Sunday, October 11, 2020

आंवले के नित्य उपयोग -- इसके अद्भुत लाभ

 आंवले के नित्य उपयोग 


हम सदैव आंवले के नित्य उपयोग के लिए इसके अद्भुत लाभों को लेकर आप सबको प्रेरित करते रहें हैं। ऐसा लगता है कि प्रभु ने इस फल को पृथ्वी पर मानव हितार्थ ही उतपन्न किया है। इसकी अनगिनत विशेषताओं में एक यह भी है कि यह किसी भी परिस्थिति में अर्थात उबालने, कुचलने, पीसने, सुखाने इत्यादि प्रक्रियाओं मैं अपने गुण व धर्म नहीं छोड़ता हैं। लेकिन हम इससे निरन्तर दूरी बनाते जा रहे हैं। आज पहले इसके लाभ पढ़ें फिर इसका उपयोग करना सुनिश्चित करें।



🌿  ●● *आंवला* ●●


आंवला आजकल बाजार में आना शुरू हो गया है ये हमारे देश मे हर जगह दिखाई दे जाता है। वृक्ष के रूप में, सब्जी मंडियों में, आयुर्वेदिक दवाओं, आचार मुरब्बों की दुकानों पर। आज हम इसके औषधीय गुणों के बारे चर्चा करेंगे।


*आंवला परिचय*


आयुर्वेद के अनुसार, आंवला एक ऐसा फल है, जिसके अनगिनत लाभ हैं। आंवला ना सिर्फ त्वचा, और बालों के लिए फायदेमंद है, बल्कि कई तरह के रोगों के लिए औषधि के रूप में भी काम करता है। आंवला का प्रयोग कई तरह से किया जाता है, जैसे- आंवला जूस, आंवला पाउडर, आंवला अचार आदि। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल, और न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं, जो आंवला को अनमोल गुणों वाला बनाते हैं।

आंवला को आयुर्वेद में *अमृतफल* या *धात्रीफल* कहा गया है। वैदिक काल से ही आंवला का प्रयोग औषधि के रूप में किया जा रहा है।


पेड़-पौधे से जो *औषधि* बनती है उसको #काष्ठौषधि# कहते हैं और धातु-खनिज से जो औषधि बनती है उनको #रसौषधि# कहते हैं। इन दोनों तरह की औषधि में आंवला का इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि आंवला को रसायन द्रव्यों में सबसे अच्छा माना जाता है यानि कहने का मतलब ये है कि जब बाल बेजान और रूखे-सूखे हो जाते हैं तब आंवला का प्रयोग करने पर बालों में एक नई जान आ जाती है। आंवला का पेस्ट लगाने पर रूखे बाल काले, घने और चमकदार नजर आने लगाते हैं।


*चरक संहिता में आयु बढ़ाने, बुखार कम करने, खांसी ठीक करने और कुष्ठ रोग का नाश करने वाली औषधि के लिए आंवला का उल्लेख मिलता है। इसी तरह सुश्रुत संहिता में आंवला को अधोभागहर संशमन औषधि बताया गया है, इसका मतलब है कि आंवला वह औषधि है, जो शरीर के दोष को मल के द्वारा बाहर निकालने में मदद करता है। पाचन संबंधित रोगों और पीलिया के लिए आंवला का उपयोग किया जाता है।*


#आं‍वला का वानस्पतिक नाम Phyllanthus emblic (पांईलैन्थस एम्बलिका) है।  यह Euphorbiaceae (यूफॉर्बियेसी) कुल से है। इसका अंग्रेजी नाम Emblicmyrobalan tree (एम्बलिक मायरोबालान ट्री) है। #हिंदी में इसे आमला, आँवला, आंवरा, आंबल कहा जाता है


*आंवला के लाभ*


आंवला खून को साफ  करता है, दस्त, मधुमेह, जलन की परेशानी में लाभ पहुंचाता है। इसके साथ ही यह जॉन्डिस,हाइपर-एसिडिटी, एनीमिया, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या), वात-पित्त के साथ-साथ बवासीर या हेमोराइड में भी फायदेमंद होता है। यह मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। यह सांसों की बीमारी, खांसी और कफ संबंधी रोगों से राहत दिलाने में सहायता करता है। आंवला आंखों की रोशनी को भी बेहतर करता है। अम्लीय गुण होने के कारण यह गठिया में भी लाभ पहुंचाता है। *आंवला शरीर के पित्त, वात और कफ को संतुलित करने में मदद करता है।* आंवला, पीपल और हरड़, सभी तरह के बुखार से राहत दिलाने में सहायता करता है। यह दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करता है।


