Sunday, June 21, 2020

Improve Immunity इम्यूनिटी: क्या, क्यों, कैसे?

*इम्यूनिटी चर्चा-1*

*इम्यूनिटी: क्या, क्यों, कैसे?*

आजकल कोरोना के सन्दर्भ में इम्यूनिटी की बहुत चर्चा हो रही है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा है कि हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि इसका अभी तक कोई सफल उपचार नहीं निकला है और इसके जल्दी समाप्त होने की सम्भावना भी नहीं है। बचाव ही इसका उपचार है। इससे केवल वही लोग बचे रह सकते हैं जिनकी इम्यूनिटी मजबूत है।

*इम्यूनिटी क्या है?*

इम्यूनिटी से हमारा तात्पर्य हमारे शरीर की उस शक्ति से है, जिससे वह मौसम के परिवर्तनों को झेलने और सम्भावित बीमारियों से बचे रहने में समर्थ होता है। इसे अंग्रेजी में इम्यूनिटी (Immunity) और हिन्दी में ‘रोगप्रतिरोधक क्षमता’ कहा जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में इसी शक्ति को ‘जीवनी शक्ति’ कहते हैं। इनमें से 'इम्यूनिटी' शब्द अधिक प्रचलित है और सरल भी है, इसलिए हम यहाँ इसी शब्द का प्रयोग करेंगे।

इम्युनिटी पर चर्चा पर पहले हमको immune system (प्रतिरक्षा प्रणाली) को समझना होगा। चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) किसी जीव के भीतर होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो रोगजनकों और अर्बुद कोशिकाओं को पहले पहचान और फिर मारकर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है। हमारे शरीर में लाल और श्वेत रक्त कण होते हैं। इनमें से लाल रक्त कण हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बनाये रखने और खून का प्रवाह नियमित रखने का कार्य करते हैं, जबकि श्वेत रक्त कण हमारे शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं। इम्यूनिटी बनाये रखने के लिए हमारे शरीर में श्वेत रक्त कणों की पर्याप्त संख्या होना अनिवार्य है। इसमें कमी आने पर शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है, अर्थात् हमारी इम्यूनिटी कम हो जाती है। हमारे शरीर में इम्यूनिटी बनाये रखने में विटामिन प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मुख्य रूप से विटामिन बी6, बी12, सी, ए, ई और डी इम्यूनिटी बनाये रखने के लिए इसी क्रम में महत्वपूर्ण होते हैं।

जिन व्यक्तियों की इम्यूनिटी मजबूत होती है, उनका बड़ी से बड़ी बीमारियाँ भी कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं। सामान्यतया बच्चों और वृद्धों की इम्यूनिटी कम और युवाओं की अधिक होती है। यह समझ लेना आवश्यक है कि आकस्मिक दुर्घटनाओं को छोड़कर अन्य सभी बीमारियों का कारण कमजोर इम्यूनिटी ही है। इसलिए यदि हम कोरोना ही नहीं, बल्कि सभी तरह की बीमारियों से बचे रहना अर्थात् स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो हमारे शरीर में पर्याप्त इम्यूनिटी होनी चाहिए। इस लेखमाला में हम इसे बढ़ाने के उपायों की विस्तार से चर्चा करेंगे।

