आयुर्वेद सम्मत मॉनव शरीर को निरोग रखने के उपाय
By जग मोहन गौतम
भोजन कैसे करें/खायें
हमारे शरीर को ऊर्जा खाना खाने से नहीं बल्कि उसको पचाने से मिलती है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन का पचना महत्वपूर्ण है। अपनी पाचन शक्ति को पूर्ण बनाये रखने के लिए "कैसे खायें" अर्थात् खाने की विधि, अहम भूमिका निभाती है, क्योंकि इससे पर्याप्त लार (Saliva) का निर्माण होता है, जो पाचन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके साथ ही विधिवत भोजन करते हुए आत्म संतुष्टि हमको परम् आनंद का बोध कराती हुई स्व्स्थ जीवन की और ले जाती है।
एक सही कहावत है कि "खाने को पियो और पानी को खाओ"। भोजन को सही प्रकार से पर्याप्त समय तक चबाने से क़ब्ज़ दूर रहता है, दाँत मज़बूत होते हैं, भूख बढ़ती है और पेट की बहुत सी शिकायतें नहीं होतीं। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। आपको प्रारम्भ में भोजन करते समय मात्र कुछ दिन भोजन के कोर को चबाने का ध्यान देना होगा। एक बार जब चबाने से रस की प्राप्ति हों जायेगी तो स्वतः भोजन के स्वाद को भूल कर आप इस और आगे बढ़ते जाएंगे।
यदि दोनों हाथ, पैर तथा मुँह धोकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके भोजन किया जाये (स्वच्छ होकर संक्रमण के बचाव से), व्यक्ति की आयु बढ़ जाती है अर्थात् इससे भोजन के पाचन में सहायता मिलती है।
चलने-फिरने की स्थिति हमारी जीवनशैली और परम्पराओं का भी अभिन्न भाग है। *हमारे शरीर का निर्माण लेटने, बैठने और चलने में सुविधा के लिए किया गया है*। खड़े होने की स्थिति (Standing position) एक संक्रमण काल (transition period) है. इसलिए खड़े होने की स्थिति में जीवन की कोई भी गतिविधि नहीं की जानी चाहिए। इससे ऐसी बहुत सी शिकायतें दूर रहेंगी जो आजकल आम हो गयी हैं। खड़े /अर्ध खड़े होकर भोजन करना भी ऐसी ही गतिविधि है, जिससे हमको निजात पानी ही होगी।
आयुर्वेद के तीन प्रमुख ग्रंथों में से एक *सुश्रुत संहिता* के अनुसार- "किसी उठे हुए स्थान पर सुविधापूर्वक बैठकर, समान स्थिति में रहते हुए और भोजन पर ध्यान केन्द्रित करके उचित समय पर (अर्थात् जब जठराग्नि प्रबल हो और वास्तविक भूख लग रही हो), उचित मात्रा में (अपनी पाचन शक्ति के अनुसार) भोजन करना चाहिए।"
इसी प्रकार मानसिक कार्य करने वालों को सुखासन में और शारीरिक श्रम करने वालों को कागासन में (उकड़ूँ) बैठकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन की मेज़-कुर्सी की अवधारणा यूरोपीय है, क्योंकि वहाँ की जलवायु ठंडी है और इसका हमारी परिस्थितियों से सामंजस्य नहीं बैठता है। भारतीय परिस्थितियों में भोजन किसी आसन पर बैठकर किया जाता है और भोजन को किसी उठे हुए स्थान जैसे चौकी पर रखा जाता है। यदि किसी को चौकी-आसन के प्रयोग में असुविधा हो, तो वे कुर्सी पर सुखासन में (पालथी मारकर) बैठ सकते हैं और भोजन को डाइनिंग टेबल पर रख सकते हैं।
भोजन को छुरी-काँटे और चम्मच के बिना हाथ से करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसा करने से शरीर में पाँचों तत्वों (पृथ्वी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि जो पांचों उंगलियों में विद्यमान हैं) का संतुलन बना रहता है, जिसका परिणाम होता है- अच्छा स्वास्थ्य। भोजन प्रसन्नतापूर्वक मौन रहकर करना चाहिए ताकि पर्याप्त मात्रा में लार का निर्माण हो। उल्लेखनीय है कि लार आयु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और पाचन में सहायता करती है। इसका निर्माण प्रत्येक कौर को कम से कम ३२ बार अर्थात् अच्छी तरह चबाने से पर्याप्त मात्रा में होता है। चबाते समय अपने मुख को बन्द रखें और आवाज न करें। हर बार छोटे-छोटे कौर तोड़कर खाइए ताकि आप सरलता से साँस ले सकें और कौर को बिना कठिनाई के चबा सकें। शांत रहना और इस पर ध्यान देना भी सहायक होता है कि आप क्या खा रहे हैं, बजाय सबकुछ निगल जाने के। खाते समय बात करना, टीवी देखना या पढ़ना भी उचित नहीं है।
*शांत मन से, एकांत स्थान पर, पांचों इंद्रियों का भोजन पर ध्यान केंद्रित किये हुए, प्रकृति का आभार करते हुए, परमात्मा का स्मरण करके भोजन देने के लिए उसका आभार करते हुए, असहाय, बेसहारा- मॉनव, पशु एवम पक्षी को भोजन निकालते हुए समपर्ण भाव एवम रुचि से , परिवार के साथ भोजन करने से भोजन रुचिकर ही नहीं अपितु स्वस्थता प्रदान करने वाला एवम आयु बढाने वाला हो जाता है।
हालांकि इन छोटे छोटे भोजन करने के नियमों का पॉलन आदि काल से हमारे पूर्वज करते हुए निरोग्य जीवन व्यतीत करते रहे हैं। पिछले 50-60 वर्षों से पाश्चात्य सभ्यता के हम अति निकट पहुंच कर अपना स्वास्थ्य भी गवां बैठे हैं। आवश्यकता है फिर से इन आजमाए हुए नियमों की पुनर्स्थापना की। आइये धीरे धीरे अपने आपको इन नियमो के हवाले कर के आने वाली पीढ़ी का भी स्व्स्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त करते चले।
इस लेखमाला के भाग 6ख में हम पानी कैसे पीएं पर चर्चा करेंगे। हमारा सौभाग्य होगा यदि किसी बात विशेष पर स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया जाय।
----*** *जग मोहन गौतम*
मोब0- 9910250284 / 7982584798
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