मित्रो
पृथ्वी पर कुछ स्थान ऐसे हैं। जहां पर लोग सौ वर्ष की आयु तक पूर्ण स्वस्थ जीवित रहते हैं ।वैज्ञानिकों ने उनके जीवन का अध्ययन किया। और कुछ आदतें उनमें समान पाईं।
1) वे सभी 250/500 ग्राम मौसमी उपलब्ध मन पसंद फल रोज अवश्य खाते हैं।
जो भी आपको फल अच्छा लगे,उपलब्ध हो,खा सकते हैं, अच्छा हो यदि जहां आप निवास करते हैं वहां उगाया गया, मौसम के अनुकूल हो।
2)-वे सभी 250/500 ग्राम कच्चा सलाद रोज खाते हैं, ऋतु चर्यबके अनुसार।
3) वे 25/50 ग्राम पत्ते रोज खाते हैं। मीठा नीम, तुलसी, पालक,नीम, धनिया, पोदिना, मेथी आदि पत्ते हम कच्चे खा सकते हैं
4) वे 20/25 ग्राम नट अर्थात काजू बादाम या मूंगफली आदि रोज खाते हैं
5) वे दही अथवा छाछ रोज लेते हैं।
6) वे शारीरिक श्रम अवश्य करते रहते हैं।
मित्रो
मेरा काम था।उनके 100 वर्ष स्वस्थ रूप से जीवन जीने का रहस्य बताना।
मैंने बता दिया।
अब यदि आप स्वस्थ जीवित रहने के इच्छुक हैं तो इतने सरल तरीके को अवश्य अपनाइए।
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मित्रो,
कल हमने मात्र 6 सूत्रों के माध्यम से स्वस्थ्य दीर्घायु जीने का मंत्र दिया था। इसको अनेक लोगों ने सराहा है। हम समझते हैं कि इस विषय पर विस्तार की एवम कुछ और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। जिसको हम क्रमवार आने वाले दिनों में प्रस्तुत करेंगे।
आज हम कल की पोस्ट पर कुछ स्पष्टीकरण एवम व्याख्या प्रस्तुत कर रहे हैं।
1) *नित्य फल खाने के बावत हमको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि:*
(i) जहां तक हो सके, फल मौसमी हों, स्थानीय उगाए गए हों। यह नहीं कि तरबूज जाड़ो में खाया जाए! विदेशी फलों की तासीर को बिना जाने न खाएं। कम से कम ऋतु के विरूद्ध प्रकृति का फल तो न ही खाया जाए।
(ii) फल सदैव एवम अधिकतर प्रातः नाश्ते के साथ लेना चाहिए। भोजन के पश्चात कदापि न लें। कोशिश करें रात्रि में भी न लें।
(iii) फल के प्रति अधकचरे ज्ञान यथा इससे मधुमेह होगा, पेट के लिए अच्छा नहीं है के झमेले से दूर रहें।
(iv) बाजार में जब तक आंवला उपलब्ध है तब तक नित्य 2-3 प्रति व्यक्ति के अनुसार किसी भी रूप में अवश्य लें।
2) *कच्चा सलाद खाने के बावत निम्न नियम अपनाएं।*
(i) सलाद भोजन से पूर्व इतनी अवश्य खाएं की करीब करीब आधा पेट इससे भर जाय। मुख्य भोजन इसके पश्चात ही खाना प्रारम्भ करें।
(ii) सलाद को प्याज, टमाटर, खीरा, मूली तक ही सीमित न रखें अपितु इसमें कुछ कच्ची खाने योग्य सब्जियां, कुछ टमाटर की तरह के फल एवम हरी पत्तियों को भी स्थान दें।
(iii) खीरे से विशेषतया एवम अन्य सब्जियां व फल जो हाइब्रिड (वर्ण शंकर) हों से बचे। क्योंकि ये ऋतु अनुसार नहीं पैदा होते हैं।
3) *नट / सूखे मेवे खाने में निम्न बातों का ध्यान रखें।*
(i) इसको चलते फिरते खाने से परहेज करें। अर्थात भोजन के समय ही लें।
(ii) आदर्श स्थिति में 5-5 बादाम, अखरोट एवं मुन्नक्के, 2-2 खजूर व अंजीर रात्रि के भीगे हुए प्रातः नाश्ते में लें। बादाम का छिलका उतारकर खाएं।
(iii) रात्रि को सोने से पूर्व पीये जाने वाले दूध में 4-5 मुनक्का व 1-2 छुआरा दूध में उबालकर पी सकते हैं।
4) *दही एवम छाछ*
(i) छाछ को प्राथमिकता दें।
(ii) छाछ अथवा दही को चढ़ते सूर्य के समय ही उपयोग करें अर्थात सायं व रात्रि में न लें।
(iii) छाछ दोपहर के भोजन के अंत में लें।
(iv) शरद ऋतु में छाछ/दही न लें।
5) *शारीरिक श्रम*
(i) ऐसा करें जिसमें शरीर के सभी अंग व उप अंग प्रभावित हो जाय।
(ii) पूरे दिन में कुल 4-5 किलोमीटर तेजी से अवश्य चलें। कुल समय 45 मिनेट
(iii) दो योगासन बेठकर किये जाने वाले, दो खड़े होकर किये जाने वाले सूर्य नमस्कार मिलाकर, दो पेट के बल लेट कर किये जाने वाले एवम दो कमर के बल लेटकर किये जाने वाले नित्य अवश्य करें - कुल समय 45 मिनेट
(iv) 15 मिनेट प्राणायाम को भी दें।
*क्या आपको पता है कि इस पृथ्वी पर ऐसे भौगोलिक क्षेत्र है, जहां लाइफ स्टाइल रोग इस क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों में 17.5% व्यक्तियों में हैं वहीं दूसरी और ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां के निवासियों को लाइफ स्टाइल रोग शून्य हैं।* आगे की इस लेख माला की कुछ कड़ियाँ इसी विषय पर एवम इसके कारणों के वैज्ञानिक आधारों पर होंगी।
धन्यवाद।
--- *जग मोहन गौतम*
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*प्राकृतिक चिकित्सा-62*
*स्वास्थ्य का बीमा - साप्ताहिक उपवास*