*कमजोर इम्यूनिटी की पहचान*

हालांकि श्वेत रक्त कणों की संख्या से किसी भी व्यक्ति के शरीर में इम्यूनिटी की मजबूती या कमजोरी का पता चल सकता है, लेकिन कई बार इतना ही पर्याप्त नहीं होता। कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जिनसे पता चलता है कि किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी कैसी है। ये लक्षण संक्षेप में निम्न प्रकार हैं-
1. बार-बार बीमार पड़ना कमजोर इम्यूनिटी का पहला लक्षण है। कई लोग बार-बार बीमार पड़ते रहते हैं और मौसम में आने वाले परिवर्तनों को झेलने में असमर्थ होते हैं। जब मौसम बदलता है, तो वे मान लेते हैं कि अब उन्हें बीमार पड़ना ही है। यह बहुत कमजोर इम्यूनिटी का लक्षण है।
2. बीमार पड़ जाने पर ठीक होने में अधिक समय लगना भी कमजोर इम्यूनिटी के कारण होता है। हमारे शरीर में ऐसी प्राकृतिक व्यवस्था है कि रोग हो जाने पर वह स्वयं ही शरीर को स्वस्थ करने की कोशिश करती है। जब हम इस प्रक्रिया में रुकावट डालते हैं अथवा यह प्रक्रिया सामान्य रूप में नहीं चलती, तो रोग की अवधि बढ़ जाती है।
3. लगातार बीमार बने रहना भी कमजोर इम्यूनिटी का बड़ा लक्षण है। कई लोगों को जुकाम, बुखार, एलर्जी, जोड़ों में दर्द, ब्लड प्रेशर, साँस लेने में कठिनाई आदि शिकायतें हमेशा बनी रहती हैं और वे उनके लिए दवायें खाते रहते हैं। ऐसे लोगों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो जाती है और उनके लिए किसी बड़े और भयंकर रोग से पीड़ित हो जाने की संभावना भी अधिक रहती है।
4. हमेशा थकान या कमजोरी बने रहना, बहुत अधिक नींद आना या आलस्य में पड़े रहना भी कमजोर इम्यूनिटी का एक प्रमुख लक्षण है। काम करने पर तो थकान सभी को आती है, लेकिन सुबह सोकर उठने पर भी थकान की शिकायत करना कमजोर इम्यूनिटी के कारण होता है। ऐसे लोगों के शरीर में रक्त की कमी भी हो सकती है।
5. मौसमी बुखार या प्रचलित बीमारियों से पीड़ित हो जाना भी कमजोर इम्यूनिटी का लक्षण है। मौसमी बुखार या बीमारियाँ तो सबके लिए होती हैं, लेकिन उनसे पीडित वे लोग ही होते हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।

*-- डॉ विजय कुमार सिंघल*
मो. 9919997596
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*इम्यूनिटी चर्चा-2*

*कमजोर इम्यूनिटी के कारण और निवारण*

पिछली कड़ी में हमने कमजोर इम्यूनिटी की पहचान की चर्चा की थी। इस कड़ी में कमजोर इम्यूनिटी के कारणों और उनको दूर करने की चर्चा की गयी है।

*कमजोर इम्यूनिटी के कारण*

कोई भी व्यक्ति रोगी नहीं रहना चाहता। सभी यह चाहते हैं कि वे पूर्ण स्वस्थ और क्रियाशील रहें। लेकिन जाने-अनजाने में वे कई ऐसी गलतियाँ कर जाते हैं कि उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और फिर वे बीमारियों से लड़ने में अक्षम हो जाते हैं। यहाँ उन प्रमुख कारणों की संक्षेप में चर्चा की गयी है, जिनसे हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है-
1. मौसम के विपरीत चलना हमारी कमजोर इम्यूनिटी का सबसे बड़ा कारण होता है। हम गर्मियों में अधिकतर पंखे, कूलर और एसी के सामने बैठे रहते हैं, जाड़ों में हीटर के सामने बने रहते हैं और बारिश में भीगने से बचते हैं। यह प्रवृत्ति इम्यूनिटी को बहुत कमजोर कर देती है, क्योंकि हमारा शरीर मौसम के परिवर्तनों को झेलने में असमर्थ हो जाता है।
2. शारीरिक श्रम की कमी इम्यूनिटी कमजोर होने का दूसरा बड़ा कारण है। किसी तरह का व्यायाम न करना, पैदल न चलकर हमेशा वाहनों में चलना, सीढ़ियाँ न चढ़कर लिफ्ट का उपयोग करना, अपने कार्य भी दूसरों से कराना आदि आदतें शारीरिक श्रम और समय को भले ही बचा देती हों, पर वे शरीर या इम्यूनिटी को कमजोर भी कर देती हैं। ऐसे लोग थोड़ा सा शारीरिक श्रम करने पर ही बुरी तरह हाँफने लगते हैं।
3. खान-पान की गलत आदतों के कारण भी हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। यदि हम घर के बने हुए शुद्ध सात्विक भोजन और पौष्टिक फलों के बजाय बाजारू खाद्यों पर अधिक निर्भर रहते हैं या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुएँ आदि खाते-पीते हैं, तो हमारी इम्यूनिटी का कमजोर हो जाना स्वाभाविक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है।
4. बीमारियों से पीड़ित रहना और उनके कारण दवायें खाते रहना भी कमजोर इम्यूनिटी का एक बड़ा कारण है। मुख्य रूप से ऐलोपैथिक और होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से व्यक्ति की इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो जाती है। इन दवाओं में दर्दनाशक दवायें, एंटीबायोटिक दवायें मुख्य हैं। इनका सेवन करने वाले प्रायः बीमार ही रहते हैं और उनके बीमार पड़ने की संभावना भी सबसे अधिक होती है।
5. शराब, सिगरेट, तम्बाकू, माँसाहार और अंडाहार करने वाले व्यक्तियों की इम्यूनिटी भी बहुत कमजोर हो जाती है, जिससे वे जल्दी बीमार पड़ते हैं और बीमार पड़ जाने पर उनका ठीक होना भी अधिक कठिन होता है।
6. अपनी क्षमता से अधिक परिश्रम करना, पर्याप्त विश्राम न करना और पर्याप्त नींद न लेना भी इम्यूनिटी कमजोर होने के अन्य कारण होते हैं।

*इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय*

अपने शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाना और बनाये रखना वास्तव में बहुत सरल है। इम्यूनिटी कमजोर होने के ऊपर बताये गये कारणों को दूर करना ही इम्यूनिटी बढ़ाने और बनाये रखने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। संक्षेप में इनकी चर्चा यहाँ की जा रही है। इनकी विस्तृत चर्चा आगे के भागों में की जाएगी।
1. अपने शरीर की इम्यूनिटी बनाये रखने के लिए हमें मौसम के साथ चलना चाहिए। इसका तात्पर्य है कि गर्मियों में हम अपने शरीर की शक्ति के अनुसार गर्मी सहन करें, जाड़ों में जाड़ा सहन करें और बरसात में कभी-कभी भीगें भी। जब मौसम हमारी सहन शक्ति से बाहर हो जाये, तभी कृत्रिम उपायों का सहारा लेना चाहिए। हमें उचित मात्रा में धूप और वायु का सेवन भी करना चाहिए।
2. हमें पर्याप्त शारीरिक श्रम करना चाहिए। इसके लिए हमें प्रतिदिन 30 से 60 मिनट तक योग-व्यायाम करना चाहिए, जहाँ तक सम्भव हो पैदल चलना चाहिए, कुछ मंजिलों तक लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से जाना चाहिए और अपने कार्य स्वयं करने की आदत डालनी चाहिए।
3. अपनी इम्यूनिटी बनाये रखने के लिए हमें अपने घर का बना सादा और सात्विक भोजन करना चाहिए। बाजारू और डिब्बा बंद खाद्यों से कोसभर दूर रहना चाहिए। हमारे भोजन में ताजे फलों, हरी सब्जियों, सलाद, दूध से बने शुद्ध पदार्थों, अंकुरित अन्न, सूखे मेवा आदि की प्रधानता होनी चाहिए। इम्यूनिटी बनाये रखने के लिए आवश्यक विटामिनों, जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है, की पूर्ति प्राकृतिक स्रोतों से ही करनी चाहिए। इनके अलावा लहसुन, अदरक, काली मिर्च, तुलसी पत्ते, नींबू, हल्दी, धनिया आदि कुछ ऐसी वस्तुएँ हैं, जो हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाने में बहुत सहायक होती हैं। हमें अपने भोजन में उनको भी स्थान देना चाहिए। हमारे खान-पान में जल की मात्रा भी पर्याप्त होनी चाहिए।
4. कभी संयोग से बीमार पड़ जाने पर हमें दवाएँ नहीं खानी चाहिए, बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा अपनाकर और बहुत आवश्यक होने पर आयुर्वेदिक दवाएँ न्यूनतम मात्रा में खाकर ही स्वस्थ होना चाहिए। प्राकृतिक चिकित्सा में कोई दवा नहीं दी जाती और उसके उपायों से मुक्त होने पर दोबारा बीमार पड़ने की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।
5. हमें सभी तरह के नशे व्यसन आदि से दूर रहना चाहिए और हमेशा शुद्ध शाकाहारी सात्विक वस्तुओं का सेवन करना चाहिए।
6. यह ध्यान रहे कि हम अनावश्यक श्रम न करें और श्रम के बाद पर्याप्त मात्रा में विश्राम भी अवश्य करें। रात्रि को 6 घंटे से 8 घंटे की गहरी नींद लेना आवश्यक है। देर रात तक जगना और फिर सुबह देर तक सोना इम्यूनिटी के लिए बहुत हानिकारक है।

