Sunday, September 27, 2020

आयुर्वेद सम्मत मानव शरीर को निरोग रखने के उपाय

 *आयुर्वेद सम्मत मानव शरीर को निरोग रखने के उपाय* (भाग ३२)


-----///---//-- *जग मोहन गौतम*


हमने इस लेखमाला के भाग 31 मैं उन दो भौगोलिक क्षेत्रो के बावत चर्चा की थी जिनके निवासियों के भोजन/आहार में अंतर चरम पर है एवम यहां जीवन शैली रोग भी चरम पर हैं। आज हम इन विशिष्ट क्षेत्रो के निवासियों की जीवन शैली पर सूक्ष्म चर्चा करेंगे।


पहला जनसँख्या क्षेत्र है *कुवैत* - यह विश्व के धनाढ्य देशों में है और यह विश्व में मधुमेह के उच्चतम प्रसार 【17%+】 के लिए भी जाना जाता है । यहां के निवासियों में  अधिक वजन एवम बढ़ा मोटापा,  उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना और गतिहीन जीवनशैली को खत्म करने के संयोजन के कारण है। परिरक्षकों ( preservatives), संतृप्त वसा ( लाल गोश्त, दूध, चॉक्लेट, केक इत्यादि) और हाइड्रोजनीकृत तेल के साथ प्रसंस्कृत(processed) सामग्री से युक्त भोजन के उपयोग का यहां प्रचलन है। अस्वास्थ्यकर जंक फूड, कैंडी, चॉकलेट और सोडा का सर्वत्र उपयोग होता है।


दूसरा जनसँख्या क्षेत्र है *जरवास* - अंडमान और निकोबार की एक पाषाण युग की शिकारी-एकत्रित सभ्यता, जहां के निवासियों में मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर या किसी अन्य जीवन शैली की बीमारी का कोई सबूत नहीं है।  चूंकि ये आदिकालीन जीवन निर्वाह करते हैं एवं उन्होंने अभी तक जानवरों को पालतू बनाना या कृषि के माध्यम से अपना भोजन बनाना नहीं सीखा है अतः दूध की खपत (मां के दूध को छोड़कर) बिल्कुल शून्य है।  उनके प्रमुख भोजन में फल और सब्जियां और कभी-कभी मछली और कुछ अन्य समुद्री खाद्य पदार्थ होते हैं। इनका खानपान पूर्णतया प्राकृतिक है। कृपया यह भी ध्यान दें कि यहां के निवासियों की जीवनशैली के सभी अंग  बिना मानवीय दखलंदाजी के शुद्ध प्राकृतिक रूप में प्रयुक्त होते हैं।


खान-पान एवम जीवनशैली ऊपर दोनों क्षेत्रों में एक दूसरे के पूर्णतया विपरीत है और तदनुसार लाइफ स्टाइल रोग भी हैं। अतः *हमको आहार के वैज्ञानिक संबंध / आधार को समझना होगा* - _जैसा हम खाते हैं वह हमारे शरीर का एक हिस्सा बन जाता है - तो क्यों न शरीर को आहार ऐसा दिया जाय  जो दोनों - स्वास्थ्य और शारीरिक कार्यों में सामंजस्य बिठाएं,_ *क्योंकि अधिकांश रोग और विकार, आहार संबंधी विकार ही हैं।*

अगले अंक में हम स्वास्थ्य जीवन हेतु भोजन के उन तत्वों पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो लाइफ स्टाइल रोगों से दूर रखने में सक्षम हैं जिसका आधार उपरोक्त दोनों जनसँख्या की निवासियों की जीवनशैली होगी।


---- // --- / -- *जग मोहन गौतम*

आयुर्वेद सम्मत मानव शरीर को निरोग रखने के उपाय* (भाग ३४)


-----///---//-- *जग मोहन गौतम*


*खान-पान का लाइफ स्टाइल रोगों से सम्बन्ध*


हमने पिछले अंक में  *भोजन के पेट में प्रवेश करने के पश्चात इसके व्यवहार के बारे में पढ़ा था, इस भोजन के प्रभाव को जानने के लिए इसको  _वी आई पी_ अथवा _डी आई पी_ भोजन के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं।* आज हम इस पर चर्चा जारी रखेंगे।


*वीआईपी डाइट* 


यह एक तरह का भोजन है जो पेट में प्रवेश करने पर *वीआईपी* की तरह व्यवहार करता है। समझने के लिए जिस तरह भारत में एक वीआईपी (बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति) जो बहुधा  राजनेता या नौकरशाह होते है, उन कानूनों को अनदेखा, उपेक्षा अथवा नजरअंदाज कर सकते हैं जो राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक पर लागू होते हैं, वह अति विशिष्ट व्यक्ति होते हैं।

