Thursday, April 11, 2019

मन और शरीर एक दूसरे पर आश्रित हैं

*मन और शरीर एक दूसरे पर आश्रित हैं*

जापानी डॉक्टरों ने अनेक शोधों के पश्चात् जो बताया है कि हमारे मन-मस्तिष्क की भावनाओं का हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, वह पूरी तरह सत्य है। उनके अनुसार अधिक चिंतित और तनावग्रस्त रहने से अम्लता (एसिडिटी), अपनी भावनाओं को दबाने से उच्च रक्तचाप व अवसाद, आलस्य से कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, दु:खी रहने से दमा और स्वार्थपरता से मधुमेह जैसे रोग हो जाते हैं। 

जापानी डॉक्टरों के ये निष्कर्ष पूरी तरह हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों के उपदेशों के अनुरूप ही हैं। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्पष्ट लिखा है कि मानसिक रोगों से ही शारीरिक कष्ट या रोग होते हैं- 
*सुनहु तात अब मानस रोगा।*
*जिनते दुख पावहिं बहु लोगा॥*

उन्होंने इन मानसिक रोगों और उनसे उत्पन्न होने वाले शारीरिक रोगों को विस्तार से भी बताया है- 
*मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।*
*तेहि ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥*
*काम वात कफ लोभ अपारा।*
*क्रोध पित्त नित छाती जारा॥*
*प्रीति करहिं जो तीनिहुँ भाई॥*
*उपजहि सन्यपात दुखदाई॥*
अर्थात् सभी बीमारियों की जड़ मोह है, जिससे सभी लोग कष्ट पाते हैं। काम या वासना से वात रोग, लोभ या स्वार्थ से कफ रोग तथा क्रोध, ईर्ष्या, घृणा, चिंता आदि से पित्त रोग रोग होते हैं। जब ये तीनों मिल जाते हैं, तो मनुष्य सन्निपात की स्थिति में पहुँच जाता है। 

यह तो हम सभी जानते हैं कि आयुर्वेद के मतानुसार कफ, वात और पित्त ये तीन दोष हमारे शरीर में होते हैं। जब तक ये तीनों संतुलन की अवस्था में होते हैं, तब तक हम स्वस्थ रहते हैं और जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो अनेक प्रकार के शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं। ये तीनों दोष हमारी मानसिक स्थिति पर अधिक निर्भर करते हैं और शारीरिक स्थिति पर कम। जैसा कि जापानी डॉक्टरों ने भी अपने शोध में बताया है कि रोगों का शारीरिक कारण केवल 10% होता है, शेष अन्य कारण हैं जिनमें आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक कारण सम्मिलित हैं। 

अब प्रश्न उठता है कि इस ज्ञान का रोगों को दूर करने में क्या उपयोग है? इसका उत्तर यह है कि ऊपर बतायी गयी मानसिक भावनायें शारीरिक बीमारियों का मुख्य कारण होती हैं, अत: उन कारणों को दूर कर देने पर उन रोगों को दूर करने में सहायता अवश्य मिलती है। जैसे क्रोध करने से पित्त कुपित होता है, तो प्रसन्न और संतुष्ट रहने से पित्त सामान्य हो जाना चाहिए और होता भी है। खुलकर हँसने को अनेक रोगों का इलाज बताया गया है, वह काल्पनिक नहीं है। 

इसी तरह अन्य मानसिक भावनाओं के बारे में समझा जा सकता है। जिस तरह नकारात्मक भावनाओं का शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, उसी तरह सकारात्मक भावनाओं का शारीरिक स्वास्थ्य पर अच्छा या सकारात्मक प्रभाव पड़ना अवश्यंभावी है। 

अपने मन की भावनाओं को स्वस्थ रखने के लिए कई उपाय बताये गये हैं, जैसे- 
* ध्यान (योग, प्राणायाम)
* हँसना 
* विचारों का प्रकटीकरण (आदान-प्रदान)
* व्यस्त रहना (बौद्धिक और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना) 
यह अवश्य है कि केवल इन्हीं उपायों पर निर्भर रहना शायद किसी रोग को दूर करने के लिए पर्याप्त न हो। अत: इनके साथ-साथ उस रोग का भौतिक उपचार भी करना चाहिए। 

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है और स्वस्थ मन से ही शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। मन और शरीर एक दूसरे पर पूरी तरह आश्रित हैं। एक के स्वास्थ्य का प्रभाव दूसरे पर पड़ना अवश्यंभावी है। 

— *विजय कुमार सिंघल* 
ज्येष्ठ द्वितीय कृ ८, सं २०७५ वि (६ जून २०१८)

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*गर्मी दूर कर शरीर को ठंडक देने वाले आसान उपाय*