यदि हम इन उपायों को अपनाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से हमारी इम्यूनिटी पर्याप्त मजबूत बनी रहेगी और बीमार पड़ने की कोई संभावना ही नहीं रहेगी।

इस लेखमाला के आगे के भागों में हम इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में बताये गये उपायों की चर्चा करेंगे।

*-- डॉ विजय कुमार सिंघल*
मो. 9919997596

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*इम्यूनिटी चर्चा-3*

*प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग द्वारा इम्यूनिटी*

पिछली कड़ी में आप पढ़ चुके हैं कि इम्यूनिटी कम करने वाले कारणों को दूर करके आप अपनी इम्यूनिटी को किसी भी सीमा तक बढ़ा सकते हैं और स्वयं को कोरोना जैसी महामारियों से सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें प्राकृतिक चिकित्सा और योग आपकी बहुत सहायता कर सकते हैं। कई योग क्रियाओं से हम अपने शरीर को विकारों से मुक्त कर सकते हैं और इस प्रकार अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। यह पाया गया है कि नियमित योगासन और प्राणायाम करने वाले व्यक्तियों की इम्यूनिटी अच्छी होती है और वे बहुत कम बीमार पड़ते हैं। योग की मुख्य शुद्धि क्रियाएं नेति, कुंजल, भस्त्रिका, कपालभाति, उज्जायी प्राणायाम, अग्निसार, आसन आदि हैं। हमें प्रतिदिन 30 मिनट से 45 मिनट तक का योगाभ्यास अवश्य कर लेना चाहिए।

प्राकृतिक चिकित्सा वास्तव में प्राकृतिक जीवन शैली है जिससे हमारी जीवनी शक्ति बढ़ती है। जीवन शैली में रहन सहन, खानपान, उठना-बैठना, सोना, विश्राम आदि शामिल होते हैं। हमारी जीवनी शक्ति अर्थात् इम्यूनिटी पर अप्राकृतिक जीवन शैली का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः अप्राकृतिक या कृत्रिम जीवन शैली को छोड़कर प्राकृतिक और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर हम अपनी इम्यूनिटी का क्षय रोक सकते हैं और उसे पर्याप्त सीमा तक बढ़ा सकते हैं।

स्वस्थ जीवन शैली द्वारा इम्यूनिटी सुधारने के कुछ उपाय निम्न प्रकार हैं-

1. इम्यूनिटी बढ़ाने वाले मुख्य विटामिन बी6, बी12, ए, सी, ई और डी हैं। इनको अपने दैनिक भोजन से प्राप्त करना सबसे अच्छा रहता है। इम्यून सिस्टम के लिए बी6 सबसे महत्वपूर्ण है। यह हमें केला, आलू, चना, शकरकंद, गाजर, पालक आदि से प्राप्त होता है। अपने भोजन में विटामिन सी शामिल करें। इसकी प्रतिदिन 90 मिग्रा की मात्रा आवश्यक है। यह मुख्यतः खट्ठे फलों में पाया जाता है, जैसे- सन्तरा, मौसमी, आँवला, अमरूद, शिमला मिर्च, नीबू, किवी, अनन्नास पालक आदि। यह श्वेत रक्त कणों की संख्या बढ़ाता है, जिससे शरीर बाहरी विषाणुओं से सुरक्षित रहता है। संक्रमणों से लड़ने में विटामिन ई भी बहुत आवश्यक है। यह हमें सूखे मेवों, पालक, सूरजमुखी के तेल आदि से मिलता है।

