
*What We Must Eat*   
Friends,         

We repeatedly described that seniors have very different nutritional  needs than children, teenagers and even middle aged adults. Age related changes can affect how your body processes  food which influence your dietary needs and affect your appetite.

These are some of the changes :

*your metabolism slows down*, which means you need to eat less. As a result, the foods you eat should be as nutrients rich as possible.

 *Your digestive system changes*. Your body produces less of the fluids that it needs to process food in your digestive system when you get older.

*Your appetite may change* Many seniors take one or more medications for health conditions, these can cause side effects such as a lack of appetite or stomach upset which can lead to poor nutrition.

*Your emotional health may be affected.* Seniors who feel depressed or lonely often loose interest in eating. On the other hand , emotional issues may cause some people to eat more.

For taking care of above changes as we get older the following things under the Indian circumstances *we must eat* daily in addition to what we discussed earlier in series Ageing Gracefully as the following eatables are anti ageing as well have capacity to fight with age related issues of health. :

1. *Indian Gooseberry(आँवला)* It's daily use in any shape is like अमृत. Amla controls high BP, heart, eyes, skin and other serious decreases. This is highly anti Ageing.

2. *Fenugreek (मेथी)* For Diabetes, joint pains, Dysentery and other old age problems, it is a miraculously deshi medicine.

3. *छाछ/मठ्ठा* as a substitute of water it should be taken in Breakfast and Lunch which will increase digestion and will give तेज एवं ओज most needed in old age.   

 4. *छोटी हरड़* for stomach ailments, hairs, dental problem it is a boom which may be used as keeping one piece in mouth.

5. *Cinnamon and Honey* it is useful in Asthma, cold, cough, heart disease, chlorastral, uric acid and joint pains.    .   

 6. *Garlic* two buds of garlic during dinner is useful in Cancer, heart disease, uric acid, joint pains etc.

7. *Basil and Black pepper (तुलसी एवं काली मिर्च)* for cough, cold, fever, Asthma, immunity and Respiratory problems ten leaves of Basil and five black pepper chewing is useful.

8. *Dry Ginger (सोंठ)* During change of season, in the beginning of winters and rainy season, this should be used with Gur गुड़.   

           बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। एक शिष्य ने पूछा- "कर्म क्या है?"

बुद्ध ने कहा- "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।"
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।"

यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।

अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है?

दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।

अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।

बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया।

जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।

जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।

यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे।

यह कहानी सुनाकर बुद्ध ने पूछा- "कर्म क्या है?" अनेक शिष्यों ने उत्तर दिया- "हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ..."
बुद्ध ने सिर हिलाया और कहा- *"तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं।"*

1 comment:

  1. Do not disturb the children. Advice if sought. Keep yourself busy.

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