प्रत्येक व्यक्ति और प्राणी को विश्राम की आवश्यकता होती है। प्रत्येक कर्मचारी को सप्ताह में एक या दो बार छुट्टी दी जाती है। बाजार भी सप्ताह में एक दिन बन्द रहते हैं। यहाँ तक कि हमारे देवता भी चार महीने के लिए सो जाते हैं। बड़ी-बड़ी मशीनों को भी कुछ समय तक बन्द रखा जाता है। हमारा पाचन तंत्र भी एक मशीन है। उसे भी सप्ताह में एक बार आराम की आवश्यकता होती है। यह आराम हम साप्ताहिक उपवास द्वारा सरलता से दे सकते हैं। इसके लिए आप सप्ताह का कोई एक दिन अपनी सुविधा से तय कर सकते हैं। इस उपवास से हमारा पाचन तंत्र पुनः सबल हो जाता है।
साप्ताहिक उपवास कई प्रकार से किया जा सकता है। पूर्ण उपवास तो वह है कि आप सप्ताह में एक दिन केवल जल का सेवन करें, उसके अलावा कुछ नहीं। इस प्रकार जल पर उपवास करने से हमारे पाचन तंत्र को पूर्ण आराम मिल जाता है, जो बहुत मूल्यवान होता है। लेकिन ऐसा उपवास करने पर हमें कष्ट भी होता है, क्योंकि हमारा शरीर अपने नियमित समय पर भोजन माँगता है, जिसके अभाव में हमें कमजोरी आती है। इसलिए ऐसे उपवास की सलाह मैं प्रायः नहीं देता।
दूसरा विकल्प है- तरल पदार्थों पर रहना, इनमें फलों के ताजा जूस और सब्जियों के सूप पर ही रहा जाता है, अन्य सभी वस्त ुओं का पूर्ण निषेध होता है। उपवासी को दिन में चार बार चार-चार घंटे के अन्तराल पर लगभग एक पाव जूस या सूप पीना चाहिए और शेष समय हर घंटे पर सादा शीतल जल पीते रहना चाहिए। फलों का ताजा जूस न मिलने पर सब्जियों के सूप का उपयोग करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसके अभाव में डिब्बा बंद जूस का सेवन किया जा सकता है। इसमें पूर्ण उपवास की तुलना में भूख का कष्ट कम होता है और लाभ लगभग पूरा मिल जाता है। मैं प्रायः ऐसे ही उपवास की सलाह सबको दिया करता हूँ।
तीसरा विकल्प है- फलों और सब्जियों पर रहना। इसमें अन्न और मिठाई आदि का पूरा निषेध होता है, केवल ताजा फलों और सब्जियों का सेवन किया जाता है। इसमें दिन में चार बार चार-चार घंटे के अन्तर पर एक पाव फल या सब्जी लिया जाता है। शेष समय हर घंटे पर सादा शीतल जल पीते रहना चाहिए। इस तरह के उपवास में भूख का कष्ट प्रायः बिल्कुल नहीं होता और पेट भरा-भरा सा लगता है। फलों का पाचन सरल होने के कारण पाचन तंत्र को बहुत आराम मिल जाता है। इसलिए साप्ताहिक उपवास का प्रारम्भ फलाहार से ही करना चाहिए। फलों और सब्जियों में कोई नमक आदि डालने की आवश्यकता नहीं है।
साप्ताहिक उपवास करने वालों की भूख प्रायः बढ़ जाती है और वे पूर्ण आहार करने लगते हैं। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि बाकी 6 दिन आप खाने-पीने में मनमानी करें। ऐसा करने से तो उपवास का लाभ बेकार हो जाता है। इसलिए शेष दिनों भी हमें सात्विक भोजन अपनी भूख के अनुसार सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, ताकि पाचन तंत्र पर एकदम अधिक बोझ न पड़े।
साप्ताहिक उपवास हमारे स्वास्थ्य का बीमा है। इससे हमारा शरीर बहुत तेजी से पूर्ण स्वास्थ्य की ओर अग्रसर होता है। शरीर में छिपे हुए हानिकारक पदार्थ निकलने लग जाते हैं और उनके साथ ही बीमारियाँ गायब हो जाती हैं। इससे हमारी शुगर, बीपी और शरीर के अन्य सूचकांक सामान्य होते हैं। यदि आप पूर्ण स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो साप्ताहिक उपवास को अवश्य अपनाना चाहिए। साप्ताहिक उपवास के लाभ का अनुभव इसे स्वयं करके ही किया जा सकता है।
*-- डॉ विजय कुमार सिंघल*
आश्विन कृ 10, सं 2077 वि (12 सितम्बर 2020)
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*बी.पी (Blood pressure)कम करने के उपाय*
*बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें।*
*पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में लाभ नजर आने लगेगा।*
*हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।*
*नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।*
*सौंफ, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।*
*पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें, लाभ होगा।*
*करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।*
*गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।*
*ब्राउन चावल उपयोग में लाएं। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है।*
*प्याज और लहसुन की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। इनसे धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।*
*तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने से लाभ मालूम होता है।*
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