2. पर्याप्त जल पियें। हमारे शरीर में 60 से 70 प्रतिशत जल होता है। हमें कम से कम ढाई लीटर जल प्रतिदिन अवश्य पीना चाहिए। यदि हमारे मूत्र का रंग गहरा पीला है, तो उसका रंग हल्का पीला आने तक जल की मात्रा बढ़ानी चाहिए। जल हमारे शरीर में कई विटामिनों, खनिजों और पोषक तत्वों को आत्मसात करने में भी सहायक होता है।

3. कई वस्तुएँ इम्यूनिटी के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। उनके सेवन से बचना चाहिए। इन वस्तुओं में मुख्य हैं-
-- मैदा से बने हुए पदार्थ, जैसे ब्रेड, नान, भटूरे, बर्गर, पिज्जा, जलेबी, समोसा, कचोरी, पाव (पाव-भाजी वाला) इत्यादि बिल्कुल भी न खाएँ।
-- सफेद चीनी और उससे बनी वस्तुएँ बिल्कुल नहीं खाएँ। इसकी जगह गुड़ या शक्कर खा सकते हैं।
-- रिफाइंड तेलों के बजाय सरसों, तिल, मूँगफली, या नारियल के तेलों का उपयोग भोजन बनाने में करें।
-- बाहर का कोई भी जंक फूड न खाएँ। पैकिंग वाली चीजें भी न खाएँ या कम से कम खाएँ।
-- एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाना बन्द करें। इसके बजाय पीतल कांसा मिट्टी के बर्तन में पका हुआ भोजन ही खाएं।
-- बाजारू कोल्ड ड्रिंक बिल्कुल नहीं पीयें। इनके स्थान पर फलों के जूस, नींबू की शिकंजी, बादाम ठंडाई आदि का सेवन करें।
-- ऐसी फल-सब्जी अथवा अन्य खाद्य सामग्री से हर हाल में बचें जिस पर अनेक व्यक्तियों के हाथ बार-बार लगते हैं। मजबूरी मे यदि खाना ही पड़े तो फल-सब्जियों को उबले पानी मे नमक या बेकिंग पावडर डालकर अच्छी तरह से धोने के पश्चात ही उपयोग में लायें।

4. पर्याप्त विश्राम करें और पूरी नींद लें। 8 घंटे की गहरी निद्रा अनिवार्य है। ध्यान और शिथिलीकरण की सहायता से शरीर को अधिक से अधिक विश्राम देना चाहिए।

5. मानसिक तनाव घटायें। लगातार तनाव में रहने पर विषाणुओं से लड़ने में आप कमजोर हो जाते हैं। इससे इम्यूनिटी घट जाती है। तनाव घटाने के लिए सकारात्मक विचारों वाली पुस्तकें पढ़ें। आप कोई रचनात्मक शौक पाल सकते हैं, जैसे बागवानी करना, चित्र बनाना, खिलौने बनाना आदि।

6. पूर्ण शाकाहार स्वस्थ एवं रोगमुक्त रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सब्जियों और फलों को उनके प्राकृतिक रूप में ही लेना चाहिए। साथ ही उच्च रेशे वाले अन्न, दाल, फलियाँ और मूँगफलियाँ भी आवश्यक हैं। ये पचने में सरल और पोषक पदार्थों विटामिनों खनिजों आदि से भरपूर होते हैं। आपके भोजन की प्लेट में दो-तिहाई भाग इन चीजों का होना चाहिए। शाकाहार से हमें अपने शरीर के लिए आवश्यक सभी पदार्थ मिल जाते हैं।

7. धूप का सेवन करने से आप अनेक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से बचे रहते हैं। इससे हमें विटामिन डी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो कैल्शियम को पचाने के लिए अनिवार्य है। धूप स्नान खाली पेट लेना चाहिए और उसके बाद शीतल जल से स्नान करके आधा घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए। खुली त्वचा पर नारियल, तिल, जैतून या सरसों का तेल लगाकर सुहाती धूप में बैठना चाहिए। यदि धूप तेज हो, तो सिर को ठंडे गीले कपड़े से ढक लेना चाहिए।