उदाहरण के लिए, एक वीआईपी ट्रैफिक सिग्नल की लाल बत्ती की अनदेखी कर सकता है और कहीं भी जा सकता है, जो सामान्य नागरिक के लिए जोखिम और परेशानी पूर्ण हो।  


_इसी तरह, पेट में प्रवेश करने पर कुछ भोजन एक वीआईपी की तरह व्यवहार करते हैं और रक्त में शर्करा के स्तर पर विचार किए बिना रक्त प्रवाह में कूद जाते हैं, रक्तचाप और अन्य  शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली प्रणालियों के सम्पर्क में आ जाते हैं। ।_


*डीआईपी डाइट*


 डीआईपी को disciplined intelligent people (अनुशासित और बुद्धिमान लोगों)  के रूप में जाना जा सकता है।  हमारे देश के आम नागरिकों को लोग पसंद करते हैं, जो देश के कानूनों और नियमों का पालन करते हैं।  उदाहरण के लिए, ट्रैफिक सिग्नल में वे सिग्नल को पार करने के लिए हरी बत्ती का इंतजार करते हैं।  इसी तरह, _शरीर में प्रवेश करने पर कुछ खाद्य पदार्थ *डीआईपी* की तरह व्यवहार करते हैं, वे यकृत( liver)  की संकेतन प्रणाली (signalling system) को समझते हैं और ट्रैफिक कंट्रोलर अर्थात इनक्रेटिन हार्मोन के संचार संकेतों को समझने में सक्षम होते हैं, और सुरक्षित रूप से शरीर की चयापचय (मेटाबोलिक सिस्टम ) असामान्य बोझ डाले बिना रक्त शर्करा को रक्त प्रवाह में जोड़ते हैं।_ 


*डीआईपी एवम वीआईपी  भोजन को कैसे पहचाने*



 जो भोजन पदार्थ इनक्रेटिन हार्मोन पर प्रतिक्रिया देते है/ रेस्पांड करते हैं, ये जीवित एंजाइम वाले भोजन हैं। पृथ्वी पर जीवित एंजाइमों के साथ केवल तीन प्रकार के भोजन हैं: *सभी फल, कच्ची अवस्था में सभी सब्जियां, सभी हरी पत्तियां।* इनमें से कोई भी या इन सभी को डीआईपी आहार माना जा सकता है।  इनके साथ, बहुत सारे भीगे हुए नट्स, बीज और नारियल पानी को भी डीआईपी आहार माना जा सकता है।


 इसके विपरीत, वह भोजन जो इनक्रेटिन हार्मोन के संकेत को अनदेखा करता है और एक वीआईपी की तरह व्यवहार करता है वह है वी आइ पी भोजन जिसमें *पशु भोजन जिसमें डेयरी उत्पाद, सभी पैक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, दवाइयों सहित सभी रसायन शामिल हैं।*


इस लेखश्रंखला के अगले संस्करण में हम उन तथ्यों को उजागर करेंगे जिनसे वी आई पी एवं डी आई पी के खाद्य पदार्थों को समझते हुए इसका जीवनशैली रोगों पर प्रभाव समझ पाए। साथ में  इसका रोगों में उपचार के रूप में प्रभावी उपयोग पर चर्चा भी करेंगे। आज के अपरिभाषित शब्द *इनक्रेटिन हार्मोन* पर भी चर्चा की जाएगी।

धन्यवाद


आयुर्वेद सम्मत मानव शरीर को निरोग रखने के उपाय* (भाग ३५)


-----///---//-- *जग मोहन गौतम*


*खान-पान का लाइफ स्टाइल रोगों से सम्बन्ध*



इस लेखमाला के पिछले अंक में *वी आई पी एवं डी आई पी* डाइट पर चर्चा करते समय *इनक्रेटिन हार्मोन* का उल्लेख अनेक बार आया था। स्वस्थ रहने के लिए एवम विशेषतया लाइफ स्टाइल रोगों से दूर रहने में इनक्रेटिन हार्मोन की अपनी महत्ता है क्योंकि ये ही स्वास्थ के लिए विपरीत भोजन के पेट में प्रवेश करते ही सबसे पहले संकेत देते हैं। इसलिए इसको जानना हमारे लिए महत्वपूर्ण ही नहीं अपितु आवश्यक भी है। 

wikipedia के अनुसार:


"Incretins are a group of metabolic hormones that stimulate a decrease in blood glucose levels. Incretins are released after eating and augment the secretion of insulin released from pancreatic beta cells of the islets of Langerhans by a blood glucose-dependent mechanism."  