*गर्मी के मौसम में दस्त, उल्टी और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। पसीना ज्यादा आने से कई बार थकान भी होती है। ऐसे में कमजोरी महसूस होने लगती है। गर्मी से होने वाली इन समस्याओं से बचने के लिए सही पेय पदार्थ लेना बहुत जरूरी है। शरीर में ठंडक बनी रहती है तो स्वास्थ्य ठीक रहता है और गर्मी के कारण होने वाली ये कॉमन प्रॉब्लम्स परेशान नहीं करती हैं। चलिए, आज जानते हैं गर्मी दूर भगाने वाली कुछ ऐसी ही घरेलू देसी शर्बतों के बारे में, जिन्हें पीने से शरीर को जबरदस्त ठंडक मिलेगी। साथ ही, गर्मी के कारण होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स दूर रहेंगी*

*शरीर(पेट) की गर्मी दूर करने के उपाय :*

1) पानी / Water : शरीर की गर्मी को कम करने के लिए पानी सबसे असरदार तरीका है। हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पियें जिससे कि शरीर की सारी गर्मी चली जाए।

2) गन्ने का रस /sugarcane juice:

<> गर्मी में गन्ने का रस सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। इसे पीने से ताजगी बनी रहती है। लू से बचाव होता है। बुखार होने पर गन्ने का सेवन करने से बुखार जल्दी उतर जाता है।

<> एसिडिटी के कारण होने वाली जलन में भी गन्ने का रस लाभदायक होता है।

<> गन्ने के रस का सेवन यदि नींबू के रस के साथ किया जाए तो पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है। गन्ने के रस में ज्यादा बर्फ मिलाकर नहीं पीना चाहिए, सिर्फ रस पीना ज्यादा फायदेमंद है।

3) छाछ /Buttermilk : गर्मी में छाछ का सेवन ठंडक देने वाला होता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्मी में खाने के बाद छाछ पीने के अनेक फायदे हैं। छाछ में पुदीना, काला नमक और जीरा मिलाकर पीने से गैस व एसिडिटी की समस्या परेशान नहीं करती है।

4) खस का शर्बत : गर्मी में खस के शर्बत का सेवन बहुत ठंडक देने वाला होता है। इसका शर्बत पीने से दिमाग को ठंडक मिलती है। खस का शर्बत बनाने के लिए खस धोकर सुखा लें। उसके बाद इसे पानी में उबालेंं और स्वादानुसार चीनी मिलाएं। छानकर ठंडा कर लें। इसमें थोड़ा खाने वाला हरा रंग मिलाकर बोतल में भर लें।

5) सत्तू : सत्तू भुने हुए चना, जौ और गेहूं को पीसकर बनाया जाता है। बिहार में यह काफी लोकप्रिय है। सत्तू पेट की गर्मी दूर करता है। कुछ लोग इसमें चीनी मिलाकर तो कुछ नमक व मसाले मिलाकर खाते हैं।

6) आम पना /aam panna : कच्चे आम को पानी में उबालकर इसका पल्प निकाल लें। उसमें चीनी, धनिया, पुदीना, नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर पिएं। गर्मी से होने वाले रोग दूर ही रहेंगे।

7) बेल का जूस /wood apple juice : गर्मी में बेल के फलों का जूस बहुत फायदेमंद होता है। गर्मी के कारण होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, लू लगना, शरीर में गर्मी बढऩा आदि समस्याओं में बेल का जूस रामबाण है।

8) ताजे फलों का रस : गर्मी में ताजे फलों का रस बनाकर पीने से भी सेहत बन जाती है। पाइन एप्पल, मैंगो, मौसमी और संतरे जैसे फलों का रस न सिर्फ एनर्जी देता है, बल्कि गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों को भी दूर कर देता है।

9) नींबू पानी /nimbu pani : नींबू पानी गर्मी के मौसम का एक देसी टॉनिक है। बॉडी में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाए तो एनीमिया, जोड़ों का दर्द, दांतों की बीमारी, पायरिया, खांसी और दमा जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। नींबू में विटामिन सी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसलिए इन बीमारियों से दूरी बनाने में यह आपकी मदद करता है। पेट खराब, पेट फूलना, कब्ज, दस्त होने पर नींबू के रस में थोड़ी-सी अजवाइन, जीरा, हींग, काली मिर्च और नमक मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है।

10) तरबूज का रस /Watermelon juice : तरबूज के रस से एसिडिटी खत्म हो जाती है। तरबूज का रस पीने से लू नहीं लगती है। यह दिल के रोगों, डायबिटीज व कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।

11) पुदीने का शर्बत /pudina ka sharbat : गर्मी में पुदीना बेहद फायदेमंद होता है। पुदीने को पीसकर उसमें स्वाद अनुसार नमक, जीरा व मिश्री मिलाएं। इसे पीने से लू, बुखार, जलन, उल्टी व गैस जैसी समस्याओं में काफी लाभ होता है।

12) ठंडाई /thandai : गर्मी में ठंडाई शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है। इसे बनाने के लिए खसखस और बादाम रात को भिगो दें। सुबह इन्हें मिक्सर में पीसकर ठंडे दूध में मिलाएं व स्वादानुसार मिश्री डालकर पिएं। गर्मी दूर हो जाएगी।

गर्मियों में कच्चे आम का पन्ना व प्याज खाना लाभदायक है l सिर व शरीर को धूप में ढंक कर रखें l खालीपेट कभी बाहर न निकलें l

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