इन उपायों को अपनाने से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में इम्यूनिटी का विकास कर सकता है और न केवल नये रोगों से बचा रह सकता है, बल्कि पुराने रोग, यदि कोई हों, से भी छुटकारा पा सकता है।

-- *डॉ विजय कुमार सिंघल*
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596
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*इम्युनिटी चर्चा-4*

*आयुर्वेद एवं घरेलू उपचार द्वारा इम्युनिटी*

पिछली कड़ी में आपने प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग द्वारा इम्यूनिटी बढ़ाने के उपायों के बारे में पढ़ा। इस कड़ी में हम आयुर्वेद एवं घरेलू उपचारों द्वारा इम्यूनिटी का विकास करने की चर्चा करेंगे।

आयुर्वेद ने मानव शरीर के दो सत्यों को सबसे पहले जानकर अपनी विकास यात्रा प्रारम्भ की-
(1) स्वास्थ्य क्या है?
(2) अस्वस्थ व्यक्ति को कैसे स्वस्थ किया जा सकता है?

आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसने अनुसंधानों के पश्चात इन सत्यों को अपना आधार बनाया। प्राचीन आयुर्वेदवेत्ताओं को इस बात का अनुभव हो गया था कि पूरी जनसंख्या को चिकित्सकों द्वारा चिकित्सा उपलब्ध कराना एक स्वप्न ही रहेगा। इसलिए आयुर्वेद के अपने ज्ञान को प्रभावी शिक्षा एवं जीवन शैली के माध्यम से समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा दिया, जिससे समाज, परिवार एवं व्यक्ति को करीब 80 प्रतिशत रोगों का स्वयं सफल उपचार करने में समर्थ हो गये। इसी ज्ञान को अब घरेलू चिकित्सा के रूप से जाना जाता है।

आयुर्वेद ने हमारी जीवनशैली में रसोई के रूप में खान-पान में स्वास्थ्य के लिए आवश्यक एवं रोग की स्थिति में ऐसी जड़ी-बूटियों का समावेश कर दिया है, जो सफल औषधियों के रूप मैं आयुर्वेद में उपयोग होती रही हैं विशेषतया इम्युनिटी हेतु। हमारे रसोईघर में कई वस्तुएँ ऐसी होती हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती हैं, जैसे लहसुन, अदरक, शहद, नीबू, हल्दी, लोंग, काली मिर्च आदि। हमें इन वस्तुओं को अपने भोजन का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे दिन का प्रारम्भ गुनगुने पानी में नीबू और शहद मिश्रित करके उसे पीने से किया जा सकता है, जिसके अनेक लाभ होते हैं।

इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे योग भी आयुर्वेद ने बताये हैं, जिनके नियमित सेवन से मानव के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात् इम्यूनिटी का विकास किया जा सकता है। ऐसे कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-

1. च्यवन प्राश का नियमित सेवन दूध या जल के साथ या वैसे ही।

2. त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन शहद में मिश्रित करके अथवा केवल जल के साथ।

3. लोंग, बड़ी इलायची, काली मिर्च, तुलसी पत्ते, सौंठ, दाल चीनी और मुनक्का का काढ़ा प्रतिदिन सेवन करना। ऐसा काढ़ा न केवल शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है, बल्कि कफ और वात जैसे दोषों को निकालकर शरीर को रोगमुक्त भी करता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी ऐसे ही काढ़े का सेवन करके अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने का सुझाव दिया है।

इन उपायों को अपनाने से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में इम्यूनिटी का विकास कर सकता है और न केवल नये रोगों से बचा रह सकता है, बल्कि पुराने रोग यदि कोई हों से भी छुटकारा पा सकता है।

*-- डाॅ विजय कुमार सिंघल*
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596
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*इम्युनिटी चर्चा* - 5

_आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सन्तुत इम्युनिटी बढाने के उपाय_