*बालों की समस्या में*


 - सफेद बालों की समस्या से हर उम्र के लोग जूझ रहे हैं। आंवला के मिश्रण का लेप लगाने से कुछ ही दिनों में बाल काले हो जाते हैं। 30 ग्राम सूखे आंवला, 10 ग्राम बहेड़ा, 50 ग्राम आम की गुठली की गिरी और 10 ग्राम लौह भस्म लें। इन्हें रात भर लोहे की कढ़ाई में भिगोकर रखें। अगर कम उम्र में बाल सफेद हो रहे हैं तो इस लेप को रोज लगाएं। कुछ ही दिनों में बाल काले होने लगते हैं।

आंवला, रीठा और शिकाकाई को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे बालों में लगायें। सूखने के बाद पानी से बालों को धो लें। इससे बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं।

आंवले का फल, आम की गुठली के मज्जा को एक साथ पीस लें। इसे सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बाल काले हो जाते हैं।

लौह भस्म और आंवला चूर्ण को गुड़हल फूल के साथ पीस लें। इसे नहाने से पहले सिर में कुछ देर लगाकर रखें, और फिर पानी से धो लें। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।


*मोतियाबिंद में*


 - आमतौर पर उम्र के बढ़ने के साथ कई लोगों को मोतियाबिंद की परेशानी होने लगती है। इससे बचने के लिए आंवला  के साथ रसांजन, मधु और घी मिला लें। इस मिश्रण को आंखों में लगाने से आंखों के पीलेपन और मोतियाबिंद में फायदा मिलता है।


*आंखों की बीमारी में*


- आंवले के 1-2 बूंद रस को आंखों में डालने से आंखों के दर्द से राहत मिलती है।

आंवले के बीज को घिसकर आंखों में लगाने से आंखों के रोग में फायदा पहुंचता है।

अपांप्म, आंवले का रस, धाय के फूल, नीलाथोथा तथा खपरिया तुत्थ को नींबू के रस से मिला लें। इसकी गोली बनाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के अनेक रोग ठीक होते हैं।

7 ग्राम आंवले को जौ के साथ कुटकर ठंडे पानी में भिगो लें। दो-तीन घंटे बाद आंवलों को निचोड़ कर निकाल लें। इसी पानी में फिर से दूसरे आंवला को ऐसे ही भिगो दें। दो-तीन घंटे बाद फिर निचोड़ कर निकाल लें। इस तरह तीन-चार बार करें। इस पानी को आंखों में डालने से आँखों की सूजन कम होती है।

आंवले के पत्ते और फल का मिश्रण आंखों में लगाएं। इससे आंख आने की परेशानी से राहत मिलती है।

आंवले को पीसकर पेस्ट बना लें, और उसकी पोटली बनाकर आंखों पर बांधें। इससे पित्त दोष के कारण होने वाली आंखों की खुजली, जलन आदि की परेशानी में लाभ मिलता है। 


*गले की खराश में*

 

जब भी मौसम बदलता है तो आमतौर पर गले में खराश की परेशानी होने लगती है। अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक को समान मात्रा में मिला लें। 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु तथा 1 चम्मच घी के साथ चाटें। इससे गले की खराश दूर होती है। [


*हिचकी से आराम*


-  हिचकी की परेशानी को ठीक करने के लिए पीपल, आंवला तथा सोंठ के 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर में चाटने से हिचकी तथा दमा में लाभ होता है।


10-20 मिली आंवला रस तथा 2-3 ग्राम पीपल के पत्ते के चूर्ण में 2 चम्मच शहद मिला लें। दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।


*उल्टी से दिलाये राहत*


10-20 मिली आंवला के रस (patanjali amla juice) में 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे हिचकी और उल्टी बंद हो जाती है।


5-10 ग्राम आंवला के चूर्ण (amla powder) को पानी के साथ पीने से भी उल्टी में फायदा होता है।