इस परिभाषा को ध्यान में रखते हुए, स्वस्थ्य रहने के लिए एवम विशेषतया डायबिटीज पर नियंत्रण रखने में हम इन्क्रेटीन्स की महत्ता को  नकार नहीं सकते हैं। इसके साथ ही हम पढ़ चुके हैं कि वी आई पी एवम डी आई पी भोजन क्या हैं एवम यह किस प्रकार जीवनशैली रोगों के लिए उत्तरदायी हैं। आगे हम इस दिशा में कुछ और क़दम आज चलेंगे।


*डीआईपी और वीआईपी भोजन के बीच अंतर कैसे करें?*


■◆◆●●• *डीआईपी भोजन* •●●◆◆■


 _*फल, सब्जियां, हरे पत्ते, नट, बीज और नारियल पानी*_


■◆◆●●• *वीआईपी भोजन* •●●◆◆■


 _*पशु भोजन / डेयरी उत्पाद, पैक और संसाधित भोजन, दवाओं सहित रसायन*_


डी आई पी डाइट  सिद्धांत के प्रवर्तक एवम मधुमेह जैसे जीवनशैली रोगों को सफलता से नियंत्रित करने की अलख जगाने वाले, डॉ विश्वरूप राय चौधरी के अनुसार कुवैती आबादी सहित 10 से अधिक देशों में 5,000 से अधिक मधुमेह रोगियों के  पर किए शोध में, मैंने  एक चीज सामान्य पायी कि  *वे सभी वीआईपी भोजन का सेवन कर रहे थे।* _इसके विपरीत, जरावा, हुंजा या ओकिनावा जैसी सभ्यताओं की आबादी के लोग हैं जो कभी मधुमेह या अन्य संबंधित बीमारियों से पीड़ित नहीं होते हैं क्योंकि *ये सभी डीआईपी तरह के आहार ही लेते हैं।*_


उपरोक्त अवलोकन से, यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल नहीं है कि डीआईपी आहार पर स्विच करके अथवा लेने से  एक मधुमेह रोगी ठीक नहीं हो सकता है। डॉ0 चौधरी का इस दिशा का आंदोलन आज देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी एक सशक्त रूप में खड़ा है और इससे लाभ पाने वालों की लंबी कतारें सर्वत्र अनुभव की जा सकती है।

वैज्ञानिक एवम तार्किक आधार पर डी आई पी भोजन शैली सही पाने पर हमने भी अपने निकटतम दो लोगों को इस डी आई पी डाइट प्लान की अवधारणा पर अमल करने हेतु प्रेरित किया एवम दोनों में ही आश्चर्यजनक एवम लाभकारी नतीजे समक्ष आये हैं। दोनों ही कि दवाई/इन्सुलिन की आवश्यकता समाप्त हो गयी। हाँ इसको भोजन का अंग बनाने में  लगन, इच्छा शक्ति एवम सकारात्मक सोच अवश्य द्रढ होनी चाहिये।


हमारा अगला अंक *डी आई पी डाइट योजना* की विभिन्न कार्य योजनाओं / विधियों पर होगा जिन को अपने जीवन में उतारकर जीवन शैली रोगों से जूझ रहे व्यक्ति विशेषतया मधुमेह जैसे असाध्य रोग से पीड़ित मित्र भी निरोगी व स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

*आयुर्वेद सम्मत मानव शरीर को निरोग रखने के उपाय* (भाग ३६)


-----///---//-- *जग मोहन गौतम*


*खान-पान का लाइफ स्टाइल रोगों से सम्बन्ध एवम इसका उपाय*


हम पूर्व अंकों में पढ़ चुके हैं कि स्वस्थ्य रहने के लिए एवम जीवनशैली रोगों  विशेषतया मधुमेह/ रक्तचाप / मोटापा इत्यादि से मुक्त होने के लिए हमको डीआई पी डाइट/भोजन का उपयोग करना ही पड़ेगा।

 इस सम्वन्ध में डॉ विश्वरूप राय चौधरी ने अनेक शोधों के पश्चात एक डीआईपी भोजन सूची दी है एवम इसका प्रयोग इन्होंने हजारों लोगों पर सफलता पूर्वक किया है। इस डाइट का आधार भी वही जनसँख्या समूह है जिनमे जीवनशैली रोग नगण्य हैं। आज हमारी चर्चा इसी डाइट प्लान पर होगी। 


 *डी आई पी डाइट क्या, कब और कैसे* 


■◆◆●• *पहला कदम* •●◆◆■


दोपहर 12 बजे तक 3 - 4 तरह के कोई भी फल खाएं, अच्छा हो यदि फल ऋतु अनुसार हों एवं कम से कम ऋतु विरोधी कदापि न हों।