*1. सामान्य उपाय* :--
मंत्रालय का कहना है कि महामारी के दौर मैं प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में स्व्स्थ रहने के लिए कुछ साधारण आदतों को नित्य अपनाना होगा। यथा पूरे दिन गर्म जल पीना एवम नित्य योग, ध्यान, आसन, प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना, दैनिक खाना पकाने में हल्दी, जीरा, धनिया का अपने भोजन मैं उपयोग भी स्वास्थ के लिए लाभकारी होगा।
*2. प्रतिरक्षा को बढाने वाले उपाय।*
कोविड 19 की महामारी के मध्य आयुर्वेद के निम्न उपायो के उपयोग हेतु आयुष मंत्रालय ने सुझाव दिए हैं।
---- नित्य प्रातः एक चम्मच (10 ग्राम) च्वयनप्राश का सेवन। ( मधुमेह के रोगी चीनी मुक्त संस्करण उपयोग करें)
----दिन मैं दो बार तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ, मुनक्का का *काढ़ा* पीये। स्वाद के अनुसार गुड़ एवम/अथवा  ताजा नींबू का रस मिला सकते हैं। ( एक व्यक्ति के लिए एक कप काढ़ा तैयार करने के लिए दो कप पीने योग्य जल आग पर चढ़ाए एवं इसमें 3-4  चौथाई इंच दालचीनी, 3-4 काली मिर्च, आधाइन्च सोंठ दरदरी करके जल में डाल दें साथ में 3-4 तुलसी के पत्ते व 2-3 मुनक्के भी डाल दे। उबलने दें एवम एक कप जल रहने पर गुड़ व नींबू का रस स्वादानुसार मिलाकर ले। मुनक्का भी बीज निकालकर खा लें)
----दिन में एक या दो बार आधा/एक ग्लास गुनगुने दूध मैं आधा चम्मच हल्दी मिलाकर लें।
*3. सूखी खांसी और गले में खराश के मध्य।*

सूखी खांसी अथवा खराश से उत्पन्न असुविधा से आराम पाने के लिए निम्न आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाए जा सकते हैं। ::

-- दिन में एक बार अजवायन अथवा पोदीने की पत्तियों के भाप का भपारा (inhalation) लें।
---खांसी एवम गले की खराश के लिए लौंग का पावडर चीनी अथवा शहद के साथ दिन में एक दो बार लें।
--- मंत्रालय का यह भी आग्रह है कि कि लक्षण बने रहने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।

*4. आयुर्वेद के निम्न नुस्खों/उपायों को भी नित्य अपनाएं।*

आपके लक्षण हों या न हो, आयुर्वेद के निम्न साधारण उपायों को  अपनाए।::-
-- प्रातः एवम रात्रि में नित्य नाक मैं देशी घी, तिल का तेल अथवा नारियल का तेल अवश्य डालें।
--दिन में एक या दो बार एक चम्मच तिल का तेल अथवा नारियल का तेल मुंह में लेकर खूब मुँह में 2-3 मिनट घुमाए। इसके बाद थूक दें एवम गर्म पानी का कुल्ला करें।
आशा है आप सभी इन उपायों का उपयोग अवश्य कर रहे होंगे। इम्युनिटी चर्चा के अगले अंक में हम होमियोपैथी के अनुसार इम्युनिटी बढाने के उपायों पर प्रकाश डालेंगे। धन्यवाद

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*इम्युनिटी चर्चा - 6*

_होमियोपैथी एवम इम्युनिटी_


चिकित्सा शास्त्र होमियोपैथी के जनक डॉ0 हैनिमैन ने मनुष्य के शरीर में जीवनी शक्ति (इम्युनिटी) को पहचान कर यह प्रतिपादित किया कि यह जीवनी शक्ति शरीर को बाह्य रूप से आक्रमण करने वाले रोगों से बचाती है। परन्तु रोग की अवस्था में यह जीवनी शक्ति स्वयम भी रोग ग्रसित हो जाती है।
 *होमियोपैथी का मूल सिद्धांत*  रोग उन्हीं औषधियों से निरापद रूप से, शीघ्रातिशीघ्र और अत्यंत प्रभावशाली रूप से दूर होता हैं, जो रोगी के रोगलक्षणों से मिलते-जुलते लक्षण उत्पन्न करने में सक्षम हैं।