*एसिडिटी*


-  अम्लपित्त या हाइपरएसिडिटी आजकल आम समस्या बन गई है। बच्चों से लेकर बूढ़े, किसी को भी यह समस्या हो सकती है।  आंवले के 10 ग्राम बीजों को रात भर जल में भिगोकर रखें। अगले दिन गाय के दूध में बीजों को पीस लें। इसे 250 मिली गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे एसिडिटी में लाभ होता है।


*आईबीएस (संग्रहणी) रोग  में*

- संग्रहणी रोग में बार-बार दस्त होता है। ये अक्सर खान-पान में बदलाव होने पर होता है। मेथी-दाना के साथ आंवले के पत्तों को मिलाकर काढ़ा बना लें। दिन में दो बार 10 से 20 मिली पीने से संग्रहणी रोग में लाभ होता है।


*कब्ज में* 


- आजकल की जीवनशैली या खान-पान की वजह से सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। 3-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ मिलता है।


*अपच में*


-  कई बार असमय खाने या कुछ भी गलत खा लेने पर अपच या इंडाइजेशन हो जाता है। इसके लिए आंवला को पका लें। इसमें उचित मात्रा में काली मिर्च, सोंठ, सेंधा नमक, भूना जीरा और हींग मिला लें। इसे छाया में सुखाकर सेवन करने से भूख लगती है, तथा कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।


*दस्त में* 


- 10-12 ग्राम आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर, छाछ के साथ रोज सुबह-शाम सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है। 

 

*बवासीर में*


- बवासीर में  अधिक रक्तस्राव होता हो तो 3-8 ग्राम आंवला चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करें।


*पीलिया में*


 - कामला को पीलिया भी कहते हैं। पीलिया होने पर त्वचा का रंग पीला हो जाता है और शुरुआती स्थिति में इलाज नहीं होने पर यह गंभीर हो सकता है।


–आंवले की चटनी बनाकर उसमें शहद मिला लें। इसका सेवन करने से लिवर विकार और पीलिया में लाभ होता है।


-125-250 मिग्रा लौह भस्म के साथ 1-2 नग आंवले के चूर्ण का सेवन करने से पीलिया और एनीमिया में लाभ होता है।


*डायबिटीज में* 


- प्रमेह को डायबिटीज या मधुमेह भी कहते हैं। वर्तमान में डायबिटीज से अनेक लोग ग्रस्त हैं। इसके लिए आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागरमोथा, दारुहल्दी एवं देवदारु लें। इनको समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में सुबह-शाम डायबिटीज के रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।


*धातु रोग में* 


- आंवले के गुठली रहित 10 ग्राम चूर्ण को धूप में सुखा लें। इसमें दोगुनी मिश्री मिला लें। इसे ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष, शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ मिलता है।


*गठिया से दिलाये राहत*


गठिया में जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाता है। इस परेशानी से सबसे ज्यादा बड़े-बूढ़े ग्रस्त होते हैं। इसमें 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ लें। इसे 500 मिली पानी में उबाल लें। 250 मिली पानी शेष रहने पर छानकर सुबह शाम पिएं। इससे गठिया में लाभ होता है। इस दौरान नमक का सेवन ना करें।


*खुजली से राहत*


- आंवले की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। इसमें नारियल तेल मिला ले। इसे गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है। 


*बुखार में*


-  मोथा, इद्रजौ, हरड, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसा का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिएं। इससे कफ दोष के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।


*दांतों के लिए*


 - आंवला की पत्तियां और फल दोनों ही मुँह से संबंधित रोगों में फ़ायदेमंद होते है। आंवला की पत्तियों का प्रयोग दांतो की मजबूती के लिए किया जाता है साथ हि फल का प्रयोग मसूड़ो यानि गम्स से संवंधी रोगों में फायदेमंद होता है।


💓 *हृदय को स्वस्थ रखे*


 आंवला का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है, क्योंकि आंवले का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है साथ ही आंवले में पाये जाने वाला विटामिन-सी रक्तवाहिनी को संकुचित होने से रोकता जिसे रक्त का दबाब भी सामान्य रहता है।


*नसों की कमज़ोरी*


 आंवले का उपयोग नसों की कमज़ोरी दूर करने में सहायक होता है, क्योंकि आँवले में रसायन का गुण पाया जाता है। रसायन का गुण नसों में समय साथ हो रहे परिवर्तनों यानी डिजेनरेटिशन को नियंत्रित कर कमजोरी दूर करता है।

(साभार)

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