इन फ़लों का उपभोग किया जाने वाला न्यूनतम वजन = किलोग्राम में आपके शरीर का वजन × 10 = ..............ग्राम


(उदाहरण के रूप में एक 70 किलोग्राम का व्यक्ति दोपहर 12 बजे से पूर्व कम से कम 700 ग्राम 3-4 तरह के फल अवश्य खाये)



■◆●• *दूसरा कदम* •●◆◆■


_आप अपना दोपहर का भोजन एवम रात्रि भोजन सदैव दो तश्तरी [प्लेट] मैं करें।_


 *तश्तरी/प्लेट नम्बर एक* एवं *तश्तरी/प्लेट नम्बर दो*



*तश्तरी/प्लेट नम्बर एक* इसमें कच्ची खाने योग्य चार प्रकार की  गाजर, टमाटर, मूली , खीरा जैसी ऋतु अनुसार सब्जियां

तश्तरी/प्लेट नम्बर एक मैं ऊपर दी गयी सब्जियों की मात्रा = आपके शरीर का वजन × 5 = ...

........ग्राम


(उदाहरण के तौर पर एक 70 किलोग्राम का व्यक्ति कम से कम 350 ग्राम चार प्रकार की कच्ची सब्जी खाये)



*तश्तरी/प्लेट नम्बर दो* इसमें कम नमक और तेल से पका हुआ शाकाहारी भोजन हो।



*_उपरोक्त गणना के अनुसार पहले खाने की तश्तरी/प्लेट एक को समाप्त करें।  फिर तश्तरी/ प्लेट दो के भोजन को जितना आप खाना चाहें खा लें।  दोपहर के भोजन और रात के खाने के नियम समान हैं।  हालाँकि, हमें शाम 7 बजे तक डिनर खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।_*



◆●• *तीसरा कदम - परहेज(AVOID)* •●◆ 


【1】दूध उत्पादों सहित पशु भोजन (Animal food including milk products)


【2】मल्टीविटामिन टॉनिक और कैप्सूल (Multivitamin tonic and capsules)


【3】परिष्कृत और पैक भोजन (Refined and packed food)


【4】 नित्य 40 मिनेट प्रातः काल धूप में अवश्य बैठें। (Try exposing your body to 40 minutes of sunshine on daily basis.)


*प्रातः काल का नाश्ता, दोपहर का भोजन एवम रात्रि भोजन के अलावा, आवश्यकता पर  नीचे दिए गए पेय/स्वल्पाहार (स्नैक) के विकल्प चुनें।*


(1) *प्रति दिन अंकुरित* ( किलोग्राम में शरीर का वजन = ........ग्राम(

उदाहरण स्वरूप एक 70 किलोग्राम का व्यक्ति 70 ग्राम तक अंकुरित अन्न एक दिन में खा सकता है।


(2) *2-3 घंटों के लिए पानी में भिगोने के बाद सभी प्रकार के 'नट्स' का सेवन किया जा सकता है।*  मात्रा = किलो में शरीर का वजन = ………… ग्राम


उदाहरण स्वरूप एक 70 किलोग्राम का व्यक्ति 70 ग्राम तक नट्स एक दिन में खा सकता है।


      

(3) *फलों का सेवन स्नैक्स के रूप में भी किया जा सकता है*


(4)  *ताजा नारियल पानी और नारियल क्रीम* 


(5)  *हुंजा चाय* (Hunza Tea)


हुंजा चाय की पत्तियों में प्राकृतिक तत्व होते हैं, अर्थात् पवित्र तुलसी, पुदीना, इलायची, दालचीनी और अदरक।  इन सामग्रियों को कभी भी रसायनों, योजक या परिरक्षकों के साथ संसाधित नहीं किया गया है।  यह प्राकृतिक पेय हुंजा लोगों के आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है।


आज देश विदेश में डीआईपी भोजन ग्रहण करके अनेक रोगों से मुक्त जीवन व्यतीत करने वाले लोगो की सँख्या बढ़ती जा रही है। इस के उपयोग करने से एक बात तो द्रढता से कही जा सकती है कि इससे नुकसान होने की संभावना न के बराबर है। क्यों न हम भी इस दिशा में आगे बढ़े और जीवनशैली रोगों से मुक्त हों।

【पाटदीप : ऋतु अनुसार फल एवं सब्जियां उपयोग करना आयुर्वेद के स्वस्थ जीवनशैली व्यतीत करने के सिद्धांतों में प्रमुख है जिसको इस लेख में प्रमुखता से लिया गया है एवं जो डॉ विश्वरूप राय चौधरी द्वारा प्रतिपादित डीआईपी डाइट प्लान में नहीं है।】

-- जग मोहन गौतम

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