दूसरे शब्दों में, इस नियम के अनुसार जिस औषधि की अधिक मात्रा स्वस्थ शरीर में जो विकार पैदा करती है उसी औषधि की लघु मात्रा वैसे समलक्षण वाले प्राकृतिक लक्षणॊं को नष्ट भी करती है। उदाहरण के लिये _कच्चे प्याज काटने पर जुकाम के जो लक्षण उभरते हैं जैसे नाक, आँख से पानी निकलना उसी प्रकार के जुकाम के स्थिति में होम्योपैथिक औषधि ऐलीयम सीपा देने से ठीक भी हो जाता है।_

1918 में फैली महामारी स्पेनिश फ्लू, क्यूबा की स्वास्थ्य पर सफलता की कहानी एवम स्वाइन फ्लू मैं होमियोपैथी के प्रयोगों ने रोगों की प्रतिरोधात्मक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने पर अद्भुत कार्य किये है जिससे इस चिकित्सा पद्यति की सफलता पर विश्वास बढ़ा है। अनेक प्रयोगों ने सिद्ध कर दिया है कि कोविड -19 के संक्रमण से बचने के लिए भी होमियोपैथी की दवाइयां कारगर  हैं।
(1)  *आयुष मंत्रालय*, भारत सरकार ने संतुति की है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए होमियोपैथी की दवा “ एस बी एल आर्सेनिक एल्बम 30 (S B L Arsenic Album 30) उपयोगी है। यह दवाई गोलियों में एवम लिक्विड में उपलब्ध है। गोली में 4 गोली सुबह खाली पेट एवम 4 गोली शाम को तीन दिन लेनी हैं। लिक्विड दवाई की दो बूंद एक बड़ी चम्मच मैं पानी के साथ मिलाकर लेनी है। बच्चों को इसकी आधी डोज देनी है।एक महीने बाद इसको दोहराना है।
(2)   *मुम्बई, भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होमियोपैथ डॉ0 राजन शंकरन*   ने सफलता के साथ विश्व के अनेक देशों में जहां कोविड-19 का संक्रमण अधिक था, मैं अपनी टीम के साथ होमियोपैथी की दवाई का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है विशेषतया ईरान मैं इसके बहुत ही सकारात्मक  परिणाम आए हैं। इन प्रयोगों को बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक श्री राजीव बजाज के सहयोग से पूना पुलिस एवम बजाज ऑटो के कर्मचारियों मैं रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढाने हेतु व्रहत सफल प्रयोग हुआ है। यह दवा - कैम्फोर 1000 ( *CAMPHORA 1000* जो CAMPHORA 1M के नाम से भी जानी जाती है) जो उच्च शक्ति (High Potency) की है, का महीने में दो दिन, दिन में दो बार सुबह-शाम प्रयोग करना है। यह दवाई भी गोलियों में एवम लिक्विड रूप में उपलब्ध है। चार गोली अथवा दो बूंद दवाई चौथाई कप पानी में वयस्क एवम इसकी आधी खुराक बच्चो को दें।
(3) *होमिओपैथी की दवाई लेते समय ली जाने वाली सामान्य सावधानियां* :
कृपया ध्यान रखें कि दवाई लेने के आधा घण्टे पूर्व एवम पश्चात कोई भी वस्तु न तो खाएं एवम न ही पीये। अर्थात मुंह के अंदर किसी भी खाद्य पदार्थ, टूथ पेस्ट, अथवा ड्रिंक की गंध न हो। दवाई लेने से पूर्व सादे जल का कुल्ला कर लें। गोली अथवा दवा युक्त जल को कुछ देर जीभ पर रखें। दवाई को उंगली से न छुए अपितु सीधे उपयोग करें। अच्छा हो दवाई लेने के दिनो मैं तीक्ष्ण गन्ध वाले खाद्य यथा लहसुन, प्याज, हींग इत्यादि के सेवन से बचें।
चूंकि होमेओपेथी की दवाइयां सस्ती, प्रभावकारी एवम पार्श्व प्रभाव भी नहीं दिखाती हैं अतः इनको लेने में हानि होने की सम्भावनाए कम हैं।
 इस लेखमाला का अगला भाग सिद्ध अथवा यूनानी चिकित्सा पद्यतियों अनुसार इम्युनिटी होगा। धन्यवाद। --

 जग मोहन गौतम

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